Justic
- -नकदी बरामदगी मामले में कड़ा एक्शन
- -इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन फैसले के विरोध में
- -विपक्षी नेता बोले, वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाया जाए
- -जांच के लिए तीन जजों की कमेटी भी हो चुकी है गठित
- -500-500 रुपये के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले
- -2021 में वर्मा का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट में हुआ था
- -यहां वह वरिष्ठता क्रम में तीसरे नंबर पर थे
Justic : नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से सोमवार को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक न्यायिक कार्य वापस ले लिया। वहीं, प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके पैरेंट कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट) वापस ट्रांसफर की सिफारिश का प्रस्ताव जारी किया। दूसरी तरफ, इलाहाबाद ह बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। 23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था। 23 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद भेजने की बात की इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। विपक्ष ने भी जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। कुछ विपक्षी नेताओं ने सुझाव दिया कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए। बता दें कि न्यायमूर्ति वर्मा उनके सरकारी आवास में लगी आग को बुझाए जाने के दौरान कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये मिलने के बाद जांच का सामना कर रहे हैं। उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लिए जाने के संबंध में सोमवार को नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट की वेबसाइट पर नोट प्रकाशित
हाईकोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अन्य नोट में कहा गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ-3 का कोर्ट मास्टर सोमवार से पहले सूचीबद्ध मामलों में तारीखें निर्धारित करेगा। रजिस्ट्रार की ओर से अदालत की वेबसाइट पर जारी नोट में कहा गया है, ‘हाल की घटनाओं के मद्देनजर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य अगला आदेश जारी किए जाने तक तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है।’
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने किया नोट
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय के नोटिस के बाद रजिस्ट्रार द्वारा यह नोट जारी किया गया। सीजेआई संजीव खन्ना ने इससे पहले न्यायमूर्ति उपाध्याय से कहा था कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। न्यायमूर्ति वर्मा एक खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, जो बिक्री कर, माल एवं सेवा कर, कंपनी अपील और मूल पक्ष की अन्य अपीलों के मामलों पर विचार कर रही थी। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ द्वारा संचालित ‘रोस्टर’ अब न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ को आवंटित कर दिया गया है। अब खंडपीठ-3 की अध्यक्षता न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह करेंगी।
मुझे बदनाम किया जा रहा : न्यायमूर्ति वर्मा
न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी बरामदगी विवाद में अपने ऊपर लगे आरोप सिरे से खारिज किए हैं। उन्होंने कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने उनके आवास के स्टोररूम में कभी कोई नकदी नहीं रखी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दिए गए अपने जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि उनके आवास से नकदी बरामद होने का आरोप स्पष्ट रूप से “उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश” प्रतीत होता है।
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