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Haryana News : सोनीपत में बारिश से फसलें भीगी तो खरीद के बाद भी लौटा दिए पर्चें

Haryana News :

  • -सोनीपत अनाज मंडी में बारिश ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें
  • -दफ्तर छोड़ गाड़ी में सवार होकर निकल गई अधिकारी
  • – सिस्टम की लापरवाही पर भड़के किसान, दावों की खुल गई पोल

सोनीपत। मंगलवार को हुई हल्की बारिश ने एक बार फिर सोनीपत अनाज मंडी की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। मंगलवार दोपहर को हुई हल्की बरसात के बाद मंडी परिसर में जगह-जगह पानी भर गया, जिससे किसानों की मंडी में लाई गई धान की फसल भीग गई और उनका छह महीने का मेहनत पर पानी फिर गया। मंडी में पानी निकासी की कोई व्यवस्थित व्यवस्था न होने और खुले आसमान के नीचे धान की ढेरियों को रखा जाने से लाखों की फसल बरसात में खराब हो गई। बारिश के बाद मंडी अधिकारियों द्वारा भीगी हुई फसल की खरीदी से साफ इंकार करने से किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। अधिकारियों ने खरीदी हुई फसल के पर्चे तक वापस कर दिए। किसानों का कहना है कि यदि समय पर खरीद हो जाती तो नुकसान से बचा जा सकता था। किसानों ने आरोप लगाया कि मंडी में काम करने वाली खरीद एजेंसियां मनमानी कर रही हैं।

अभी ऐसे ही रहेगा मौसम

सोनीपत। मंगलवार को हुई हल्की बारिश ने लोगों को उमस से राहत दी, लेकिन किसानों की चिंता बढ़ा दी। सुबह से बादलों ने पूरे आसमान छाए रहे, दोपहर को हुई बारिश से तापमान 37 गिरकर 31 डिग्री पहुंच गया। न्यूनतम 23 डिग्री दर्ज किया गया। किसान अब मौसम स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक डॉ. प्रेमदीप ने बताया कि तीन अक्तूबर तक मौसम परिवर्तनशील बना रहेगा। मंगलवार को हुई बरसात से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। सुबह शाम ठंड बढेगी।

सरकार से की मांग

मंडी में पड़ी फसलें भिगने के बाद किसानों ने सरकार से मंडियों में शेड, पानी निकासी व भंडारण की सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की। बिना उचित इंतजाम के किसानों की कमाई हर साल बरसात में बर्बाद होती जाती है। मंडियों में सुधार के लिए किए जा रहे दावों की अचानक हुई बारिश ने पोल खोल दी। अन्नदाता जहां खेत में मौसम की मार झेल रहा है, वहीं मंडी में भी उसे दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी किसानों की समस्याएं निपटाने की बजाय पल्ला झाड़ने के प्रयास में हैं।

सवालों से बचने के लिए चली गई सचिव

इस बीच जब किसान मंडी सचिव ज्योति मोर से मिलने पहुंचे तो उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देने से बचते हुए गाड़ी में बैठकर मंडी से निकल जाना बेहतर समझा। इससे किसानों का आक्रोश और भी बढ़ गया। किसानों ने कहा कि उन्हें फसल बचाने और बेचने दोनों में दिक्कतें आ रही हैं और सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। मंडी परिसर में पानी भरे होने और फसल के खराब होने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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