Rajnath
- राजनाथ को सौंपा अभियान ध्वज
- दल ने पांच महीने में इस यात्रा को पूरा किया
- 21 अनाम द्वीपों पर फहराया राष्ट्रीय ध्वज
Rajnath : नई दिल्ली। अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के 21 अनाम द्वीपों का नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के मौके पर 23 अगस्त 2023 को देश के परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया था। इसकी पहली वर्षगांठ मनाने के लिए इस साल 22 मार्च को सशस्त्र सेनाओं की अंडमान-निकोबार स्थित त्रिस्तरीय कमांड ने एक 11 सदस्यीय समुद्री तैराकी अभियान का आयोजन किया था। जिसका उद्देश्य खुले जल में तैराकी के जरिए इन द्वीपों पर पहुंचकर वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराना था। दल ने करीब पांच महीने में 300 किलोमीटर से अधिक की इस यात्रा को पूरा कर प्रत्येक द्वीप पर तिरंगा फहराया और शुक्रवार को राजधानी में इस अभियान के प्रतीक के रूप में संबंधित अभियान ध्वज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपा। समारोह में सीडीएस, सेनाप्रमुख और अंडमान कमांड के प्रमुख सैन्य अधिकारी शामिल हुए। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। इसमें बताया कि इस अभियान में सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल के 11 कर्मी शामिल हुए। इनका नेतृत्व प्रसिद्ध तैराक और तेनजिंग नॉर्वे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार विजेता विंग कमांडर परमवीर सिंह ने किया।
युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे जवान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में तैराकी टीम के साहस और क्षमता की सराहना की और कहा कि दल ने समुद्र में कई चुनौतियों को पार करते हुए इस अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया और परम वीरों की वीरता, बलिदान की कहानियों को आम जनता तक पहुंचाया। इस अभियान के जरिए सरकार का उद्देश्य यह है कि देश की सेवा में अपना बलिदान देने वाले सैनिकों के वीरतापूर्ण कार्यों के बारे में युवाओं को पता चले और यह बहादुर उनके नायक बनें। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि सशस्त्र सेनाओं के जवान देश को गौरवान्वित करेंगे और युवाओं के प्रेरणास्रोत बनेंगे। अभियान का औपचारिक रूप से समापन इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के दिन हो गया था।
अंतरराष्ट्रीय मानकों से चला अभियान
मंत्रालय के मुताबिक, यह तैराकी अभियान बिना सहायता के खुले समुद्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों और नियमों के तहत चलाया गया। जिसमें एक तैराक के लिए स्विम ट्रंक, चश्मे और टोपी पहनना अनिवार्य था। अभियान के दौरान तैराकों को गंभीर थकावट, अत्यधिक निर्जलीकरण, सनबर्न, घातक समुद्री जीवों से सामना और अशांत समुद्री परिस्थितियों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद भी यह अभियान बिना किसी दुर्घटना के सफलता के साथ पूरा हुआ। यह एक शानदार उपलब्धि है क्योंकि सभी तैराक पहली बार खुले समुद्र में तैराकी करने के लिए उतरे थे।
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