Agriculture
- इस प्याज़ के उत्पादन में हरियाणा का नूँह जिला सबसे आगे
- इस साल अब तक 5000 हेक्टेयर भूमि में बरसाती प्याज की फसल लगाई जा चुकी
- अधिक बरसात होने की वजह से तकरीबन 1000 एकड़ भूमि में कम प्याज की गंठी लगेगी
नूंह। इस सीजन अधिक बरसात होने के बावजूद भी मेवात के किसान बरसाती प्याज की गंठी लगाने में पूरी तरह से व्यस्त हैं। नूंह जिले में देशभर में सबसे अधिक बरसाती प्याज लगाई जाती है। सबसे खास बात यह है कि एनसीआर की मंडियों में मेवाती प्याज को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। गुणवत्ता व स्वाद के मामले में यहां की प्याज सबको पछाड़ देती है। यहां की मिट्टी में वह ताकत है जो देश के अन्य इलाकों में देखने को नहीं मिलती। जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर अब्दुल रज्जाक ने बताया कि इस साल अब तक 5000 हेक्टेयर भूमि में बरसाती प्याज की फसल लगाई जा चुकी है। उन्होंने माना कि इस साल अधिक बरसात होने की वजह से तकरीबन 1000 एकड़ भूमि में कम प्याज की गंठी लगाई जाएगी।
70 दिन में तैयार होती है फसल
यह फसल तकरीबन 70 दिन के लिए होती है और किसान को इससे अच्छा खासा उत्पादन होता है। यहां की प्याज जब एनसीआर की मंडियों में जाती है तो आम आदमी की जेब पर भी इसका कम असर पड़ता है। भाव में कमी आ जाती है। उन्होंने कहा कि यहां की प्याज गुणवत्ता के मामले में हमेशा सबको पछाड़ देती है। अरावली पर्वत की तलहटी से लगे नगीना तथा फिरोजपुर झिरका खंड में सबसे ज्यादा बरसाती प्याज का उत्पादन किया जाता है। इसके बाद किसान इन्हीं खेतों में प्याज की फसल लेने के बाद पछेती गेहूं की फैसल लगाकर 1 साल में तीन फसल इस जमीन से ले लेते हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है।
अच्छा मुनाफा कमा रहे किसान
भले ही इस बार बरसात अधिक हुई हो, लेकिन फिर भी किसान जल्दी से जल्दी बरसाती प्याज लगाने में दिन – रात जुटा हुआ है। जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर अब्दुल रज्जाक ने बताया कि यहां का किसान हरी फालर वाली प्याज को भी मंडियों में बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमा लेता है और उसके बाद जब फसल का बल्ब तैयार हो जाता है तो उसे उखाड़ कर सभी मंडियों में भेज देता है। यहां बल्ब का साइज भी अच्छा होता है और गुणवत्ता में वह देश में सबसे अव्वल पायदान पर रहता है। यही वजह है कि यहां का किसान प्याज की फसल पर खास फोकस करता है। इसमें स्प्रिंकलर, टपका प्रणाली से सिंचाई की जाती है। समय व धन की बचत भी किसान इस फसल में आसानी से कर पाता है। जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर अब्दुल रज्जाक ने बताया कि स्प्रिंकलर या टपका प्रणाली से किसान अगर प्याज की खेती करता है और मीकाडा योजना के तहत उसका रजिस्ट्रेशन करता है तो उसे तकरीबन 15000 रुपये की सब्सिडी भी विभाग के द्वारा दी जाती है।