National news
- मरने वालों में सीआईएसएफ के दो जवान भी शमिल, बढ़ सकती है मृतक संख्या
- चशोटी गांव में मचैल माता की धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचे कई लोग बाढ़ में बहे
-कई लोग अभी भी मलबे में दबे, बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव अभियान जारी
-एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, सेना और स्थानीय स्वयंसेवक बचाव में जुटे
National news : जम्मू। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव में गुरुवार को बादल फटने से सीआईएसएफ के दो जवानों समेत 38 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग मलबे में फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। अब तक 120 लोगों को बचा लिया गया है जिनमें 36 की हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं 200 से अधिक लोग लापता बताएं जा रहे हैं। मृतकों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के दो जवान भी शामिल हैं। बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), पुलिस, सेना और स्थानीय स्वयंसेवक सहयोग कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजे से एक बजे के बीच आई। हादसे के समय मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। जो बाढ़ में बह गए। साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक ही मोटर वाहन से पहुंच सकते हैं, उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है।
श्रद्धालुओं की गाड़ियां, दुकान और लंगर सब बहे
चशोती गांव किश्तवाड़ से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। यहां हजारों श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर (सामुदायिक रसोईघर) इस घटना से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ। बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों एवं एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें गाड़ियां, दुकानें और लंगर बह गया। किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा ने आपदा के तुरंत बाद बचाव दल को रवाना किया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के साथ व्यक्तिगत रूप से अभियान की निगरानी के लिए खुद भी घटनास्थल की ओर रवाना हुए।
25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलती है यात्रा
मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल अगस्त में होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलेगी। यह रूट जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किमी लंबा है और इसमें पद्दर से चशोटी तक 19.5 किमी की सड़क पर गाड़ियां जा सकती हैं। उसके बाद 8.5 किमी की पैदल यात्रा होती है।