Haryana
- सेहत से किया जा रहा खिलवाड़, मिलावटखोर चुस्त और अधिकारी सुस्त
- स्वास्थ्य विभाग के जांच के दावे हो रहे हवा-हवाई
- शहर में धड़ल्ले से बेची जा रही मिलावटी मिठाइयां
Haryana : कैथल। भले ही स्वास्थ्य विभाग त्यौहार पर मिलावटी मिठाइयां रोकने के लाख दावे करे, लेकिन यह केवल दावे ही साबित होते आ रहे हैं। जिस प्रकार से स्वास्थ्य विभाग मिठाइयों में मिलावटी को जांचने के लिए बड़े-बड़े मिष्ठान भंडारों के यहां छापेमारी कर सैंपल ले रहा है तो वहीं विभाग के तेवरों को देखते मिष्ठान भंडार वाले भी हाइटैक हो गए हैं। यहां अपने बड़े-बड़े शोरूम पर नाममात्र मिठाई बना रहे हैं क्योंकि इनका मिलावट वाला काम शहर व गांवों के छोटे दुकानदार कर रहे हैैं। गली मोहल्ला, शहर की दूर बस्ती तथा खाली खंडहर मकानों में मिठाइयां बना रहे इन दुकानदारों पर कोई शक भी नहीं करता। मिठाई देने की बात पर दुकानदार ने बताया कि उसके पास दीपावली तक मिठाई देने का कोई समय नहीं है तथा न ही वह परचून में मिठाई देगा। उसने बताया कि उसने ब्रांडेड मिठाई विक्रेता का ठेका लिया है तथा वह उसके लिए थोक में मिठाई तैयार कर रहा है।
ये बड़े सवाल
अधिकतर बड़े दुकदानदारों की मिठाई उनके शोरूम पर नहीं बल्कि गोपनीय तरीके से बनाई गई फैक्टरियों में तैयार हो रही हैंं। इनमें से अधिकतर की लोकेशन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास भी नहीं है। देखने वाली बात यह भी है कि शहर में अधिकतर दूध की आपूर्ति प्रतिदिन होती है लेकिन दीपावली पर हजारों टन मावा व पनीर के लिए इतना दूध कहां से आता है। ऐसे में मिलावटी दूध से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जानकारों ने बताया कि दूध अधिकतर एक ही दिन प्रयोग में लाया जा सकता है लेकिन अधिकतर विक्रेता दूध को लंबे समय तक प्रयोग में लाने के लिए बड़े पैमाने पर कास्टिक सोडा का प्रयोग कर रहे हैं। इसी दूध से मिठाइयां भी तैयार की जा रही हैं। यदि कास्टिक लोहे की जंग उतार सकता है तो यह आम व्यक्ति के स्वास्थ्य पर क्या असर डालेगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
नियमों को सरेआम दिखा रहे ठेंगा
मार्केट के अधिकतर मिठाई विक्रेता विभागीय नियमों को सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। नियमों के अनुसार जहां डिब्बा का वजन अलग से होता है लेकिन दुकानदार उसे भी मिठाई के दाम के साथ ही तोलता है। यही नहीं ट्रे पर पर्ची लगाने का खेल भी खूब चल रहा है। मिठाई विक्रेता सुबह के समय सभी ट्रे पर उसी दिन की पर्ची चिपका देते हैं। यदि मिठाई नहीं बिकी तो अगले दिन उस पर्ची को फाडकर उसके स्थान पर नई तिथि की पर्ची चस्पा कर दी जाती है। अधिकारियों का मिलावटी मिठाइयों पर कार्रवाई से कन्नी काटना दाल में काला की ओर इशारा करता नजर आ रहा है।
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