Pay Commission
- पेंशनर्स और वेतन भोगियों को तोहफा देने की तैयारी में नायब सरकार
- राज्य सरकार के खजाने पर करीब साढ़े छह हजार करोड़ का वित्तीय बोझ सातवें वेतन आयोग की सिफारिश दिए जाने के बाद पड़ा था
- इस बार सरकारी खजाने पर लगभग नौ हजार करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना
Pay Commission : चंडीगढ़। प्रदेश की नायब सैनी सरकार राज्य के सरकारी कर्मियों और पेंशन भोगियों को तोहफा देने का काम करेगी। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किए जाने को लेकर हरियाणा के वित्त प्रबंधन अफसरों ने अभी से मंथन की शुरुआत कर दी है। आठवें पे कमीशन की सूचना को लेकर कर्मियों, पेंशन लेने वालों और अफसरों में खुशी की लहर व्याप्त है। यह बात दीगर है कि हरियाणा के खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ना तय है। सूबे के लगभग छह लाख नियमित कर्मियों और पेंशन भोगियों को आठ वें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने की तैयारी है, जिसमें लगभग पौने तीन लाख नियमित कर्मी शामिल हैं। सूबे के कर्मियों और अधिकारियों को राज्य सरकार की ओर से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन और पेंशन दी जा रही है। अतीत पर नजर डालें, तो सातवें वेतन आयोग सिफारिशें लागू करने के बाद सरकारी खजाने पर करीब साढ़े छह हजार करोड़ का वित्तीय बोझ बढ़ गया था। अब आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की स्थिति में सरकारी खजाने पर लगभग नौ हजार करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है। यहां पर बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में गत दिवस हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। एक जनवरी 2026 से आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा की गई है। केंद्रीय कर्मचारियों पर यह सिफारिशें लागू होने के बाद विभिन्न राज्यों की सरकारें राज्यों में इस वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों को वेतनमान और पेंशन सुविधाएं देने की प्रक्रिया शुरू कर देंगी। इस क्रम में हरियाणा में नौकरी करने वालों को भी सौगात मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। आंकड़ों और आर्थिक जानकारों की माने, तो फिलहाल, इसकी गणना तो मुश्किल है। कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में कितने प्रतिशत बढ़ोतरी होगी। फिलहाल, आठवां वेतन आयोग के गठन और उनकी सिफारिशें के अध्ययन के बाद ही इस पर जानकार कोई भी स्थिति साफ करने की बात कर रहे हैं।
आयोग गठन का स्वागत
भारतीय मजदूर संघ क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन और आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एंप्लाइज फेडरेशन अध्यक्ष सुभाष लांबा इस आयोग गठन का स्वागत कर रहे हैं। उनका दावा है कि संगठनों के दबाव में इस तरह का फैसला लिया गया है। साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को काफी देरी से लागू किया गया था, लेकिन इसको समयबद्ध तरीके से लागू करने की मांग वे करते हैं। केंद्रीय कर्मचारियों पर आठवां वेतनमान लागू होने के बाद 24 राज्य सरकारों द्वारा लागू किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय की कमान मनोहरलाल के वक्त से मुख्यमंत्री के पास
हर राज्य में अलग-अलग आयोग का गठन होना है, यह आने वाले वक्त के गर्भ में छिपा है। लेकिन राज्य के वित्त विभाग की कमान इस वक्त सीएम नायब सिंह सैनी संभाल रहे हैं। उनके पहले तक यह बागडोर केंद्रीय मंत्री और पूर्व सीएम मनोहरलाल के पास में थी। अधिकतर सिफारिशें और वेतन पेंशन बढ़ाने का फार्मूला केंद्रीय आयोग के फार्मूले के पैटर्न पर ही लागू होता है। हालांकि राज्य सरकार और वित्त विभाग के अफसरों द्वारा फीडबैक व सुझावों पर इसमें कुछ बदलाव संभव है। राज्य सरकारों को भी आठवें वेतन आयोग के गठन की अभी से तैयारी को लेकर मंथन में जुट गई हैंं। मुख्यमंत्री नायब सैनी ही राज्य का वित्त मंत्रालय संभाल रहे हैं और इस बार राज्य का बजट भी वे ही पेश करेंगे। सुभाष लांबा का कहना है कि हरियाणा सरकार को अपने बजट में राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए आठवां वेतन आयोग लागू करने की घोषणा करनी चाहिए।
राजस्व और ऋण को लेकर हालात
-राज्य का अपना कर राजस्व- 44.64 फीसदी
-गैर कर राजस्व – 4,88 फीसदी
-अन्य प्राप्तियां – 23.95 फीसदी
-केंद्र से मिलने वाली राशि-12.06 फीसदी
-ऋण व उधारी वाला पैसा- 35.47 फीसदी
-खर्च : सामाजिक सेवाओं पर- 31.05 फीसदी
-आर्थिक सेवाओं पर खर्च-23.12 फीसदी
-ऋणों के बदले में भुगतान करने पर खर्च होने वाली राशि- 31.17 फीसदी
-सामान्य सेवाओं पर खर्च राशि – 14.66 फीसदी
ऋणों का ब्याज देने में साल दर साल खर्च होती है, बड़ी रकम
विधानसभा में भी कईं बार ब्याज और ऋण को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में जोरदार बहस होती रही है। ब्याज के नाम पर भुगतान और लोन को लेकर अक्सर विपक्ष हमला करता है। सरकार द्वारा 35.47 प्रतिशत ऋण लिया जाता है, इसके विपरीत 31.17 प्रतिशत की वापसी होती है। इस मद में मूल राशि का भुगतान 17.93 प्रतिशत होती है। ब्याज की मद में 13.24 प्रतिशत राशि का भुगतान राज्य सरकार को करना पड़ता है। प्रशासनिक सेवाओं वेतन की मद में करीब पांच प्रतिशत बजट राशि खर्च की जाती है, जबकि पेंशन की मद में आठ प्रतिशत राशि खर्च हो रही है।
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