Netiona News
- -भारत के उद्योगों पर इसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- -विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने पत्रकारों से बातचीत में दी यह जानकारी।
- -मामले पर चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका को बताया ‘दूसरों को रौब झाड़ने वाला बदमाश’।
Netiona News : नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से जारी कच्चे तेल की खरीद से बिदके अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर लगने वाले पारस्परिक टैरिफ को बढ़ाकर 50 फीसदी करने के निर्णय के ठीक अगले दिन गुरुवार को भारत के वरिष्ठ राजनयिक की एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया सामने आई है। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति का भारत के टैरिफ को 25 से बढ़ाकर 50 फीसदी करना पूरी तरह से एकतरफा निर्णय है। जो बिना किसी कारण और तर्क के लिए लिया गया है। जिसका हालांकि भारतीय उद्योगों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा। ये एक अस्थायी समस्या है, जिसका देश सामना कर रहा है। इन सबके बीच नई दिल्ली और वाशिंगटन डीसी के मध्य बातचीत चल रही है। दोनों देशों के बीच साझा लाभप्रद भागीदारी को देखते हुए हमें पूरा विश्वास है कि आगामी समय में कुछ न कुछ समाधान जरूर निकलेगा। यह जानकारी रवि ने मुंबई में आयोजित किए गए एलआईडीई ब्राजील इंडिया फोरम से इतर पत्रकारों से बातचीत में दी। यहां बता दें कि ट्रंप द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगाए गए टैरिफ की सूची में अब सबसे ज्यादा टैरिफ वाले देशों में भारत और ब्राजील शीर्ष पर पहुंच गए हैं। दोनों पर समान रूप से क्रमश: 50-50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है।
चीन बोला, अमेरिका की दादागिरी
भारत पर टैरिफ में की गई अतिरिक्त बढ़ोतरी पर चीन ने अमेरिका को आड़े हाथों लिया है। नई दिल्ली में चीन के राजदूत शू फेइहेंग ने कहा कि अमेरिका एक ऐसे बदमाश की तरह बर्ताव कर रहा है। जो दूसरे लोगों पर रौब झाड़ता है। नई दिल्ली में चीन के राजदूत शू फेइहेंग ने एक्स पर पोस्ट में संकेतों में भारत को अमेरिका के सामने न झुकने का संदेश भी दिया और कहा कि बदमाश को एक इंच दो, वो मील भर ले लेगा। ट्रंप के इस निर्णय के बाद अब भारत और ब्राजील दुनिया के दो ऐसे देश बन गए हैं। जिन पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया है। चीन पर अमेरिका ने 30 फीसदी टैरिफ लगाया है।
ऐसे दौर से बाहर निकलना होगा
विदेश मंत्रालय में सचिव ने ये भी कहा कि ये पूरा घटनाक्रम भी एक दौर है, जिससे हमें बाहर निकलना है। भारत, अमेरिका के बीच संवाद जारी है। हमारी तरफ से केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय मामले पर मुख्य वार्ताकार है और हमें यह उम्मीद है कि समाधान निकलेगा। जिसके हम काफी करीब हैं। मुझे लगता है इसकी गति में एक अस्थायी रोक लगी है। भारत और अमेरिका रणनीतिक भागीदार हैं व बीते कुछ वक्त से अनुपूरक संबंध हैं। दोनों की तरफ से उद्योग और व्यापार की संभावनाएं हैं।
पीछे नहीं होगा भारत
रवि ने जोर देते हुए कहा कि टैरिफ बढ़ने से भारत बिलकुल भी पीछे नहीं होगा। कोई भी देश जो टैरिफ की दीवार का सामना कर रहा है। वो नए बाजारों की ओर देख रहे हैं जहां वो व्यापार कर सकें। भारत का ध्यान मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों पर है। अगर अमेरिका आपके निर्यात के लिए जटिल हो रहा है तो अन्य अवसरों की ओर देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी देश अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ से प्रभावित हैं। लेकिन चुनौतियों के साथ-साथ समाधान भी निकलेगा। समय के साथ-साथ दुनिया इस समस्या का समाधान अवश्य निकाल लेगी। हम समान सोच वाले देशों के बीच आपस में सहयोग और आर्थिक गतिविधि के पक्ष में हैं। जो सभी पक्षों के लिए साझा रूप से लाभप्रद होगी।
अमेरिकी डॉलर से कोई परेशानी नहीं
ब्रिक्स की मुद्रा से ट्रंप की नाराजगी को लेकर कहा कि समूह की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि अमेरिकी डॉलर को दरकिनार किया जाए। लेकिन हम द्विपक्षीय व्यापार के लिए विकल्प तलाश रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद ठोस मुद्रा में कमी आई है। जिसकी वजह से हमें अपनी मुद्रा में व्यापार करना पड़ा। मुद्दे पर द्विपक्षीय रूप से और ब्रिक्स के स्तर पर काम जारी है। भारत और ब्राजील का राजनीतिक नेतृत्व व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता को लेकर सतर्क हैं। दोनों एक-दूसरे के साथ समपूरक अंदाज में काम कर सकते हैं। भारत, ब्राजील में काफी समानता है। जिसमें भरोसेमंद लोकतंत्र होना मुख्य रूप से शामिल है।
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