Haryana
- भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को देता है मजबूती
- इस वर्ष तिथि को लेकर थोड़ी उलझन
- बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं
- भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं
Haryana : कुरुक्षेत्र। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष भाई दूज की तिथि को लेकर थोड़ी उलझन है, क्योंकि 31 अक्टूबर के बाद एक नवंबर का दिन खाली है। सामान्यत: दिवाली के दो दिन अमावस्या तिथि होने के कारण आजकल ऐसा हुआ है क्योंकि 31 अक्टूबर को दीवाली का त्योहार मनाया गया और 1 नवम्बर को पितृ पूजन और पिंडादान आदि कार्य किए गए। अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाई जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस वर्ष भाई दूज का पर्व 2 नवंबर 2024 को रात 8:21 बजे से शुरू होकर 3 नवंबर 2024 को शाम 7:52 बजे समाप्त होगा। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, उदया तिथि के आधार पर भाई दूज का मुख्य पर्व रविवार, 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। 3 नवंबर को भाई दूज के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं। उस दिन सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर दिन में 11 बजकर 40 मिनट तक है। उसके बाद से शोभन योग बन रहा है, जो पूरी रात तक है। ये दोनों ही योग शुभ हैं। भाई दूज के शुभ मुहूर्त के समय शोभन योग बना है। उस दिन अनुराधा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक है।
शुभ मुहूर्त- तिलक का समय
वैसे तो इस बार उदय तिथि में द्वितीय तिथि शुरू होकर शाम 7-52 तक रहेगी जिससे सारा दिन कभी भी भैया को तिलक कर सकते है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डॉ.रामराज कौशिक ने बताया कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार कई लोग शुभ मुहूर्त में तिलक करवाना चाहते हैं जो इस प्रकार है। भाई दूज पर तिलक के लिए शुभ मुहूर्त रविवार 3 नवंबर को उपलब्ध रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:51 बजे से 5:43 बजे तक, दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 1:10 बजे से 3:22 बजे तक, विजय मुहूर्त: दोपहर 1:54 बजे से 2:38 बजे तक, तिलक का मुख्य शुभ समय दोपहर 1:16 बजे से 3:27 बजे तक रहेगा।
यम द्वितीया का महत्व: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने आए थे और तभी से यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में तिलक करने से भाइयों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनकी दीघार्यु होती है।
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