Mock Drill
- देशभर में 300 जिलों में परमाणु संयंत्रों, रिफाइनरी और अहम प्रतिष्ठानों पर ड्रिल
- सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को संवेदनशीलता के आधार पर 3 कैटेगरी में बांटा गया
- कैटगरी-1 सबसे संवेदनशील और कैटेगरी-3 कम सेंसेटिव जिले शामिल किए
- गृह मंत्रालय ने 5 मई को सभी राज्यों को मॉक ड्रिल कराने के आदेश जारी किए थे
Mock Drill : नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से तनाव के बीच बुधवार को देश के परमाणु संयंत्रों, सैन्य ठिकानों, रिफाइनरी और जलविद्युत बांधों जैसे संवेदनशील प्रतिष्ठानों वाले करीब 300 ‘नागरिक सुरक्षा जिलों’ में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन, ‘शत्रुतापूर्ण हमले’ के लिए नागरिक प्रशिक्षण और बंकरों और खंदकों की सफाई के साथ सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन इलाकों को सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट के तौर पर लिस्ट किया है। ये सामान्य प्रशासनिक जिलों से अलग हैं। सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर 3 कैटेगरी में बांटा गया है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में लोगों की सक्रिय सहभागिता के साथ ‘मॉक’ अभ्यास करने पर विस्तार से चर्चा की गई।
इसलिए लिया फैसला
पहलगाम आतंकी हमले के बाद उभरे ‘नए और जटिल खतरों’ को देखते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से बुधवार को मॉक ड्रिल करने को कहा है। सभी राज्यों में अधिकारी मॉक ड्रिल के दौरान शिक्षण संस्थानों के छात्रों, सरकारी और निजी संस्थानों के कर्मचारियों, अस्पताल कर्मचारियों, रेलवे और मेट्रो अधिकारियों के अलावा पुलिस, अर्द्धसैनिक और रक्षा बलों के वर्दीधारी कर्मियों को भी शामिल करेंगे।
क्या है मॉक ड्रिल
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक तरह की प्रैक्टिस है, जिसमें यह देखा जाता है कि अगर कभी कोई इमरजेंसी जैसे- हवाई हमला या बम हमला हो जाए तो आम लोग और प्रशासन कैसे और कितनी जल्दी रिएक्ट करता है। इसका उद्देश्य इमरजेंसी के समय दहशत को कम करना, अराजकता फैलने से रोकना और जान बचाना है। मॉक ड्रिल नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 के अंतर्गत कराया जाता है
क्या करना होगा
-एयर स्ट्राइक/हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाना।
-हमले के दौरान आम लोगों को खुद की सुरक्षा करने की ट्रेनिंग देना।
-मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट करना।
-एयरबेस व ऑयल रिफाइनरी समेत अहम कारखानों और ठिकानों को हमले के वक्त छिपाना।
-आम लोगों से जगह खाली कराना और उनको सुरक्षित जगह पहुंचाने की ट्रेनिंग।
-लोगों की मदद करने वाली टीम, फायरफाइटर्स और रेस्क्यू ऑपरेशन का मैनेजमेंट किया जाएगा।
-इमरजेंसी मे कंट्रोल रूम और सहायक कंट्रोल रूम की वर्किंग का रिव्यू होगा।
-एयर रेड वॉर्निंग सिस्टम की अलर्टनेस चेक करना।
-एयरफोर्स के साथ हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन को जोड़ना।
मॉक ड्रिल के बाद क्या होगा
जब मॉक ड्रिल हो जाएगी तो ड्रिल में शामिल होने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एक्शन रिपोर्ट पेश करनी होगी। इस रिपोर्ट में एक्शन, कार्यान्वयन, निष्कर्ष और सुधार के क्षेत्रों का विवरण होगा।
3 कैटेगरी में बंटे देश के 259 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट
-कैटेगरी 1 : सबसे संवेदनशील जिले इसमें 13 जिले शामिल।
-कैटेगरी 2 : इसमें संवेदनशील, जिसमें 201 जिले शामिल।
-कैटेगरी 3 : सबसे कम संवदेनशील, इसमें 45 जिले शामिल।
गृह मंत्रालय की गाइडलाइन, मेडिकल किट और टॉर्च-कैश साथ रखें
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, नागरिकों को यह हिदायत भी दी जाएगी कि वे मेडिकल किट, राशन, टॉर्च और मोमबत्तियां अपने घरों पर रखें। इसके अलावा कैश भी साथ रखें, क्योंकि इमरजेंसी में मोबाइल और डिजिटल ट्रांजैक्शन फेल हो सकते हैं।
आखिरी मॉक ड्रिल कब की गई <B>नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित मॉक ड्रिल बेहद असामान्य कदम है। हाल-फिलहाल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए किसी भी संघर्ष के दौरान ऐसा कोई मॉक ड्रिल नहीं किया गया। राज्यों में आखिरी मॉक ड्रिल आज से 54 साल पहले 1971 में हुआ था। तब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए हुआ युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध में बदल गया था जो देश की पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर लड़ा गया था। उस समय नागरिकों की जान-माल को कम से कम नुकसान पहुंचे, इसके लिए ऐसा अभ्यास किया गया था।