Emergency
-लक्ष्मी चंद गुप्ता 21 महीने जेल में रहे, किडनी खराब हुई, व्यापार बंद हुआ
-रोहतक जेल में ही देश प्रदेश से अनेक आंदोलनकारियों को बंद किया गया
– लक्ष्मी चन्द गुप्ता ने रोहतक, करनाल, अंबाला, संगरूर, पटियाला ओर नासिक जैसी जेलों की यातनाएं सही
-25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित रहा
रोहतक। वर्ष 1975 की 25-26 जून की रात आते ही आज भी Emergency की यादें ताजा हो जाती हैं। रोहतक के कई आंदोलनकारियों को जेल में डाल दिया गया। कई को आधी रात को ही पुलिस ने उठा लिया। यही नहीं रोहतक जेल में ही देश प्रदेश से अनेक आंदोलनकारियों को बंद किया गया था। इनमें से एक लक्ष्मी चन्द गुप्ता भी थे। गुप्ता ने रोहतक, करनाल, अंबाला, संगरूर, पटियाला ओर नासिक जैसी जेलों की यातनाएं भी सही। जेल में उनके साथी लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल, बीजू पटनायक, डॉ. मंगल सैन, हरद्वारी लाल, मधु दंडवते, सिकंदर बक्त, मनोहर लाल सैनी, पीलू मोदी भी रहे। इमरजेंसी में लक्ष्मी चन्द गुप्ता 21 महीने जेल में रहे। 21 महीने के कारावास के बाद जब वो जेल से बाहर आए तो एक किडनी खराब हो चुकी थी। परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी। अपने छोटे भाई प्रेम चन्द को भी खो चुके थे। कपड़े का थोक का व्यापार बन्द हो चुका था। परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने वकालत का सहारा लेना पड़ा था। गुप्ता ने अनेक आंदोलनों के चलते जेल में 26 बार यात्राएं की। बता दें कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में Emergency घोषित थी।
रात 2 बजे गिरफ्तार किया
उनके बेटे विजय लक्ष्मी चन्द गुप्ता बताते हैं कि Emergency का काला दिन याद आते ही आज भी हमारे परिवार के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस दौरान कैसे अचानक आरएसएस के और देश भक्तों पर कहर बरपा था। आपातकाल के दिन हरियाणा में डॉ. मंगल सैन के बाद रात 2 बजे उनके दिल्ली बाईपास रोड स्तिथ खेत से पुलिस ने लक्ष्मी चन्द गुप्ता को गिरफ्तार किया। उस समय गुप्ता जनसंघ के प्रदेश महामंत्री थे और लोक नायक जय प्रकाश नारायण द्वारा जन आंदोलन के हरियाणा के महामंत्री भी थे।
माता के कारण बचा कार्यालय
गुप्ता बताते हैं कि आपात काल के समय एक समय ऐसा आया जब संघ कार्यलय पर कब्जा करने के लिए पुलिसकर्मियों को भेजा गया। जब पुलिस वालों ने संघ कार्यलय को घेरा तो उसी समय लक्ष्मी चन्द गुप्ता की माता भगवती देवी अपने साथ पांच भैसों को संघ कार्यलय में ले आई और पुलिसकर्मी एसएचओ चन्दू लाल को लताड़ने लगी। भगवती देवी ने कहा कि यह जमीन हमारी है। ज्ञात रहे कि उस समय यह जमीन लक्ष्मी चन्द गुप्ता और आनन्द स्वरूप के नाम थी और गुप्ता के यहां हर समय 4-5, भैंस रहती थी। इस तरह उनकी माता की वजह से संघ कार्यलय बचा।
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सड़कों पर उतरे शिक्षकों को जेलो में डालकर केस दर्ज किए

– 19 महीने जेल में रहे आरडी शर्मा
मेरे पिता रामदत्त (आरडी) शर्मा शिक्षक थे। जिले के कई स्कूलों में पढ़ाया और मिडिल स्कूल के हेड शिक्षक भी रहे। 1987 में फरल राजकीय स्कूल से रिटायर हुए। 1975 में Emergency के दौरान शिक्षकों की पेंशन और सरकार द्वारा दूर दराज के स्कूलों में तबादला करने के विरोध में आंदोलन हुआ। उस समय बंसीलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मेरे पिता को कैथल शहर से गिरफ्तार करने के बाद पहले जेल में रखा गया। इसके बाद अंबाला सेंट्रल जेल में डाल दिया गया। जहां 19 महीने तक जेल की सजा काटी। इस दौरान बिताए गए पलों के बारे में वे परिवार के लोग से बताते थे कि कैसे शिक्षकों के रोजगार को बचाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया। सड़कों पर उतरे शिक्षकों को जेलों में डालकर केस दर्ज किए गए। आरडी शर्मा चार भाइयों में सबसे बड़े थे। उनसे छोटे इंद्र दत्त शर्मा प्रोफेसर थे। उनसे छोटे ज्ञान दत्त शर्मा भी शिक्षक थे। सबसे छोटे प्रीतम दत्त शर्मा खेती-बाड़ी का काम करते थे। इमरजेंसी के दौरान जब पिता आरडी शर्मा जेल में थे तब मेरी उम्र 7-8 साल थी, तब परिवार को दादाजी और चाचा जी ने संभाला था। 19 महीने बाद पिता जी को जेल से रिहा किया गया। (जैसा इमरजेंसी के दौरान जेल में रहे फतेहपुर निवासी शिक्षक ( आर डी शर्मा ) रामदत्त शर्मा के बेटे विजय शर्मा ने बताया ।)