Tiger day
- आठ बाघों की मौत के साथ उत्तराखंड दूसरे स्थान पर
- महाराष्ट्र और कर्नाटक सात-सात बाघों की जान गई
Tiger day : नई दिल्ली। दुनियाभर में सोमवार को ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस-2024’ मनाया गया। इसका उद्देश्य जैव विविधता में संतुलन को बनाए रखने के लिए बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। भारत भी लगातार बाघों के संरक्षण के लिए प्रयास कर रहा है। लेकिन इसके उलट एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि देश में हर साल बाघों की मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है। भारत में इस साल जनवरी से जुलाई तक 53 बाघों की मौत हुई है। इसमें मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 16 और उत्तराखंड में 8 बाघों की मौत हुई है। तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं। जहां 7-7 बाघ काल का ग्रास बन गए। यह आंकड़ा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर दिया गया है।
इन राज्यों में मौतें
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में 12 राज्यों में कुल 53 बाघ मारे गए हैं।
राज्य मौतें
- मध्य प्रदेश 16
- उत्तराखंड 08
- महाराष्ट्र 07
- कर्नाटक 07
- उत्तर प्रदेश 04
- राजस्थान 03
- तेलंगाना 02
- असम 02
- केरल 02
- ओडिशा 01
- तमिलनाडु 01
अभ्यारणों में सुरक्षित नहीं
कुल 53 बाघों में से 32 की मौत अभ्यारणों में हुई है, जबकि 21 बाघ अभ्यारणों के बाहर मारे गए हैं।
पांच साल में 481 की मौत
एनटीसीए की वेबसाइट के हिसाब से वर्ष 2020 से 2024 तक (जुलाई तक) 481 बाघों की मौत हुई है। इसमें सबसे ज्यादा 143 बाघों की मौत पिछले साल 2023 में हुई है। इसके बाद 2022 में 112, 2020 में 106, 2021 में 68 और मौजूदा साल में अब तक 53 बाघ मारे जा चुके हैं।
ये कारण
-2020 में प्राकृतिक कारणों से 60.38 फीसद बाघ मारे गए।
-2021 में यह आंकड़ा 53.70 फीसदी और 2022 में 37.78 फीसदी।
-तस्करी से 2020 में 28.30 फीसदी बाघ मारे गए। 2021 में 12.96 फीसदी और 2022 में 22.22 फीसदी बाघ मारे गए।
-अप्राकृतिक कारणों की वजह से मारे गए बाघों का आंकड़ा 2020 से 2022 तक क्रमश: 3.77 फीसदी, 20.37 फीसदी और 28.89 फीसदी रहा।
-2019 से 2023 तक बाघों के शरीर के अलग-अलग अंगों की जब्ती के 29 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें सर्वाधिक 10 मामले वर्ष 2019 में सामने आए थे।
भारत में रहते 75 फीसदी बाघ
दुनिया के मुकाबले भारत में बाघों की आबादी 75 फीसदी है। हर चार साल में इनकी आधिकारिक संख्या जारी की जाती है। 2023 में देश में 3 हजार 682 बाघ थे। 2019 में 2 हजार 967, 2014 में 2 हजार 226, 2010 में 1 हजार 706 और 2006 में 1 हजार 411 थे।
आईबीसीए में शामिल हुए 16 देश
बाघ परियोजना की 50 वीं वर्षगांठ के मौके पर पिछले साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इंटरनेशनल बिग केट अलायंस के गठन की घोषणा की थी। इसके लिए पांच वर्ष तक के लिए 150 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई है। इसके जरिए बाघों की मौजूदगी वाले दुनिया के 96 रेंज देशों में इनके संरक्षण को बढ़ावा दिया जाना है। अब तक फिलहाल 16 देश भारत की इस मुहिम के साथ जुड़ चुके हैं।
ये देश भारत से जुड़े
बांग्लादेश, आर्मेनिया, भूटान, ब्राजील, कंबोडिया, मिस्र, इथोपिया, इक्वाडोर, केन्या, मलेशिया, मंगोलिया, नेपाल, नाइजीरिया, पेरु शामिल हैं। इसके अलावा आईयूसीएन (स्विट्जरलैंड), साइंस एंड कंजर्वेशन इंटरनेशनल स्नो लैपर्ड ट्रस्ट (किर्गिस्तान) और रूस का द एमर टाइगर सेंटर भी आईबीसीए में भागीदार के रूप में शामिल हुए हैं।
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