Chaitra Navratri
- -इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
- -इस संवत का नाम कालनाम और सिद्धार्थ रहेगा
- -इस बार नववर्ष में राजा मंगल व शनि को मिलेगा मंत्री पद
Chaitra Navratri : महेंद्रगढ़। वैसे तो हम नए साल की शुरुआत अंग्रेजी पंचाग के हिसाब से एक जनवरी से कर लेते है, लेकिन हिंदू नववर्ष उस दिन से नहीं, बल्कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है, जो साल का पहला दिन होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज गढ़ी ने बताया की इस वर्ष हिंदू नववर्ष और विक्रम संवत-2082 का प्रारंभ 30 मार्च रविवार से हो रहा है। इस संवत का नाम कालनाम और सिद्धार्थ रहेगा। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु ने सृष्टि के निर्माण का कार्य ब्रह्म देव को सौंपा था। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली प्रतिपदा तिथि पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है और इसे हिंदू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
नवरात्रि माता का वाहन हाथी रहेगा
राहुल भारद्वाज ने बताया कि वैसे तो माता रानी सिंह (शेर) की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्र में धरती पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे की सवारी नवरात्र के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। इस वार नवरात्रि का प्रारंभ रविवार से हो रहा है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। हाथी को शांति और शुभता का प्रतीक माना जाता है। मां का हाथी पर आना खुशहाली और धन-धान्य में बढ़ोतरी का संकेत समझा जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए (घटस्थापना) कलश स्थापना की जाती हैं। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7:52 बजे से सुबह 11:15 बजे तक रहेगा। इसके बाद अभिजित मुहूर्त में दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक रहेगा। कलश स्थापना के साथ ही इस दिन जौ भी बोए जाते हैं, जो कि जीवन में वृद्धि और सफलता का संकेत लेकर आते हैं। उन्होंने बताया कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य पूजा अनुष्ठान हमेशा ही सफल होता है।
चैत्र मास के नवरात्रि भी होंगे प्रारंभ
पंडित राहुल भारद्वाज ने बताया कि हिंदू नव वर्ष के साथ-साथ चैत्र मास के नवरात्रि भी प्रारंभ हो जाएंगे। जो 30 मार्च से प्रारंभ होने व छह अप्रैल रामनवमी के दिन इनका समापन होगा। अबकी बार द्वितीया और तृतीका तिथि एक होने के कारण नवरात्रे नौ नहीं आठ होंगे। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के इन दिनों में मां दुर्गा शक्ति की नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। जिसमे मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, माता सिद्धिदात्री की उपासना होती है। नवरात्र में माता के साधक भगवती में आस्था रखने वाले भगत माता के व्रत और उपासना करते है। इन दिनों में दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा व माता के विभिन्न स्तोत्र का पाठ किया जाता है। नवरात्रि का शुभारंभ इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है। उस दिन इंद्र योग और रेवती नक्षत्र है। ये योग बहुत शुभ बताए गए हैं। इन योग में आप जो भी कार्य करेंगे। वह सफल सिद्ध होंगे।
नववर्ष में राजा मंगल व शनि को मिलेगा मंत्री पद
मान्यताओं के अनुसार हिंदू नववर्ष पर जो वार पड़ता है, उसे ही वर्ष का राजा माना जाता है। इस नववर्ष के दिन रविवार रहेगा। इसलिए इस नए संवत्सर 2082 के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य होंगे, जो राजा होता है उसका प्रभाव पूरे सालभर मानव जीवन पर पड़ता हैं। इस संवत के राजा सूर्य होने के कारण विश्व में वर्षा कम होगी। वर्षा कम होने से फसलों और अनाज का उत्पादन कम होगा। खाद्य पदार्थों के दामों में तेजी होगी। जनता में गुस्सा, उत्तेजना व आंखों संबधिंत बीमारी बढ़ेगी। सूर्य के मंत्री होने से जनता सुखी रहेगी। देश की सीमाएं सुरक्षित रहेगी।
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