Haryana News
- डीएमए राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास ने लगाई की आरटीआई
- NHA और SHA एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल झाड़ रहे पल्ला
- केंद्र सरकार और राज्यों के बीच समन्वय की कमी
- डॉ व्यास बोले, आयुष्मान मित्रों को साथ हरियाणा सरकार कर रही सौतेला व्यवहार
- सात साल से 5000/- प्रति माह में काम करने को मजबूर आयुष्मान मित्र
Haryana News : चंडीगढ़। आयुष्मान भारत योजना (PMJAY) के तहत कार्यरत आयुष्मान मित्रों की वेतन वृद्धि, प्रोत्साहन और कार्य-स्थितियों को लेकर गंभीर असमंजस और असमानता की स्थिति सामने आई है।इसका खुलासा डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में हुआ। हरियाणा में जब स्टेट हेल्थ अथॉरिटी, पंचकुला से आयुष्मान मित्रो की वेतन वृद्धि के संबंध में जानकारी मांगी गई तो उसने जिम्मेदारी नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) पर डाल दी। वहीं, आरटीआई के जवाब में NHA ने साफ कहा कि आयुष्मान मित्रों से संबंधित सभी वेतन, कार्य-स्थितियां, अवकाश और संख्या संबंधी जानकारी केवल संबंधित राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों (SHA) से ही उपलब्ध कराई जा सकती है।
आयुष्मान मित्रों के लिए किए गए कार्य
1. 30 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी को लिख चुके पत्र
2. 05 मार्च को स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव से चंडीगढ़ सचिवालय में हुई मुलाकात
3. 25 अप्रैल को आयुष्मान मुख्य अधिकारी संगीता तेतरवाल से पंचकूला में हुई मुलाकात
आरटीआई से सामने आए मुख्य बिंदु:
1. दिशानिर्देश: योजना का क्रियान्वयन NHA की गाइडलाइन्स के अनुसार होता है,लेकिन राज्यवार कार्यान्वयन व नीतियों में भिन्नता है।
2. वेतन व प्रोत्साहन: वेतन व मानदेय राज्य सरकारें तय करती हैं।वेतन वृद्धि संबंधी शिकायतों का निपटारा भी SHA के स्तर पर होगा।
3. कार्य-स्थितियां व अधिकार: अंशकालिक आयुष्मान मित्रों की नियुक्ति व कार्य-घंटों का निर्धारण राज्यों द्वारा होता है।छुट्टियों व अवकाश नीति भी SHA द्वारा तय की जाती है।
-इन तथ्यों से स्पष्ट है कि आयुष्मान मित्रों के वेतन, प्रोत्साहन, अवकाश और कार्य-स्थितियों को लेकर राज्यों में भारी असमानता है तथा केंद्र स्तर पर कोई एकीकृत व पारदर्शी नीति मौजूद नहीं है।
डॉ व्यास की सरकार से अपील
आयुष्मान मित्र मरीजों और अस्पतालों के बीच सेतु का कार्य करते हैं, परंतु उनके वेतन व कार्य-स्थितियों में पारदर्शिता और समानता का अभाव गंभीर चिंता का विषय है। केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत नीति बनानी चाहिए, वहीं हरियाणा सरकार को अपना अड़ियल रुख छोड़कर तुरंत न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना चाहिए।