ACB
- सरकार ने नहीं दी अफसरों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति
- कईं अफसरों को मिली बड़ी राहत, एसीबी को दिया कड़ा संदेश
- दो अफसरों के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी
- अफसरों पर लटकी कार्रवाई की तलवार भी फिलहाल टल गई
- आईएएस विजय दहिया जैसे अफसरों का मामला कानूनी पेंच में फंसा
ACB : चंडीगढ़। प्रदेश में काफी समय से चल रही एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) की कार्रवाई कईं आईएएस के गले की फांस बनी हुई थी, लेकिन अब एसीबी की कार्रवाई पर नायब सिंह सैनी सरकार ने थोड़ी नरमी दिखाई है। दो अफसरों के मामले में जांच और मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देकर एसीबी को शांत कर दिया है। सरकार के कदम से दूसरे आईएएस और एचसीएस अफसरों ने राहत की सांस ली है। अब अफसरों पर लटकी कार्रवाई की तलवार भी फिलहाल टल गई। हालांकि आईएएस विजय दहिया जैसे कई अफसरों का मामला कानूनी पेंच में फंसा हुआ है। सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले की गिरफ्त में आने वाले अफसरों को राहत देकर एसीबी को कड़ा संदेश देने का काम किया है। दरअसल, पिछले एक साल में एसीबी ने कई आईएएस और एचसीएस अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई करते हुए सरकार से जांच की अनुमति मांगी थी।
संजीव वर्मा ने लिखा डीजीपी को पत्र
वहीं, वरिष्ठ आईएएस और रोहतक मंडल कमिश्नर संजीव वर्मा ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर खुद के खिलाफ दर्ज मुकदमे में जांच की मांग की है। वर्मा का कहना है कि लंबे समय से उक्त जांच लंबित चली आ रही है, ऐसे में पुलिस को जांच पूरी कर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
आईएएस धर्मेंद्र के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने की अनुमति
सोनीपत निगम में कमिश्नर रहने के दौरान ठेकेदार से रिश्वत लेने के मामले में फंसे आईएएस धर्मेेंद्र को सरकार से राहत प्रदान की है। सरकार ने धर्मेंद्र के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी। इस मामले में मुख्य सचिव के आदेशों पर 4 आईएएस की एक कमेटी बनाई गई थी, जिसमें पाया गया कि आईएएस धर्मेंद्र पर उक्त ठेकेदार की ओर से आरोप लगाए गए थे, वो साबित नहीं हुए।
अतुल द्विवेदी पर चल रहा था केस
राज्यपाल के सचिव आईएएस अतुल द्विवेदी पर महेंद्रगढ़ में डीसी के तौर पर तैनाती के दौरान माइनिंग अफसर के साथ फोन पर बातचीत मेंं रिश्वत के मामले की जांच चल रही थी। इस मामले में विजिलेंस ने जांच की अनुमति मांगी थी, लेकिन मुख्य सचिव के आदेशों पर गठित आईएएस अफसरों की जांच कमेटी से द्विवेदी को क्लीन चिट मिल गई। बताया गया कि द्विवेदी ने फोन पर माइनिंग अफसर को एक खास व्यक्ति की सहायता करने को कहा था, जिसे विजिलेंस ने आधार बनाया था।
यह था वर्मा का मामला
वर्ष 2022 में हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कारपोरेशन में एम.डी. के पद पर तैनात आई.ए.एस. संजीव वर्मा ने कारपोरेशन में गलत नियुक्तियों के खिलाफ तत्काल एम.डी. और मौजूदा अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक खेमका के खिलाफ पंचकूला के सेक्टर 5 पुलिस स्टेशन में मुकदमा नंबर 170 दर्ज कराया था। अगले ही दिन अशोक खेमका ने भी संजीव वर्मा के खिलाफ पंचकूला पुलिस को शिकायत देकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। खेमका की शिकायत पर मुकदमा दर्ज होने में देरी पर खुद तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज ने पंचकूला डीसीपी के कार्यालय पहुंचकर विभिन्न धाराओं में मुकदमा नंबर 171 दर्ज करवाया था। मामले में वर्मा ने कहा कि मेरे खिलाफ जो मुकदमा दर्ज करवाया गया था वह सिर्फ जवाबी कार्रवाई थी। यह मुकदमा तत्कालीन गृह मंत्री के दबाव में दर्ज किया गया था। इसके खिलाफ मैने गृह मंत्री को एक पत्र लिखा था जिसमें सारे तथ्य दिए गए थे। मैंने उनसे इस मामले की जांच का आग्रह किया था। लेकिन उन्होंने मेरे आग्रह पर गंभीरता नहीं दिखाई बल्कि पुलिस अफसरों की ओर से मुझे परेशान करने का दबाव बनाया गया। वर्मा ने कहा कि बीते 7 जुलाई 2022 को गृह मंत्री ने मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था जिसमें पी.सी. एक्ट के सेक्शन 17 के तहत मुकदमा नंबर 170 में परमीशन देने से मना करने को कहा गया। जबकि मेरे खिलाफ दर्ज मामले में सरकार की ओर से परमिशन दे दी गई जो कि गलत थी। वर्मा ने कहा कि अभी तक पुलिस की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि नियमानुसार बिना कोई कार्रवाई किए केस को लंबित नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने डी.जी.पी. से मुकदमा नंबर 171 की जांच करने या फिर उसे निरस्त करने की मांग की है।
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