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- जींद में नर्सिंग स्टाफ को दी स्पेशल ट्रेनिंग, बीमारी वाले बच्चों का तुरंत करवाएंगी रजिस्टे्रशन
- -जन्मजात बीमारी वाले बच्चों को मुफ्त उपचार के लिए करवाना होता है रजिस्ट्रेशन
- -दिल के छेद वाले बच्चों के आप्रेशन पर दो साल में खर्च किए साढ़े तीन करोड़
- -डा. रमेश पांचाल, हर पीएचसी, सीएचसी से एक-एक नर्स व स्टाफ को चुना गया है व उन्हें ट्रेनिंग दी
jind : जींद। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म के साथ ही बीमारी वाले बच्चों की स्पेशल स्क्रीनिंग करवाई जा रही है। ऐसे बच्चों की शीघ्रता से पहचान कर उन्हें सरकार द्वारा देय मुफ्त सुविधाएं दिलाई जा सकें, इसके लिए नर्सों, डिलीवरी करवाने वाली स्टाफ को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि जब भी बच्चा पैदा होता है और उसके दिल में छेद हो, कमर का फोड़ा हो, होट कटे हों, पैर टेढे हों की तुरंत प्रभाव से जांच कर इन बच्चों को हरियाणा सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। नागरिक अस्पताल के ट्रेनिंग सेंटर में हर पीएचसी, सीएचसी से एक-एक नर्स व स्टाफ को चुना गया है व उन्हें ट्रेनिंग दी गई है।
उपचार के लिए करवाना होता है रजिस्ट्रेशन
कई बार बच्चे के जन्म के समय ही दिल का छेद, पैरों का टेढ़ापन, आंखों का भैंगापन, जन्मजात बहरापन, मोतियाबिंद, कटे हुए होठ व तालू की कई तरह की परेशानी होती हैं। संसाधन उपलबध न हो पाने के कारण अभिभावक इन बच्चों का उपचार नही करवा पाते। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इन अभिभावकों की मदद करता है और उन्हें मुफ्त उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाता है। इसी को लेकर नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई है ताकि जब भी ऐसे बच्चों का पता चले तो वे तत्काल उसका रजिस्ट्रेशन नागरिक अस्पताल में करवाकर उपचार की सुविधा ले सकें।
आरबीएसके की 12 गाडि़यां जुटी स्पेशल स्क्रीनिंग में
विभाग के पास कुल 12 गाडिय़ां हैं, जो अलग-अलग जगहों पर स्क्रीनिंग करती हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीम द्वारा राजकीय स्कूलों व आंगनवाड़ी केंद्रों में समय-समय पर जाकर 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। विभाग की टीम द्वारा जांच के दौरान स्वास्थ्य में कुछ कमी पाए जाने पर नागरिक अस्पताल जींद में भेजा जाता है। इसके अलावा स्वास्थ्य में अधिक परेशानी होने पर पीजीआई चंडीगढ़, रोहतक व मोहाली के फोरटी अस्पताल में मुफत इलाज कराया जाता है। अगर किसी भी 0 से 18 वर्ष तक के बच्चें को जन्मजात रोग जैसे दिल में छेद, कमर में फोड़ा, कटे होंठ, जन्मजात मोतिया, गंभीर खून की कमी, गंभीर कुपोषण व आंखों का भैंगापन होने पर आरबीएसके की टीम से संपर्क कर सकते है।
क्या कहते हैं सीएमओ
नागरिक अस्पताल के डिप्टी सीएमओ डा. रमेश पांचाल ने बताया कि आरबीएसके के तहत नर्सिंग ऑफिसर, नर्सों को ट्रेनिंग दी गई है। उन्होंने स्टाफ से कहा है कि जब भी बच्चे को कोई दिक्कत हो तो, उसे डीआईसी सेंटर भेजा जाए ताकि उसकी स्क्रीनिंग करवा कर मुफ्त उपचार की सुविधा दी जा सके। पिछले कई सालों से लगातार दिल के छेद वाले बच्चों के आप्रेशन करवाए गए हैं। जिन पर सरकार द्वारा साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। डीआईसी की पूरी टीम इस कार्य में लगी हुई है।
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