Dhoti
- -धोती पहनने को स्वास्थ्य और शरीर की ऊर्जा संतुलन के लिए माना गया लाभकारी
- -हरियाणा में यह सिर्फ़ पुरानी पीढ़ी की एक बीती कहानी बनकर रह गई
- -गाने और फ़िल्में भी इस परंपरा को दोबारा जीवंत नहीं कर पा रहे
- -भारत में धोती सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक रूप से संतुलित पोशाक भी है, जो शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करती है।
Dhoti : जब मैं ‘जेंटलमैन’ शब्द कहती हूँ, तो आपके दिमाग में कौन-सी छवि उभरती है? लगभग सभी लोगों के लिए यह एक स्मार्ट, आधुनिक व्यक्ति होगा, जो थ्री-पीस सूट और टाई पहने हुए होगा। यदि हम ‘जेंटल’ शब्द का अनुवाद देखें, तो इसका अर्थ ‘कोमल’ होता है। फिर हमने इस शब्द को केवल एक पश्चिमी पोशाक से क्यों जोड़ दिया, जबकी यह वास्तव में एक व्यक्तित्व गुण को दर्शाता है? तकनीकी रूप से, ‘जेंटलमैन’ शब्द को हर सभ्यता में अलग-अलग परिधानों में प्रस्तुत किया जा सकता है। तो कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि बच्चों की किताबों में एक पगड़ी, कुर्ता और धोती पहने व्यक्ति को ‘जेंटलमैन’ के रूप में क्यों नहीं दर्शाया जाता? मैं इस लेख के माध्यम से धोती पहनने के वैज्ञानिक लाभों पर प्रकाश डालना चाहती हूं। हालांकि भारत के कुछ हिस्सों में इसे आज भी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में पहना जाता है, लेकिन हरियाणा में यह सिर्फ़ पुरानी पीढ़ी की एक बीती कहानी बनकर रह गई है। गाने और फ़िल्में भी इस परंपरा को दोबारा जीवंत नहीं कर पा रहे हैं। भारत में धोती सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक रूप से संतुलित पोशाक भी है, जो शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह हजारों वर्षों से भारतीय पुरुषों द्वारा पहनी जाती रही है, चाहे वह संत-महात्मा हों, विद्वान हों या फिर किसान।
यह है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही धोती पहनने को स्वास्थ्य और शरीर की ऊर्जा संतुलन के लिए लाभकारी मानते हैं। आधुनिक पैंट या जींस टाइट फिटिंग के कारण शरीर के निचले हिस्से में रक्त संचार को बाधित कर सकती हैं। लेकिन धोती ढीली होती है और शरीर को पूरा आराम देती है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से चलता रहता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं या ज्यादा चलने-फिरने वाले कार्यों में लगे होते हैं। धोती प्राकृतिक रूप से शरीर को ठंडा रखती है। भारत जैसे गर्म और आर्द्र जलवायु वाले देश में यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो पुरुषों के लिए अधिक टाइट कपड़े पहनना उनके प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। टाइट पैंट या अंडरगारमेंट्स अंडकोष के तापमान को बढ़ा सकते हैं, जिससे शुक्राणु उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। धोती पहनने से यह समस्या नहीं होती, क्योंकि यह शरीर के निचले हिस्से को खुला और हवादार बनाए रखती है, जिससे प्रजनन स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। यह पसीने को जल्दी सोख लेती है और त्वचा संक्रमण से बचाव करती है। धोती पहनने से रैशेज़ और फंगल इंफेक्शन जैसी समस्याएं भी कम होती हैं।
सर्वे में यह दावा
एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, जिसमें 2,000 ब्रिटिश पुरुषों को शामिल किया गया, टाइट फिटिंग जींस पहनने से मूत्र संक्रमण (यूटीआई), वैरिकोसील, अंडकोष के मुड़ने, मूत्राशय की कमजोरी और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। 2013 की एक समीक्षा के अनुसार, टाइट कपड़े पहनने से मेराल्जिया पैरास्टेटिका नामक रीढ़ की हड्डी की एक नस दबने की समस्या हो सकती है। यह स्थिति जांघ के किनारे सुन्नपन, झनझनाहट और दर्द का कारण बन सकती है। भारत जैसे गर्म और आर्द्र जलवायु वाले देश में सूती वस्त्र सबसे अधिक आरामदायक और त्वचा के लिए अनुकूल माने जाते हैं। सूती कपड़ा नरम और हल्का होता है, जो त्वचा के लिए आरामदायक रहता है। यह किसी भी प्रकार की जलन, खुजली या एलर्जी नहीं पैदा करता, इसलिए संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। सूती कपड़ा गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है। यह हवा को पास होने देता है, जिससे त्वचा को ताजगी महसूस होती है और पसीना जल्दी सूख जाता है।कृत्रिम कपड़ों की तुलना में सूती कपड़ा बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से बचाव करता है। यह हानिकारक केमिकल्स से मुक्त होता है, जिससे त्वचा की सुरक्षा बनी रहती है। सूती कपड़ा प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह बायोडिग्रेडेबल होता है और प्लास्टिक या सिंथेटिक कपड़ों की तरह प्रदूषण नहीं फैलाता।
धोती शरीर को मुक्त रखती
आजकल फैशन और कम लागत के कारण सिंथेटिक (कृत्रिम) कपड़े और रासायनिक रंगों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, ये कपड़े और रंग हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। सिंथेटिक कपड़े मुख्य रूप से नायलॉन, पॉलिएस्टर, रेयान और ऐक्रेलिक जैसे कृत्रिम रसायनों से बनाए जाते हैं, जो त्वचा और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, कपड़ों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंग (डाई) भी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं जैसे एलर्जी और खुजली, एक्जिमा और संपर्क डर्मेटाइटिस, फंगल संक्रमण, अस्थमा, हार्मोन असंतुलन और कैंसर आदि। धोती शरीर को मुक्त रखती है और नसों तथा मांसपेशियों को प्राकृतिक रूप से आराम देती है।
धोती के कुछ और फायदे
धोती के कुछ और फायदे भी हैं, जैसे इसे सीलने की कोई ज़रूरत नहीं होती क्योंकि आप इसे खुद लपेटते हैं। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत (सुपरपर्सनलाइज़्ड) होती है। भरपेट भोजन के बाद कमर कसने की चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती। आज के दौर में लोग धोती को पुरानी सोच से जोड़कर देखते हैं, लेकिन इसके वैज्ञानिक लाभों को समझने के बाद इसे फिर से अपनाने की जरूरत है। आधुनिकता की दौड़ में हमें अपनी पुरानी परंपराओं को पूरी तरह से छोड़ना नहीं चाहिए, बल्कि उनके वैज्ञानिक पहलुओं को समझकर उन्हें फिर से अपनाने का प्रयास करना चाहिए। धोती पहनना सिर्फ एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि विज्ञान-सम्मत, स्वास्थ्यवर्धक और सुविधाजनक विकल्प भी है।
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