Mandir
- संकट मोचन मंदिर में 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा का पांचवा दिन
- मुख्य अतिथि पूर्व मेयर मनमोहन गोयल ने ज्योत प्रचंड कर पूजा अर्चना की
Mandir : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 7 दिवसीय धार्मिक आयोजन का पांचवे दिन बुद्धवार को श्रद्धा और भक्तिमय से शुभारंभ हुआ । इस अवसर गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी द्वारा कीर्तन, सत्संग व आरती हुई । पंडित अशोक शर्मा ने प्रसाद वितरित किया। मुख्य अतिथि पूर्व मेयर मनमोहन गोयल ने कथा से पूर्व ज्योत प्रचंड की व माथा टेककर आरती की । वही पानीपत से आए समाजसेवी वीरेंद्र कुमार ने जरूरतमंद बच्चों को पुस्तके व स्टेशनरी वितरित की । यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी। मंदिर प्रांगण में संगीतमय व रसमय चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन बुद्धवार को श्रीमद्भागवत कथा गणेश वंदना के साथ कथा याचिका साध्वी यमुना दीदी (वृन्दावन) ने अपनी मधुर वाणी से की । साध्वी यमुना दीदी द्वारा की जा रही श्रीमद्भभागवत कथा में श्रीकृष्ण के माखनचोरी, कृष्ण को जन्म के उपरांत उनकी बाल लीला, पूतना वध, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि का मोहक वर्णन किया और उनकी लीलाओं का वर्णन सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए।साध्वी यमुना दीदी ने बताया कि जैसा कि हम सब कहते हैं कान्हा जी माखन चोर हैं लेकिन हकीकत में वो चोर नहीं हैं । भगवान जी ने माखन नहीं बल्कि अपने भक्तों का दिल चुराया है । माखन चुराना तो प्रभु ने एक लीला थी। अपने भक्तों के प्रति आपकी प्रेम को बढ़ाना और अपने से बांधे रखने की काला थी । उन्होंने कहा कि माखन चुराना मतलब भक्तों के चित को चुराना है ।
गोपियों का श्रीकृष्ण से प्रेम व भक्ति का नाता
उन्होंने कथा में कहा कि गोपियों का श्रीकृष्ण से नाता एक अद्वितीय और व्यक्तिगत संबंध है । यह संबंध प्रेम, भक्ति, आत्मिकता और विरह से भरा है । यह संबंध गोपियों के जीवन को प्रभावित करता है और उन्हें श्रीकृष्ण के प्रति और भी गहरा प्रेम और भक्ति प्रदान करता है । उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। कथा के दौरान भगवान गिरिराज पर्वत को उठाते हुए सुंदर झांकी सजाई गई। इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु देर तक नाचते रहे। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ।
प्रभु विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि, सुख की प्राप्ति संभव
साध्वी यमुना दीदी ने कथा करते हुए भक्तों को अक्षय तृतीया का महत्व बताया । उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना से व्यक्ति को धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि “अक्षय तृतीया” का अर्थ है “अक्षय फल देने वाली तिथि”। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, संपत्ति की खरीद, आदि शुभ कार्य करने से सफलता मिलती है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन दान करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है।