Food
- अकेले रोहतक में जिले में हर साल 27055 मीट्रिक टन पेस्टीसाइड की खपत
- पूरे हरियाणा में तो इसकी खपत और भी कहीं कई गुना ज्यादा होगी
- खाने में चूजी बनें और स्टीट फूड से बचें, तभी रह सकेंगे स्वस्थ
Food : रोहतक। हमारी खाने की थाली लगातार जहरीली होती जा रही है। खेतों में बढ़ता रसायनिक खाद और पेस्टीसाइड का प्रयोग हमारे खाने को खराब कर रहा है। इसके कारण बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। कुछ समय पहले केंद्रीय कृषि मंत्रालय की टीम ने रोहतक की सब्जी और फलों में कीटनाशकों की मात्रा जांचने के लिए नई सब्जी मंडी से सैंपल लिए थे। अब इनकी रिपोर्ट आ गई है। बैंगन में पेंडामेथलिक, गोभी में साइपरमैथरिन, तोरी में प्रोफेनोफोस, टमाटर में फायरमिथाजूल, गोभी में प्रोफेनोफोस, भिंडी में थायोमिथाल, टमाटर में हेगेजोकोनजोल, खीरा में डेल्टा मेथरीन, केला में प्रोफनोफोस, संतरा में टैबूकोनाजोल, अनार में कारबैंडाजिम फिपरोनील क्लोरोपाइटिफोस, धान में मैलाथियान, गेहूं में क्लोरपाईटिफोस और चना में प्रोपीकोनाजोल की मात्रा तय मानकों से ज्यादा मिली है। ध्यान रहे कि रोहतक में हर साल 27055 मीट्रिक टन पेस्टीसाइड डालते हैं, जिससे खेती उत्पाद जहर बन जाते हैं। रसायनों की खपत में 10-12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हर साल हो रही है।
कीटनाशकों की मात्रा तय मानदंडों से अधिक
कीटनाशकों की मात्रा तय मानदंडों से कहीं अधिक है। हालांकि इस बारे में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों ने कुछ नहीं बताया, लेकिन पिछले दिनों विभाग में एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसका मकसद किसानों को कम से कम कीटनाशकों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना था। इस प्रोग्राम में उस गांव के किसान भी शामिल किए गए, जो रोहतक शहर के आसपास सब्जी की खेती करते हैं। भिवानी रोड और हिसार रोड के बीच एक गांव के खेतों से भी सब्जियों के नमूने लिए गए थे। इन सैंपल में भी पेस्टीसाइड ज्यादा मिले। इतना ही नहीं सब्जी मंडी से लिए गए फल नमूने भी फेल हो गए हैं। अनाज मंडी रोहतक के धान, गेहूं और चना भी खाने के लायक नहीं मिला।
चना के सैंपल भी फेल
धान व गेहूं की पैदावार स्थानीय किसान करते हैं, लेकिन हैरत ये है कि चना के सैंपल भी फेल मिलना बड़ी बात है। क्योंकि रोहतक में तो चना पैदा ही नहीं होता। चना अनाज मंडी के व्यापारी भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़ या फिर राजस्थान और मध्य प्रदेश से मंगवाते हैं। केला, संतरा और अनार तो हरियाणा में पैदा ही कहां होता है। ये भी दूसरे प्रदेशों से हरियाणा की मंडियों में पहुंचता है। ऐसे में कुल मिलाकर हर प्रदेश का किसान खेती में अंधाधुंध रसायनों का प्रयोग कर रहा है। जो मनुष्य के लिए अति घातक साबित हो रहा है। कीटनाशकों के प्रयोग से तैयार हुए अनाज, सब्जी और फल जब हम खाते हैं तो शरीर में कई तरह की भंयकर बीमारियां लगती हैं।
किसान बरतें सावधानी
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के गुण नियंत्रक निरीक्षक डॉ. राकेश कुमार कहते हैं कि जिस भी फसल पर किसान कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं, उसे मंडी में बेचने के लिए तुरंत न लेकर जाएं, क्योंकि कीटनाशकों का फसल पर कुछ दिन ज्यादा असर रहता है। इसके बाद धीरे-धीरे प्रभाव कम हो जाता है। डॉ. कुमार कहते हैं कि जो सैंपल लिए गए थे, हो सकता है कि किसान कीटनाशक का स्प्रे करने के अगले एक दो दिन में उसे बेचने के लिए मंडी पहुंच गए हों। किसान कीटनाशकों की सलाह पर फसलों में बिल्कुल भी कीटनाशकों का प्रयोग न करें। डॉ. कुमार ने एक और खुलासा किया है कि अब तो किसान विक्रेताओं से हाई डोज वाले कीटनाशक खरीदकर उसके स्प्रे करने लगे हैं, जोकि बहुत ही बड़ी चिंता का विषय है।
किसानों को जागरूक होना जरूरी
कृषि उत्पादों में तय मानक से ज्यादा कीटनाशक मिले हैं। पिछले दिनों उनके विभाग में किसानों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करवाया था। इसमें किसानों को प्रेरित किया गया है कि वे फसल में कीटनाकों का स्प्रे करने के तुरंत बाद उसे बेचने के लिए तुरंत मंडी में न लेकर जाएं। क्योंकि तुरंत की अवस्था में उत्पादों पर रसायनों का ज्यादा असर रहता है। कीटनाशकों का प्रयोग कम करने की सलाह भी किसानों को दी गई है। -डॉ. प्रवीन शर्मा, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, रोहतक
https://vartahr.com/food-our-food-is…s-and-vegetables/