Jhatka
- लोकसभा चुनाव में टिकट दिया, अब स्टार प्रचारक
- हुड्डा के कारण छोड़ी कांग्रेस, अब शामिल हुए तो हुड्डा को पता भी नहीं था
- दलित वोट साधने के चलते राहुल के जरिये हुई तंवर की सीधी एंट्री
Jhatka : नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान से ऐन पहले अशोक तंवर का कांग्रेस में शामिल होना भाजपा के लिए बड़ा झटका है। तंवर को भाजपा कितनी अहमियत दे रही थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सिरसा से अपनी सांसद सुनीता दुग्गल की टिकट काट कर अशोक तंवर को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि तंवर हार गये, बावजूद इसके वे विधानसभा चुनाव में पार्टी के स्टार प्रचारक थे।
क्या कहते हैं तंवर के नजदीकी
तंवर के नजदीकी लोगों का कहना है कि तंवर लगातार राहुल के संपर्क में थे। नारनौंद में सैलजा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद से कांग्रेस बैकफुट पर थी। कांग्रेस के बड़े नेताओं को आभास था कि दलित वोट नाराज है और विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। इसलिए तंवर को पार्टी में लाने की योजना बनी ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद से अशोक तंवर भाजपा में अपने भविष्य को लेकर आशंकित थे। उनको लग रहा था कि हरियाणा में कांग्रेस वापसी कर सकती है इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लिया।
हरियाणा में दलित चेहरे के तौर पर पहचान
तंवर हरियाणा की राजनीति में दलित चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। वे हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। भाजपा ने कुमारी सैलजा की अनदेखी का आरोप कांग्रेस पर लगाते हुए लगातार कहा था कि कांग्रेस दलितों की हितैषी नहीं है। अब तंवर के अचानक कांग्रेस में जाने से भाजपा नेतृत्व खुद को ठगा महसूस कर रहा है।
लोकसभा में सैलजा ने हराया था
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस की प्रत्याशी कुमारी सैलजा के हाथों सिरसा सीट पर हारे तंवर ने पार्टी बदलने के अपने फैसलों से लगातार चौंकाया है। कांग्रेस में रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के साथ तंवर का छत्तीस का आंकड़ा था। अब यह देखना रोचक रहेगा कि हुड्डा के साथ अशोक तंवर का सामंजस्य बैठ पायेगा या नहीं। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए विधानसभा चुनाव नतीजों से पहले ही भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच एक दूसरे को पीछे धकेलने की होड़ लगी हुई है। तंवर अब कांग्रेस के भीतर अपनी अलग राह चुनेंगे या फिर सैलजा और हुड्डा खेमे में से किसी एक का झंडा उठायेंगे, इस पर लोगों की नजर रहेगी।
सीधी राहुल ने कराई एंट्री, हुड्डा थे बेखबर !
अशोक तंवर की घर वापसी से पहले क्या राहुल गांधी ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से बातचीत की थी? क्या हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान को बिना बताये ही तंवर को सीधा कांग्रेस में ज्वाइन करवाया गया? ये ऐसे सवाल हैं जो महेन्द्र गढ़ में कांग्रेस की जनसभा के मंच पर अशोक तंवर के आने के बाद से लोगों के बीच चर्चा का केन्द्र बन गये। मंच पर राहुल गांधी थे और हुड्डा भी। अशोक तंवर ने राहुल के सामने झुकते हुए हाथ मिलाया। बाद में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को तंवर ने नमस्कार किया। बदले में हुड्डा ने भी नमस्कार किया, पर हुड्डा के चेहरे से साफ लगा कि उनको शायद तंवर की कांग्रेस वापसी की जानकारी नहीं थी। हुड्डा भौंच्चक से दिखे। एक समय में तंवर की गिनती राहुल गांधी के करीबियों में होती थी। राहुल गांधी ने ही उन्हें फरवरी 2014 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। कांग्रेस में वह राष्ट्रीय सचिव व यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
टीएमसी, आप और भाजपा में रहे तंवर
अशोक तंवर हिसार से लोकसभा सांसद और हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने 5 अक्तूबर 2019 को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे टीएमसी में गए, फिर वे आप में शामिल हो गए थे। तंवर आप के हरियाणा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष थे। फिर उन्होंने आप भी छोड़ दी थी। आप से इस्तीफा देने के पीछे का कारण कांग्रेस-आप के गठबंधन को बताया था। इसके बाद जनवरी 2024 में तंवर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उन्हें सिरसा से टिकट दिया था। वे हार गए थे।
हुड्डा से झगड़े के चलते कांग्रेस छोड़ने पर हुए थे मजबूर
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच तकरार के बाद 2019 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल 2015 में नई दिल्ली में हुई कांग्रेस की किसान सम्मान रैली में अशोक तंवर और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के समर्थक आपस में भिंड गये थे। इसके बाद तंवर ने आरोप लगाया था कि हुड्डा के इशारे पर उनके साथ हाथापाई की गई। इस घटना के बाद दोनों नेताओं के बीच मतभेदों की खाई और चौड़ी हो गई थी। तंवर तमाम कोशिशों के बाद कांग्रेस में रहते हुए हुड्डा को पीछे नहीं धकेल पाये और फिर उन्होंने 2019 में कांग्रेस को छोड़ दिया था।
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