Weather
- -एक सप्ताह तक मौसम साफ रहने की संभावना
- -अब करना पड़ सकता है भारी गर्मी का सामना
- -एक पखवाड़े के बाद तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचा
Weather : रेवाड़ी। गत 2 जून को नौतपा खत्म होने तक मौसम अपेक्षाकृत ठंडा बना रहा। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते बारिश और बूंदाबांदी ने नौतपा में पड़ने वाली गर्मी का अहसास तक नहीं होने दिया। मौसम साफ होने के बाद अब तापमान में तेजी से वृद्धि होना शुरू हो गया है। एक पखवाड़े के बाद तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचा है, जिससे गर्मी अपने रंग में आनी शुरू हो गई है। अभी बरसात की जल्द संभावना नहीं है, जिससे जून का दूसरे सप्ताह में लोगों को भारी गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। मई माह का पहला पखवाड़ा काफी गर्म रहा था, परंतु अंतिम सप्ताह में मौसम में बदलाव से तापमान गिरना शुरू हो गया था। 23 मई को तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसके बाद तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की गई। गत 3 मई को नौतपा खत्म होने पर तापमान 30.5 डिग्री पर आ गया था, जो सामान्य से दस डिग्री तक कम था। दो दिन से आसमान में छाए बादल साफ हो गए हैं। हवा में नमी का स्तर भी कम होकर 46 फीसदी तक आ गया है। शनिवार को दिन भर आसमान साफ रहने के कारण तेज धूप ने लोगों को एक बार फिर से गर्मी का अहसास कराना शुरू कर दिया। अधिकतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 40.5 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। न्यूनतम तापमान में भी 2.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई। यह 21.5 डिग्री पर आ गया। तापमान बढ़ने के साथ ही एक बार फिर से गर्मी ने पसीने छुड़ाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि अभी गर्म हवाओं का असर ज्यादा नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में लू का प्रकोप देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग के अनुसार लगभग एक सप्ताह तक आसमान साफ रह सकता है। इससे तापमान में वृद्धि दर्ज की जाएगी। आने वाले सप्ताह में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। इस दौरान बरसात की कोई संभावना नहीं है।
खेतों में सूखे की जगह हरियाली
जून माह में भारी गर्मी पड़ने के कारण खेत सूखे नजर आते हैं। खेतों की घास तक भारी गर्मी के कारण सूख जाती है। इस बार बूंदाबांदी और बारिश ने खेतों को हरा-भरा बनाया हुआ है। किसानों ने जून के शुरू में ही बारिश होने के बाद बाजरे की बिजाई कर दी थी। बाजरा अंकुरित हो गया है। अभी भी किसान बिजाई कर रहे हैं। अब अगर ज्यादा गर्मी पड़ती है, तो वह बाजरे की फसल के लिए संकट पैदा कर देगी। फसल बचाने के लिए किसानों को सिंचाई का सहारा लेना पड़ेगा। दूसरी ओर गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की खपत भी बढ़नी शुरू हो गई है। लगभग 10 लाख यूनिट बिजली की खपत बढ़ी है। गर्मी इसी तरह बढ़ती रही, तो खपत भी तेजी से बढ़ेगी। इससे जल्द ही पावर कटों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा।