Farming
- जनवरी में पड़ रही तेज धूप से गेहूं की फसल पर संकट मंडराया
- अधिकतम तापमान लगातार 20 डिग्री को कर रहा पारा, बढ़ा रहा खतरा
- इस समय प्रदेश में अधिकतम तापमान 7 डिग्री ज्यादा चल रहा
- उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने से पाला पडऩे व 30-31 को कोहरा पडऩे के आसार
Farming : फतेहाबाद। पिछले दो सप्ताह से पड़ रही तेज धूप के कारण दिन के तापमान में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सोमवार को दिन में निकली तेज धूप ने लोगों को मार्च जैसी गर्मी का अहसास करवा दिया। सोमवार को यहां का अधिकतम तापमान 22 डिग्री को भी पार कर गया जबकि न्यूनतम तापमान 6 डिग्री दर्ज किया गया। इस समय यहां अधिकतम तापमान 7 डिग्री ज्यादा है। इस तरह के प्रतिकूल मौसम ने गेहूं के लिए संकट खड़ा कर दिया है। किसानों के चेहरे पर अभी से ही चिंता की लकीरें खिंच गई है। मौसम विभाग ने उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने से पाला पडऩे तथा 30 व 31 जनवरी को कोहरे के दस्तक देने की संभावना जताई है। जनवरी के अंतिम सप्ताह तक तापमान 7 से 9 डिग्री अधिक चल रहा है। हालांकि पिछले दिनों मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने से बादलवाई व बरसात की संभावना व्यक्त की थी लेकिन इसके विपरीत यहां तेज धूप ने मौसम के तेवर बदल दिए। तेज धूप के चलते यहां का न्यूनतम तापमान अब 6 डिग्री पहुंच गया वहीं अधिकतम तापमान 22 से 23 डिग्री सेल्सियस तक चल रहा है। इससे पूर्व न्यूनतम तापमान 6 से 9 डिग्री के बीच घूम रहा था। इस बार दिसम्बर और जनवरी में नाममात्र बारिश होने से गेहूं व सरसों की फसल पर संकट के बादल मंडराते रहे। हालांकि गेहूं की बिजाई प्रारंभिक दौर में धुंध व पाले ने गेहूं की फसल के लिए संजीवनी का काम किया है लेकिन अब बरसात न होने से और तेज धूप पडऩे से फिर गेहूं की फसल के उत्पादन को लेकर कृषि विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे ही तापमान बढ़ता रहा तो गेहूं की बालियों में दाने का रस सूख जाएगा। इसके बाद गेहूं का दाना सिकुडऩा शुरू हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मौसम में गेहूं का दाना मोटा न होकर जीरे-सी शक्ल ले लेता है। यानि कि गेहूं के दाने में रस सूख जाता है जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। जिला में इस बार दिसम्बर में बारिश न होने से गेहूं की बिजाई बीते वर्ष से 15 हजार एकड़ में कम हुई है। इस बार जिले में 3 लाख 40 हजार एकड़ भूमि की गेहूं की बिजाई हुई है। गांव नागपुर के किसान अरूण मेहता ने बताया कि यही तेज धूप अगले महीने तक पड़ती रही तो गेहूं व चने के लिए घाटे का सौदा बन जाएगा। सरसों के लिए भी यह धूप नुकसानदेह हो रही है। अभी गेहूं का दाना नहीं बना। दाना बनता है तो वह कमजोर होगा।
13 साल में पहली बार जनवरी में इतनी गर्मी
बरसात न होने से चना व सरसों की फसल काली पडऩी शुरू हो जाती है और उसकी बढ़वार रूक जाती है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। पीछे अच्छी धुंध ने बरसात का काम चलाया लेकिन अब तेज धूप नुकसानदायक साबित हो रही है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अच्छी सिंचाई करें। पिछले 13 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि दिसम्बर में एक बार भी बरसात नहीं हुई जबकि जनवरी में नाममात्र ही बारिश हुई है।
तापमान इससे ऊपर गया तो गेहूं को होगा नुकसान
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. राजेश सिहाग ने बताया कि अभी तापमान बार्डर लेवल पर चल रहा है। अगर थोड़ा-सा भी तापमान बढ़ता है तो उसका गेहूं के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 30 डिग्री के आसपास तापमान पहुंंचा तो फिर किसानों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
बढ़ते तापमान में ऐसे करें गेहूं का बचाव
दिन का तापमान 30 से 32 डिग्री व राज का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है तो किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। रात व दिन का तापमान मिलाकर औसत 22 डिग्री सेल्सियस गेहूं की पैदावार के लिए उत्तम माना गया है। औसत तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक गेहूं की फसल सहन कर सकती है। तापमान 30 से ऊपर जाता है तो यह गेहूं के लिए नुकसानदेह है। इस तापमान में किसानों को सिंचाई करनी चाहिए। तेज हवा चले तब सिंचाई करने से बचे क्योंकि इससे फसल गिरने का खतरा रहता है। जिन किसानों के पास फव्वारा प्रणाली है, वह दोपहर को आधा घंटा फव्वारे से सिंचाई कर सकते हैं। इसके अलावा गेहूं में बालियां निकल रही हैं तो 0.2 प्रतिशत पोटाशियम क्लोराइड यानि कि 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें। पछेती बिजाई में पोटाशियम क्लोराइड का छिडक़ाव 15 दिन के अंत में दो बार करें।
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