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Educational

  • -पाठ्यपुस्तकों में वीर योद्धाओं, शहीदों जैसे सैम मानेकशॉ, मेजर सोमनाथ शर्मा को दी जगह
  • -पहली से आठवीं कक्षा की इतिहास और सामाजिक विज्ञान की किताबों में बदलाव
  • -सरकार ने राजधानी में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया
  • -अब वह केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी की मदद से स्कूली पाठ्यक्रम में स्मारक और उससे जुड़े अहम भागों को शामिल करने में भागीदारी कर रहा

Educational :  नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की तरफ से गुरुवार को दो महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई। पहली में परिषद द्वारा जारी की गई पहली से आठवीं कक्षा की इतिहास और सामाजिक विज्ञान की किताबों में इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने के मामले में विभिन्न माध्यमों से मिली शिकायतों और सुझावों की पड़ताल करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने की घोषणा की गई। तो दूसरी जानकारी में परिषद ने मौजूदा शैक्षिणिक सत्र से ही सातवीं और आठवीं की उर्दू की किताब और आठवीं की अंग्रेजी की किताब में देश के महान सैन्य योद्धाओं-अमर शहीदों जैसे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, मेजर सोमनाथ शर्मा और ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान पर अध्याय (चैप्टर) शामिल करने के बारे में बताया गया।

जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी समिति

एनसीईआरटी की विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता संभवत: परिषद के पाठ्यक्रम अध्ययन एवं विकास विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रंजना अरोड़ा को सौंपी गई है। मामले पर मिले सुझावों और शिकायतों की जांच कर समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जिसे बाद में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी सौंपा जा सकता है। दरअसल इस पूरे मामले में एनसीईआरटी ने 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) के आधार पर पहली से आठवीं कक्षा तक की नई किताबें जारी की थीं। जिसके बाद ही किताबों के नाम और उनमें शामिल किए गए तथ्यों को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इनमें शामिल कुछ आपत्तियों में सबसे पहले जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह ने एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान की 8वीं कक्षा की पुस्तक में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के संज्ञान में भी इस मामले को लाया है। इसके अलावा ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक ने पाइका विद्रोह से किताबों से हटाने को लेकर अपनी नाराजगी जताई। अभिनेता आर.माधवन ने दक्षिण भारतीय राजवंशों को पाठ्यपुस्तकों में बेहद कम स्थान देने को लेकर आपत्ति जताई। वहीं, असम के अहोम राजवंश का किताबों में आधा-अधूरा जिक्र इन आपत्तियों में शामिल है।

सैम मानेकशॉ, मेजर शर्मा को जानेंगे युवा

वहीं, दूसरी ओर रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र से एनसीईआरटी की सातवीं और आठवीं कक्षा की उर्दू और आठवीं कक्षा की अंग्रेजी की किताब में भारत के जांबाज योद्धाओं और वीर शहीदों जैसे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, मेजर सोमनाथ शर्मा और ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के जीवन और बलिदान को बतौर पूर्ण अध्याय (चैप्टर) के रूप में समाहित किया गया है। जिससे देश की युवा पीढ़ी को इन महान और देशभक्त सैन्य नायकों के जीवन से साहस और कर्तव्य पालन को लेकर प्रेरणा मिलेगी। फील्ड मार्शल मानेकशॉ भारत के पहले सैन्य अधिकारी थे। जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया। वह अपने असाधारण नेतृत्व और सामरिक सूझबूझ के लिए जाने जाते थे। वर्ष 1971 की भारत-पाकिस्तान की जंग में फील्ड मार्शल मानेकशॉ की भारत के सेनाप्रमुख थे। इस लड़ाई में मिली जीत में उनके कुशल सैन्य नेतृत्व का अहम योगदान माना जाता है। इसी तरह से ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को मातृभूमि की रक्षा के लिए दी गई प्राणों की आहुति के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र और परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। देश की आजादी और उसके बाद लड़ी गई तमाम लड़ाइयों में योगदान देने वाले शहीदों की याद को संजोने के लिए सरकार ने राजधानी में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया है। अब वह केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी की मदद से स्कूली पाठ्यक्रम में स्मारक और उससे जुड़े अहम भागों को शामिल करने में भागीदारी कर रहा है।

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