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supreme court : सुप्रीम कोर्ट ने दिलाई याद, अब सहमति से सेक्स करने की उम्र 16 साल नहीं, बल्कि 18 साल

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  1. सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाना पड़ा कानून का बदलाव
  2. इसी आधार पर आरोपी को दी गई राहत
  3. शीर्ष कोर्ट पोक्सो एक्ट के तहत मामले में आरोपित को बरी करने के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने मप्र सरकार की याचिका खारिज कर दी
  4. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि वर्ष 2012 में भारत में सहमति से विवाह करने की आयु सीमा को 16 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया था, जिसके बाद पोक्सो अधिनियम लागू हुआ

supreme court  : देश में लड़का और लड़की के बीच सहमति से सेक्स संबंध बनाने की उम्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकतर लोगों को ये बात पता ही नहीं है कि देश में सहमति से सेक्स संबंध बनाने की उम्र अब 16 साल नहीं, बल्कि 18 साल है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो एक्ट) के तहत एक मामले में आरोपित को बरी करने के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी।

एमपी सरकार की याचिका खारिज

शीर्ष अदालत ने मप्र सरकार की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति खन्ना ने मामले का निपटारा करने से पहले टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में भारत में सहमति से विवाह करने की आयु सीमा को 16 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया था, जिसके बाद पोक्सो अधिनियम लागू हुआ और उसके बाद भारतीय दंड संहिता में संशोधन किया गया।

अक्सर पुरुष के खिलाफ ही चलता है केस

सहमति से सेक्स संबंध बनाने वाली लड़कियों से जुड़े पोक्सो मामलों में जब मुकदमे की कार्यवाही शुरू होती है तो कई समस्याएं आती हैं जिन्हें न्यायपालिका के कई सदस्यों द्वारा चिन्हित भी किया गया है। क्योंकि, युवा लड़कियों द्वारा सहमति से बनाए गए रोमांटिक और यौन संबंधों के कारण अक्सर पुरुष साथी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है। कई बार, जब तक मुकदमा शुरू होता है, तब तक दंपती शादीशुदा हो चुके होते हैं और उनके बच्चे भी हो चुके होते हैं, जिससे आगे और भी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। क्योंकि अगर उस को सजा दी जाती है तो इसका मतलब होगा कि महिला और बच्चे को खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाएगा।

यह कहा सीजेआई ने

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिसंबर 2022 में कहा था कि अधिनियम के तहत सहमति की वर्तमान आयु ऐसे मामलों से निपटने वाले न्यायाधीशों के लिए कठिन प्रश्न खड़ी करती है, और इस मुद्दे को लेकर बढ़ती चिंता पर विधायिका को विचार करने की आवश्यकता है।

मप्र सरकार ने 16 वर्ष करने का आग्रह किया था

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष केंद्र सरकार से यौन संबंध के लिए सहमति की आयु को घटाकर 16 वर्ष करने का आग्रह किया था, ताकि सहमति से यौन संबंध बनाने वाले किशोरों के साथ हो रहे अन्याय का निवारण किया जा सके।

यह कहा था न्यायमूर्ति ने

पिछले वर्ष सितंबर में न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता में 22वें विधि आयोग ने यह विचार व्यक्त किया था कि सहमति की मौजूदा आयु 18 वर्ष से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।

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