Spinal Muscular Atrophy
- -यह दुर्लभ टीका नीदरलैण्ड में मिलता है, अब सहायता के लिए राजस्थान शिक्षा विभाग आगे आया
- -चार माह पहले इसकी कीमत थी 17.50 करोड़, एनजीओ के सहयोग से जुड पाए 6.5 करोड़
- -राजस्थान शिक्षा विभाग में कार्यरत 3 लाख कर्मी, जून के वेतन से 60 रुपये प्रति कर्मी स्वैच्छा देगा दान
- -25 माह के अर्जुन की माता राजस्थान शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक पद पर कार्यरत
हरियाणा। नारनौल में करीब 25 माह का बच्चा अर्जुन स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी SMA TYPE-1 डिजीज (Spinal Muscular Atrophy) बीमारी से पीड़ित हैं। यह बेहद दुर्लभ बीमारी है, जिसका इलाज बहुत महंगा है। आम आदमी तो इस बीमारी को ठीक करवाने की सोच भी नहीं सकता है। इस बीमारी को खत्म करने के लिए इंजेक्शन जोलजेस्मा (Zolgensma) लगाना पड़ता है। यह इंजेक्शन नीरदरलैण्ड में मिलता है। भारत में एक इंजेक्शन की कीमत 17.50 करोड़ रुपये है। अर्जुन की जान बचाने के लिए परिवार ने एक एनजीओ इम्पेक्ट गुरु व अन्य के सहयोग से अब तक 6.50 करोड़ रुपये एकत्रित हैं, लेकिन ये भी जोलजेस्मा (Zolgensma) खरीदने के लिए प्रयाप्त नहीं है। अब इस परिवार की मदद के लिए राजस्थान का शिक्षा विभाग आगे आया है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने ग्रुप-डी को छोड़कर सभी कर्मचारियों को स्वैच्छा से जून माह के वेतन से 60 रुपये कटवाने का आग्रह किया है। इस समय यहां शिक्षा विभाग में करीब तीन लाख कर्मचारी/अधिकारी है। इस सहयोग से अब परिजनों में अर्जुन को ठीक करवाने की आस जगी है। नांगल चौधरी में एसएस अस्पताल में नौकरी कर रहे अर्जुन के दादा रिटायर टीचर रामजीलाल जांगिड़ ने बताया कि उसका पौत्र अर्जुन फिलहाल राजस्थान में डाबला के पास गांव स्यालोदड़ा में रह रहा है। अर्जुन SMATYPE-1 बीमारी से ग्रस्त है। जो सबसे गंभीर रूप है। पांच मई 2022 को जन्मा अर्जुन जन्म के समय बिल्कुल स्वस्थ था। छह माह की उम्र में अचानक पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव हो गया। इसके बाद जांच में इस बीमारी का पता चला। हैदराबाद से टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद जयपुर में जेके लोन अस्पताल के डॉ. प्रियांशु माथुर ने अर्जुन को एसएमए टाइप-1 बीमारी (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) घोषित कर दी। जांच पड़ताल में पता चला कि जोलजेस्मा का इंजेक्शन से ही अर्जुन ठीक हो सकता है।
एनजीओ ने दिया साथ
रामजीलाल ने बताया कि वह खुद रिटायर्ड टीचर हैं और इन दिनों नांगल चौधरी में एसएस हॉस्पिटल में पार्ट टाइम काम कर रहा है। इकलौता बेटा चिराग सिटी स्कैन मशीन ठीक करने वाली निजी कंपनी में कार्यरत है। परिवार की हालत भी इतनी नहीं है कि इतनी मोटी रकम वहन कर सके। इस दौरान एक एनजीओ इम्पेक्ट गुरू आगे आई है और लोगों को सोशल मीडिया या अन्य संसाधनों के माध्यम से अर्जुन से जुड़ी हर चिकित्सक रिपोर्ट व डिटेल सांझा कर पैसा एकत्रित कर रही है।
पीएमओ और स्पीकर बिरला से भी गुहार
रामजीलाल ने कहा कि वह लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मिले थे। पीएमओ को भी फाइल भिजवा चुके हैं। अब तक छह करोड़ 50 लाख की राशि एकत्रित हो चुकी है। शिक्षा विभाग राजस्थान ने सहयोग करने का प्रयास शुरू किया है। इस विभाग में तीन लाख से अधिक कर्मी है। उनके प्रयास से अगर दो करोड़ 10 लाख एकत्रित ओर हो जाते है तो यह राशि आठ करोड़ 60 लाख हो जाएगी। इंजेक्शन देने वाली कंपनी के नियमों के हिसाब से यह राशि हम देकर इंजेक्शन लगवा सकते है। इसी दौरान कंपनी व हमारे बीच एक एग्रीमेंट होगा और बाकी छह करोड़ की राशि हम एक साल में दो किस्तों में कंपनी को देंगे। पहले इस इंजेक्शन की कीमत 17 करोड़ 50 लाख थी। इस समय यह कीमत 14 करोड़ 50 लाख है।
