Delhiaims
- ऐसे युवाओं और किशोरों को सुधारने के लिए 14 करोड़ से बनेगा केंद्र
- आईसीएमआर ने कहा, देश में अपनी तरह का ऐसा पहला केंद्र होगा
- इंटरनेट का अत्याधिक प्रयोग समस्या पैदा करने वाला
- बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में आ रहे बदलाव
Delhiaims : नई दिल्ली। बच्चों, किशोरों और युवाओं को इंटरनेट एवं प्रौद्योगिकी की लत से लड़ने में मदद करने के लिए देश में अपनी तरह का पहला केंद्र अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में स्थापित किया जाएगा। इस पर करीब 14 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके लिए सभी तैयारियों पूरी हो चुकी है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने तकनीक के अत्यधिक और समस्या पैदा करने वाले उपयोग से संबंधित व्यसनकारी व्यवहार पर उन्नत शोध केंद्र (सीएआर-एबी) की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। एम्स, दिल्ली में व्यवहार व्यसन क्लीनिक (बीएसी) के संकाय प्रभारी यतन पाल सिंह बल्हारा ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी के अत्यधिक और समस्या पैदा करने वाले उपयोग को एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचाना गया है।’
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही
डॉ बल्हारा ने कहा कि भारत के आर्थिक सर्वेक्षण (2024-25) में बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि को इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग से जोड़ा गया है। बच्चों एवं किशोरों को उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए इंटरनेट से दूर रखने के लिहाज से स्कूल एवं परिवार के स्तर पर हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। यह केंद्र लत लगने संबंधी विभिन्न व्यवहारों पर समग्र रूप से ध्यान देगा।
बच्चों की क्षमता मजबूत करेंगे
डॉ. बल्हारा ने कहा, ‘यह देश में अपनी तरह का पहला केंद्र है, जिसे विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के बीच प्रौद्योगिकी के अत्यधिक और समस्याग्रस्त उपयोग को देखते हुए साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप विकसित करने का काम सौंपा गया है।’ इसका उद्देश्य बच्चों और युवाओं में इंटरनेट और प्रौद्योगिकी से संबंधित लत की रोकथाम, जांच, प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप करना होगा। साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मियों के लिए इन समस्याओं की रोकथाम और प्रबंधन के लिए उनकी क्षमता को मजबूत करने के लिए संसाधन विकसित किए जाएंगे।
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