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Health : शौचालय में स्मार्टफोन पर ‘स्क्रॉल’ करने से बढ़ रहा बवासीर का खतरा

Health

  •  रिपोर्ट में दावा, बढ़ सकती हैं दर्दनाक गांठें, कर सकती हैं परेशान
  • भारत में हर तीसरा व्यक्ति बवासीर से हो रहा पीड़ित
  •  45 साल से ज्यादा उम्र के लोग और गर्भवती महिलाओं को खतरा
  •  शौचालय में फोन के साथ ज्यादा समय न बिताएं

Health : पेनरिथ। क्या आप भी टॉयलेट में अपना फोन लेकर जाते हैं? टॉयलेट में लंबे समय तक बैठे-बैठे रील्स देखते रहते हैं या ‘स्क्रॉल’ करते रहते हैं? अगर हां, तो सावधान हो जाइए ये छोटी सी आदत आपको कई गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकती है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि शौचालय में स्मार्टफोन पर ‘स्क्रॉल’ करने की आदत से बवासीर का खतरा 46 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इसलिए शौचालय में स्मार्टफोन पर ‘स्क्रॉल’ की आदत को बदलें वरना आपके गुदा में और उसके आस-पास ये दर्दनाक गांठें कैसे उभर सकती हैं?

क्या है बवासीर

हर स्वस्थ व्यक्ति में ऐसी गांठें होती हैं, जो बवासीर का रूप भी अख्तियार कर सकती हैं। गुदा और मलाशय के अंदर या उसके आसपास सूजी हुई और फूली हुई नसें होती हैं। ये गुदा के आसपास की रक्त वाहिकाओं के बढ़ने से होती है और इसके कारण गुदा से रक्तस्राव, खुजली, दर्द और बेचैनी की शिकायत हो सकती है। नसों में सूजन आ सकती है और इससे दर्द, रक्तस्राव या गुदा के अंदर एक गांठ जैसा महसूस होना (आंतरिक बवासीर) या बाहर की ओर उभरी हुई गांठ (बाहरी बवासीर) जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसे ही बवासीर कहा जाता है।

इन लोगों को ज्यादा खतरा

-उम्र 45 से ज्यादा
-गर्भवती
-वजन ज्यादा
-लगातार कब्ज या दस्त होना
-नियमित रूप से भारी वस्तुएं उठाना
-शौचालय में ज्यादा समय बिताते हैं

शौचालय और बवासीर में संबंध

ऐसा माना जाता है कि टॉयलेट सीट पर लंबे समय तक बैठने से ‘पेल्विक फ्लोर’ के अंदर दबाव बढ़ जाता है और गुदा में रक्त जमा हो जाता है। इससे बवासीर होने की आशंका बढ़ जाती है। ‘पेल्विक फ्लोर’ मांसपेशियों का एक जाल है, जो पुरुषों में पेट के निचले हिस्से में मूत्राशय और आंतों, जबकि महिलाओं में गर्भाशय और योनि जैसे अंगों को सहारा देता है।

नए अध्ययन में क्या दावा

अमेरिका में हुए नए अध्ययन में 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के 125 वयस्कों को शामिल किया गया, जिन्होंने ‘बेथ इजराइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर’ में ‘कोलोनोस्कोपी’ कराई थी। ‘कोलोनोस्कोपी’ एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय की जांच के लिए कैमरे से लैस एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब (कोलोनोस्कोप) का इस्तेमाल किया जाता है। यह डॉक्टर को स्क्रीन पर ‘कोलन’ के अंदर झांकने और सूजन, पॉलिप्स (असामान्य ऊतक) या कैंसर जैसी समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है।

शौचालय में बैठने का समय

शौचालय में 5 मिनट से अधिक समय बिताना बवासीर का कारण बन सकता है। शौच करने में आमतौर पर ज्यादा समय नहीं लगता। एक अध्ययन में पाया गया कि स्वस्थ वयस्कों को टॉयलेट सीट पर बैठकर शौच करने में औसतन दो मिनट लगते हैं, जबकि उकड़ूं बैठकर शौच करने में केवल 51 सेकंड लगते हैं। इजराइल में 2008 में 500 वयस्कों पर सर्वेक्षण किया गया और पाया गया कि उनमें से आधे से अधिक (52.7 प्रतिशत) शौचालय में किताबें या अखबार पढ़ते हैं।
बवासीर से कैसे बचें

-सामान्य सलाह यह है कि अपने आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं।
-अधिक मात्रा में फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं।
-पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे मल त्याग करना आसान हो जाता है।
-शौचालय में बैठने का समय कम करने से भी मदद मिल सकती है।
-स्मार्टफोन को शौचालय के बाहर छोड़कर ध्यान भटकाने से बचना एक अच्छा विचार है।
-परेशानी हाेने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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