UCC
- पोर्ट्रल पर सबसे पहले सीएम धामी ने विवाह पंजीकरण कराया
- मुख्यमंत्री धामी ने पोर्टल लॉन्च कर अधिसूचना जारी की
- अब हलाला, एक से ज्यादा शादियों, तीन तलाक पर पूरी तरह रोक
UCC : देहरादून। उत्तराखंड में सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी गई, जिसके साथ ही यह स्वतंत्र भारत में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया। यहां मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिसूचना जारी कर यूसीसी को लागू किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली तथा विवाह, तलाक, सहवासी संबंध के अनिवार्य आनलाइन पंजीकरण हेतु एक पोर्टल की शुरुआत की। अब राज्य में हलाला, तीन तलाक और एक से अधिक शादी पर पूरी तरह से रोक रहेगी। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने यूसीसी लाने का वादा किया और इसकी शुरुआत के मौके पर राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, विधायक और अनेक नेता मौजूद थे।
यह ऐतिहासिक दिन
यूसीसी पोर्टल पर सबसे पहले मुख्यमंत्री ने अपने विवाह का पंजीकरण कराया। कार्यक्रम में मौजूद प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उनके विवाह पंजीकरण का प्रमाणपत्र उन्हें सौंपा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने यूसीसी के तहत पंजीकरण कराने वाले 5 व्यक्तियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन है। इसी क्षण से उत्तराखंड में पूरी तरह से यूसीसी लागू हो गया है। सभी नागरिकों के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गए हैं।’
यूसीसी से क्या बदलेगा
-समान संपत्ति अधिकार : बेटे और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वह किस कैटेगरी के हैं।
-मौत के बाद संपत्ति : अगर किसी व्यक्ति की मौत जाती है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड उस व्यक्ति की संपत्ति को पति/पत्नी और बच्चों में समान रूप से वितरण का अधिकार देता है। इसके अलावा उस व्यक्ति के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। पिछले कानून में ये अधिकार केवल मृतक की मां को मिलता था।
-समान कारण पर ही मिलेगा तलाक : पति-पत्नी को तलाक तभी मिलेगा, जब दोनों के आधार और कारण एक जैसे होंगे। केवल एक पक्ष के कारण देने पर तलाक नहीं मिल सकेगा।
-लिव इन का रजिस्ट्रेशन जरूरी : उत्तराखंड में रहने वाले कपल अगर लिव इन में रह रहे हैं तो उन्हें इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि ये सेल्फ डिक्लेरेशन जैसा होगा, लेकिन इस नियम से अनुसूचित जनजाति के लोगों को छूट होगी।
-संतान की जिम्मेदारी : यदि लिव इन रिलेशनशिप से कोई बच्चा पैदा होता है तो उसकी जिम्मेदारी लिव इन में रहने वाले कपल की होगी। दोनों को उस बच्चे को अपना नाम भी देना होगा। इससे राज्य में हर बच्चे को पहचान मिलेगी।