Mandir
- रोहतक के संकट मोचन मंदिर में 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा का छठा दिन
- श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा भी 7 दिन होती, हर जीव के पास सप्ताह में दिन भी 7 होते है
- शुक्रवार प्रात: 8 बजे हवन, कन्या पूजन 10 बजे, प्रात: 11 बजे हरि इच्छा तक भजन
Mandir : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री जी के निर्वाण दिवस पर आयोजित 7 दिवसीय भक्तिमय कार्यक्रम के छठे दिन वीरवार को श्रद्धा और उत्साह से शुभारंभ हुआ । इस अवसर गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने कीर्तन व सत्संग किया और पंडित अशोक शर्मा ने प्रसाद वितरित किया। मुख्य अतिथि
ने भक्तिभाव से ज्योत प्रचंड की व माथा टेककर आरती की । यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।
मंदिर प्रांगण में संगीतमय व रसमय चल रही श्रीमद्भागवत कथा गणेश वंदना के साथ कथावाचन साध्वी यमुना दीदी (वृन्दावन) ने अपनी सुरीली व मधुर वाणी से कृष्ण-रुक्मणी विवाह उत्सव का भी विस्तारपूर्वक अनावरण किया ।
कथावाचन साध्वी यमुना दीदी ने बताया कि श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा में 7 अंकों का विशेष महत्व है । उन्होंने कहा कि नटखट कान्हा उस समय मात्र 7 वर्ष थे जब उन्होंने 7 दिन तक अपनी छोटी उंगली पर गिरिराज महाराज (गोवर्धन पर्वत) को उठाया और ब्रजवासियों को बारिश से बचाया। लम्बे चौड़े गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी 7 कोस की है और जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था तो । श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा भी 7 दिन होती है । हर जीव के पास सप्ताह में दिनभी 7 होते है । उन्होंने कहा कि विज्ञान और डॉक्टर की रिपोर्ट भी बताती है कि इंसान के प्राण निकलने में 7 सेकंड ही लगते हैं । परीक्षित द्वारा सर्प से दुर्व्यवहार करने पर ऋषि श्रृंगी ने 7 दिन बाद उसकी मृत्यु का श्राप दिया लेकिन मृत्यु के बाद, 7 दिन श्रीमद्भागवत कथा सुनाई तो वें उन्हें श्राप से मुक्ति मिली ।

कृष्ण-रुक्मणी विवाह उत्सव ्र
कथावाचन साध्वी ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं। कथा के दौरान उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह, दिव्य चरित्र और उनकी लीला का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण ने सदैव अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए कार्य किया। उन्होंने मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का अंत कर प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्त किया। इसके पश्चात, भगवान श्रीकृष्ण ने विदर्भ राजकुमारी रुक्मिणी से विवाह कर उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाया। जैसे ही झांकी में विवाह का दृश्य व भक्तिमय संगीत पापा प्रस्तुत किया तो पूरे पंडाल में “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष गूंज उठे और श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए व झांकी ने सबका मन मोहा लिया।
आज होगा हवन, कन्या पूजन, भजन प्रवाह, ध्वजारोहण और भंडारा
कार्यक्रम में 2 मई शुक्रवार प्रात: 8 बजे हवन, कन्या पूजन 10 बजे, प्रात: 11 बजे हरि इच्छा तक भजन गायिका दीदी मीनाक्षी जी द्वारा भजन प्रवाह, मुख्य अतिथि ध्वजारोहण व कथावाचन यमुना दीदी जी द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का समापन 11 बजे , संत समागम 12 बजे, साध्वी व संत महत्माओं के प्रवचन, आर्शीवचन, आरती और 2 बजे विशाल भंडारे का आयोजन होगा। गुरुजी ने भक्तों से अपील की इस पावन पर्व पर पहुंचकर भक्तिमय ज्ञान रस प्राप्त करे।