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Haryana : गुरुग्राम जमीन घोटाले में वाड्रा से ईडी ने की छह घंटे तक पूछताछ

Haryana

  • गुरुग्राम में शिकोहपुर भूमि घोटाला
  • पूछताछ के लिए आज फिर तलब किया
  • रॉबर्ट पैदल चलकर ईडी ऑफिस पहुंचे
  • बोले, यह कार्रवाई राजनीतिक मंशा से हो रही
  • इस मामले में पूर्व सीएम हुड्डा भी हैं आरोपित

Haryana : नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2008 में हरियाणा के गुरुग्राम में शिकोहपुर भूमि घोटाले के मामने में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से 6 घंटे तक पूछताछ की और बयान दर्ज किए। उन्हें बुधवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। वाड्रा मंगलवार को पैदल चलकर ही ईडी के ऑफिस पहुंचे थे। ईडी ने जमीन सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पूछताछ के लिए उन्हें ये दूसरा समन भेजा था। वाड्रा इससे पहले 8 अप्रैल को भेजे गए पहले समन पर पेश नहीं हुए थे। बता दें कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा भी आरोपित हैं। उन पर आरोप है कि सीएम रहते हुए उन्होंने वाड्रा की कंपनी को मुनाफा पहुंचाया।

बदले की भावना से कार्रवाई

ईडी कार्यालय जाते समय वाड्रा ने कहा कि यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावा से हो रही है। जब भी मैं लोगों की आवाज बुलंद करूंगा, या राजनीति में आने की कोशिश करूंगा, ये लोग मुझे दबाएंगे और एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे। मैं हमेशा सभी सवालों के जवाब देता हूं और देता रहूंगा। केस में कुछ है ही नहीं। 20 बार गया हूं, 15-15 घंटे बैठा हूं। मैंने 23 हजार डॉक्यूमेंट दिए हैं, फिर कहते हैं दोबारा डॉक्यूमेंट दो, ऐसे थोड़ी चलता है।

करीब दो किमी पैदल चलकर पहुंचे

मध्य दिल्ली के सुजान सिंह पार्क स्थित अपने आवास से वाद्रा एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी मुख्यालय तक करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे। वह अपने वकील के साथ पूर्वाह्न 11 बजे ईडी कार्यालय में दाखिल हुए, जबकि उनकी सुरक्षा टीम बाहर ही रही।

यह है मामला

यह जांच हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर (अब गुरुग्राम में सेक्टर 83) में एक भूमि सौदे से जुड़ी है। जांच फरवरी 2008 में हुए एक भूमि सौदे से संबंधित है, जिसमें वाद्रा से जुड़ी एक कंपनी, ‘स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ ने गुरुग्राम के शिकोहपुर में ‘ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज’ नामक कंपनी से 7.5 करोड़ में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। उस समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। चार साल बाद सितंबर 2012 में कंपनी ने इस 3.53 एकड़ जमीन को रियल्टी कंपनी ‘डीएलएफ’ को 58 करोड़ में बेच दिया। यह भूमि सौदा अक्टूबर 2012 में उस समय विवादों में आ गया था, जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को राज्य चकबंदी अधिनियम और कुछ संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए दाखिल खारिज को रद्द कर दिया था। हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस सौदे की जांच के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

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