यह है जोलजेस्मा इंजेक्शन
दुनिया की सबसे महंगी दवा जोलजेस्मा का इंजेक्शन है। चिकित्सक श्रेणी में इसे एक प्रकार की जीन थेरेपी बताते है जिसका उपयोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (एसएमए) से पीडि़त बच्चों के इलाज के लिए किया जाता है। यह बीमारी बच्चों के मांसपेशियों को कमजोर करती है और अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह घातक हो सकती है। जोलजेस्मा इंजेक्शन का उपयोग करके एसएमए का इलाज करने के लिए, बच्चे को एक बार इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन बच्चे के शरीर में एक नए जीन को डालता है जो एसएमए के कारण होने वाले नुकसान को ठीक कर सकता है। जोलजेस्मा इंजेक्शन अभी भी भारत में स्वीकृत नहीं है, लेकिन डॉक्टर की सलाह और सरकार की मंजूरी के बाद इसे आयात किया जा सकता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी डिजीज
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी डिजीज (एसएमए) आनुवंशिक (वंशानुगत) न्यूरोमस्कुलर विकारों के एक समूह का प्रतिनिधित्व करता है, जो कुछ मांसपेशियों को कमजोर और नष्ट ( एट्रोफी ) बनाता है। एसएमए में आपकी रीढ़ की हड्डी में एक विशेष प्रकार की तंत्रिका कोशिका का नुकसान होता है, जिसे लोअर मोटर न्यूरॉन्स या एंटीरियर हॉर्न सेल कहा जाता है। ये कोशिकाएं मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करती हैं। इन मोटर न्यूरॉन्स के बिना, मांसपेशियों को तंत्रिका संकेत नहीं मिलते हैं जो उन्हें गति प्रदान करते हैं। एसएमए में कमज़ोरी आपके शरीर के केंद्र के नज़दीक की मांसपेशियों (प्रॉक्सिमल मांसपेशियों) में ज़्यादा गंभीर होती है, बजाय आपके शरीर के केंद्र से दूर की मांसपेशियों (डिस्टल मांसपेशियों) में। मांसपेशियों की कमज़ोरी समय के साथ और भी खराब होती जाती है।
क्या है एसएमए टाइप 1
एसएमए के लगभग 60% मामले टाइप 1 के होते हैं-जिसे वेर्डनिग-हॉफमैन रोग भी कहा जाता है। लक्षण जीवन के पहले छह महीनों के भीतर दिखाई देते हैं और इसमें सीमित सिर नियंत्रण और मांसपेशियों की टोन में कमी ( हाइपोटोनिया ) शामिल हैं। टाइप 1 एसएमए वाले शिशुओं को निगलने और सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
शिक्षा संगठनों के प्रयास के बाद शिक्षा विभाग का रहा सहयोग
बच्चे अर्जुन की माता पूनम जांगिड़ जयपुर में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय द्वारिकापुरी में प्रयोगशालजा सहायक पद पर कार्यरत है। मां ने बेटे की सहायता के लिए शिक्षक संगठनों से बातचीत की। इसके बाद राजस्थान शिक्षक संघ, राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम), अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ, राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय), राजस्थान शिक्षक संघ (एकीकृत), राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील), राजस्थान समग्र शिक्षक संघ व राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से एक माह के वेतन में 50 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति कर्मचारी सहयोग देने की सहमति दी। इसके बाद 16 जून को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी आईएएस ने पत्र जारी किया और अर्जुन की बीमारी का हवाला देते हुए ग्रुप-डी को छोड़कर समस्त अधिकारी/कर्मचारी के जून माह के वेतन से 60 रुपये की सहायता राशि स्वैच्छापूवर्क देने को कहा।
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