Sonipat
- एक मई को किया गया था ऑपरेशन
- बाईं किडनी में पथरी की थी शिकायत
- ऑपरेशन के बाद दिल्ली में 50 दिन चला महिला का उपचार
- जांच के लिए बनाए गए मेडिकल बोर्ड ने भी मानी डॉक्टर की लापरवाही
- सेक्टर 27 थाना पुलिस ने दर्ज किया केस, पुलिस ने शुरू की जांच
Sonipat : सोनीपत। बहालगढ़ रोड पर स्थित ट्यूलिप अस्पताल में एक महिला की दोनों किडनी निकालने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि 4 माह पुराने इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का केस किया गया है। मेडिकल बोर्ड ने भी जांच के बाद डॉक्टर को लापरवाही का दोषी पाया था। इसके बाद ही कार्रवाई की गई है। पीडि़त के पति ने अस्पताल प्रबंधन व घटना के समय ऑपरेशन थियेटर में नियुक्त स्टाफ पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है। राजेंद्र नगर निवासी आनंद ने सेक्टर-27 थाना पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी वीना की बाएं तरफ की किडनी में पथरी थी। जिससे वह परेशान थीं। पत्नी का उपचार ट्यूलिप अस्पताल में डॉ. गौरव सिंह रंधावा के पास चल रहा था। 27 अप्रैल को डॉ. रंधावा ने उन्हें बताया कि वीना की बाएं तरफ की किडनी में पथरी होने की वजह से यह डमेज हो गई है। इसे निकालना पड़ेगा। इस पर उन्होंने डॉक्टर की बातों पर विश्वास कर वीना को 29 अप्रैल को दाखिल करवा दिया था। इसके बाद 1 मई को सुबह वीना का ऑपरेशन हुआ। आनंद का कहना है कि जब वह पत्नी से मिलने गए तो देखा कि वीना बेसुध थी।
पत्नी की किडनी चुराने का केस दर्ज करवाया
जब वीना को होश नहीं आया तो वे डॉ रंधावा के पास गए तो उन्होंने फिर उनकी पत्नी की सभी रिपोर्ट दोबारा देखी। रिपोर्ट देखने के बाद गौरव ने हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। गलती से वीना की दोनों किडनी निकाल दी हैं। इस पर आनंद की बहन मंजू ने डायल 112 पर काल कर इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। आनंद ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि डॉ. रंधावा, ऑपरेशन थिएटर स्टाफ और अस्पताल प्रबंधन ने जालसाजी और छल-कपट करके उसकी पत्नी की किडनी चुराने व उसको जान से मारने की कोशिश की है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज किया है।
मेडिकल बोर्ड से जांच, दिल्ली में इलाज
मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से नागरिक अस्पताल के डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड बनाया गया था। मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट में डॉक्टर की लापरवाही सामने आई है। जिसके बाद चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं, महिला के परिजनों के रोष जताने के बाद निजी अस्पताल की तरफ से दिल्ली के एक नामी अस्पताल में महिला का उपचार कराया गया था। जिसमें 50 दिन बाद उपचार के बाद महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल की तरफ से तब कहा गया था कि परिजनों ने महिला को किडनी देने की बात कही थी, लेकिन बाद में किडनी नहीं दी थी।
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