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  • सरकार बना रही नया कानून, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है बिल
  • हरियाणा बनेगा वाटर स्मार्ट स्टेट, सरकार लाएगी जल संरक्षण के लिए नया कानून
  • जनस्वास्थ्य मंत्री रणबीर गंगवा बोले, भविष्य के लिए पानी बचाना बेहद जरूरी
  • महाग्राम योजना के तहत अगले दो वर्षों में सभी गांवों में शहरी की तर्ज पर सुविधाओं की जायेंगी सुनिश्चित

पंचकूला। हरियाणा के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं लोक निर्माण मंत्री रणबीर गंगवा ने कहा कि राज्य सरकार आमजन को स्वच्छ, पर्याप्त और निर्बाध जलापूर्ति उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। पीने के पानी की बर्बादी रोकने, लीकेज की समस्या दूर करने और जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार एक नया अधिनियम लाने पर गंभीरता से कार्य कर रही है। रणबीर गंगवा स्थानीय रेड बिशप, पंचकूला में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हरियाणा में पीने का पानी वेस्टेज से बचाने के लिए अब जनस्वास्थ्य विभाग नया एक्ट बनाने की तैयारी कर रहा है। जिसकी ड्राफ्टिंग चल रही है, इसी शीतकालीन विधानसभा सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा और इसे हरियाणा में लागू किया जाएगा। हरियाणा के पेयजल समस्या से निपटने के लिए विभाग के नए एक्ट में खुले छोड़ने वालों, अवैध कनेक्शन लेने वालों, पानी का बिल जमा नहीं करवाने वालों पर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जिस प्रकार से नहरी पानी की चोरी रोकने और बिजली चोरी रोकने पर कानूनी प्रक्रिया अमल में लाई जाती है, उसकी प्रकार से अब पेयजल पानी पर भी जनस्वास्थ्य विभाग एक्ट आने पर कार्रवाई करने का अधिकार रख सकेगा।

जल संरक्षण को बढ़ावा देंगे

अधिनियम का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना और नागरिकों तक निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है । उन्होंने बताया कि अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, जिसके बाद अब इसे विधानसभा में पारित किया जाएगा। मंत्री ने आमजन से अपील की कि वे जल संरक्षण में सरकार का सहयोग करें और पानी को व्यर्थ न बहने दें। गंगवा ने बताया कि यह विभाग द्वारा आयोजित अपनी तरह की पहली कार्यशाला है, जिसमें जेई से लेकर ईआईसी स्तर तक के अधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान प्रतिभागियों ने तकनीकी अनुभव साझा किए और सेवा गुणवत्ता सुधारने के उपायों पर विचार-विमर्श किया।

आईआईटी रूड़की से आए विशेषज्ञों ने भी अधिकारियों का तकनीकी मार्गदर्शन किया

आईआईटी रूड़की से आए विशेषज्ञों ने भी अधिकारियों का तकनीकी मार्गदर्शन किया। कार्यशाला में तकनीकी दक्षता बढ़ाने, जल गुणवत्ता सुधार, परियोजना निष्पादन में पारदर्शिता, आधुनिक जल प्रबंधन, सीवरेज व बाढ़ नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति की गति व निगरानी प्रणाली सुदृढ़ करने जैसे विषयों पर चर्चा की गई। मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि गांवों में भी शहरों जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं, ताकि ग्रामीणों को आवश्यकताओं के लिए शहरों की ओर न जाना पड़े। इसके तहत महाग्राम योजना में 10,000 से अधिक आबादी वाले 148 गांव चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 17 गांवों में पेयजल, सीवरेज एवं एसटीपी की व्यवस्था पूरी की जा चुकी है, जबकि 30 गांवों में कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि अगले दो वर्षों में योजना के सभी गांवों में शहरी सुविधाओं की तर्ज पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी।

“वाटर स्मार्ट स्टेट”बनाना हमारा संकल्प

गंगवा ने बताया कि विभाग को बरसात के बाद जलभराव की समस्या से निपटने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा को “वाटर स्मार्ट स्टेट”बनाना हमारा संकल्प है, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “हर घर नल से जल” के विजन को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग का प्रत्येक अधिकारी यदि आमजन की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहेगा तो किसी भी समस्या का समाधान तुरंत हो सकेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी अधिकारियों , कर्मचारियों एवं आमजन के सामूहिक प्रयासों से हरियाणा देश का अग्रणी वाटर स्मार्ट स्टेट बनेगा, जिसका अनुसरण अन्य राज्य भी करेंगे।

सख्त निर्देश दिए गए

मंत्री ने बताया कि सीवरेज की सफाई मैन्युअल रूप से करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं ताकि ऐसे कार्यों के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना न हो। इसके साथ ही अधिकारियों को आगामी 30 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सीवरेज और पेयजल आपूर्ति की दीर्घकालिक योजना तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत गांवों में वॉटर वर्क्स, पाइपलाइन बदलने तथा बूस्टिंग स्टेशन स्थापित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसा कोई गांव नहीं है जहाँ एक से पाँच करोड़ रुपये तक के विकास कार्य न करवाए गए हों। विभाग द्वारा वर्तमान में 55 प्रतिशत ट्यूबवेल आधारित तथा 45 प्रतिशत नहर आधारित जलापूर्ति की जा रही है।

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