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Cinema :  सिनेमा को दर्शकों और सरकार का चाहिए सहयोग : संगीता

हरियाणवी सिनेमा की अभिनेत्री संगीता देवी।हरियाणवी सिनेमा की अभिनेत्री संगीता देवी।

 

Cinema

  • -हरियाणवी सिनेमा में संगीता देवी किसी परिचय की मोहताज नहीं
  • -अभिनेत्री अब तक की 54 फिल्मों और वेबसीरीज़ के साथ-साथ 7 बॉलीवुड और एक पंजाबी फिल्म कर चुकी

डॉ. तबस्सुम जहां

(कलाकार)

Cinema : हरियाणवी सिनेमा में संगीता देवी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। अपनी ग़ज़ब की अदाकारी से हरियाणवी सिनेमा में छा जाने वाली यह अभिनेत्री अब तक की 54 फिल्मों और वेबसीरीज़ के साथ-साथ 7 बॉलीवुड और एक पंजाबी फिल्म कर चुकी हैं। बॉलीवुड फिल्म ‘हरियाणा’ और पंजाबी फिल्म कुड़ी हरियाणे वाली, स्टेज ऐप पर ‘चंद्रो का चूल्हा’ में उनके 3 एपीसोड हैं। संगीता देवी ने हरियाणवी परिधान में स्टेज ऐप पर हरियाणवी संस्कृति और पहनावा दोनों को प्रमोट किया है। इनकी आने वाली फिल्मों में अग्निवीर जैसे कई नाम हैं। इन सबसे अलग उनकी पेंटिंग की दुनिया है। क्राफ्ट और पर्यावरण के लिए समर्पित इन्होंने 3000 से ज्यादा पेड़ लगाए हैं। इसके अलावा कला जीवन समिति के तहत आर्ट वर्कशॉप, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हर संभव सहायता करना, हरियाणवी खानपान और पहनावे को बढ़ावा देना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।

भिवानी जिले के गांव बामला में जन्मी

संगीता देवी का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के गांव बामला में हुआ। इनके पिता गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। दादी का हरियाणवी क्राफ्ट बहुत अच्छा था। उनके प्रभाव से ही संगीता ने भजन, कीर्तन, शादी-ब्याह के गीत, जकड़ी, त्यौहार के गीत सब उनके साथ रहकर सीखे। 10वीं के बाद शादी हो गई और पढ़ाई पर भी रोक लग गई थी। शादी के बाद उनके जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए। आर्थिक विसंगति से जूझते हुए शादी के बाद नेशनल ओपन से 12वीं पास की। आदर्श महिला महाविद्यालय से बीए-बीएड की। इन्होंने एंडी हरियाणा टीवी चैनल से जुड़कर अनेक गीत करने के अवसर मिले। वह धीरे-धीरे फिल्म लाइन से भी जुड़ गई। इनकी अभिनय की शुरुआत डायरेक्टर संदीप बसवाना की बॉलीवुड फिल्म ‘हरियाणा’ से हुई। हरियाणवी सिनेमा में आए उतार-चढ़ाव के संबंध में पूछने पर संगीता देवी का मानना है कि हरियाणा में फिल्म ‘चंद्रावल’ की धूम आज भी है। उसके बाद दर्जनों फिल्में आई। इनमें कुछ उम्दा भी रहीं लेिकन कोई भी फिल्म जनता का ध्यान नहीं खींच पाई। एक लंबे अर्से के बाद  हरियाणवी संस्कृति एक बार फिर से जी उठी, जब  यशपाल शर्मा ने ऐतिहासिक फिल्म ‘दादा लखमी’ बनाई।

स्टेज एप का अनुभव

स्टेज एप पर अपने काम करने के अनुभव के बारे में संगीता देवी बताती हैं कि उन्होंने स्टेज ऐप के साथ काफी प्रोजेक्ट किए हैं जैसे चंद्रो का चूल्हा, ओपरी पराई, जिद, गौरव की स्वीटी, रंडुआ रामफल आदि। वे बताती हैं िक स्टेज एप के साथ काम करने का उनका बहुत अच्छा अनुभव रहा है। सरकार फिल्म बनाने के लिए जो पॉलिसी लेकर आई है उसके संदर्भ में संगीता का मानना है कि इसका लाभ अभी तक किसी को नहीं मिला है। जब मिलना शुरू होगा तो लोग और अच्छा काम कर पाएंगे। प्रोड्यूसर भी पैसा लगाने से घबराएंगे नहीं। इसके ज़रिए हरियाणवी फिल्मों का एक सुखद भविष्य देखा जा सकता है। उन्हें यक़ीन है कि यदि सरकार सहायता करती है तो जरूर बदलाव ज़रूर आएंगे। आने वाले समय में संगीता देवी हरियाणवी सिनेमा को एक बदलाव के रूप में देख रही है। उनका मानना है कि अब लोग जागरूक हो रहे हैं बिना किसी चमक धमक के रियल काम हो रहा है। संस्कृति के साथ संस्कारों की बात हो रही है। आने वाला समय वह काफ़ी अच्छा देख पा रही हैं। हरियाणवी में फिल्में तो बन रही हैं लेकिन थियेटर में लोगों के न आने के क्या कारण हैं, इस पर संगीता देवी ने बताया कि इसे जनता में जागरूकता की कमी कहें या लोगों का सुविधा भोगी, कुछ भी कहना मुश्किल है। आजकल इतने ओटीटी प्लेटफार्म मिल गए हैं उनसे घर बैठे फोन में ही सब कुछ दिख रहा है। लोगों को घरों से बाहर निकालने के लिए अच्छे कॉन्सेप्ट चाहिए। अच्छे प्रचार की भी आवश्यकता है। अच्छी फिल्मों के साथ-साथ अच्छा प्रचार भी चाहिए।

थियेटर के प्रति दर्शकों का रुझान कम

अभिनेत्री संगीता देवी का मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म आने से थियेटर के प्रति दर्शकों का रुझान कम हो रहा है। जब बहुत सारे ओटीटी प्लेटफार्म होते हैं तो लोग फिर सुविधाएं देखने लगते हैं। ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्म हो या वेबसीरीज़, घर बैठे देखने को मिल जाती हैं। दर्शकों का रुझान कुछ समय के लिए कम हो सकता है पर ख़त्म जैसी कोई बात नहीं है। आज भी लोग काफी संख्या में फिल्में सिनेमा घर में देखते हैं। लोगों के स्पोर्ट और सरकार की सहायता से कुछ और अच्छे प्रयास करने जरूरी हैं जिनसे लोग घरों से निकलने को मजबूर हों।

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