• Wed. Mar 12th, 2025

Surajkund : वायलिन वादक सुनीता भुयान व लोक गायिका रिन्कू कालिया ने भारतीय विविधता का दिखाया सांस्कृतिक स्वरूप

सूरजकुंड मेला परिसर में बड़ी चौपाल पर सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुति देती विख्यात आर्टिस्ट सुनीता भुयान।सूरजकुंड मेला परिसर में बड़ी चौपाल पर सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुति देती विख्यात आर्टिस्ट सुनीता भुयान।

Surajkund

-सांस्कृतिक संध्या: सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला
-सुरीली धुनों पर गुंजायमान हुआ सूरजकुंड मेला परिसर

Surajkund : फरीदाबाद। 38वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुण्ड शिल्प मेला सांस्कृतिक विरासत को सहेजते हुए देश दुनिया में हमारी संस्कृति के आदान प्रदान का सशक्त माध्यम बन रहा है। दुनिया के विभिन्न देशों व अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों को मेला परिसर में रोजाना सांस्कृतिक मंचों पर विख्यात आर्टिस्ट की प्रस्तुतियां देखने को मिल रही हैं। कला एवं सांस्कृतिक विभाग हरियाणा के तत्वावधान में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पर्यटकों का अपार जनसमूह उमड़ रहा है। मंगलवार की सांस्कृतिक संध्या बड़ी चौपाल पर आयोजित हुई जिसमें असम से आई सुप्रसिद्ध प्रियदर्शिनी पुरस्कार अवार्डी सुनीता भुयान ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। वायलिन की सुरीली धुनों से मंगलवार की शाम सूरजकुंड मेला परिसर तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा और दर्शकों ने सुनीता भुयान की कला की खूब प्रशंसा की।

 

जाने-माने कलाकार

गौरतलब है कि मेला परिसर में 23 फरवरी तक प्रतिदिन मुख्य चौपाल व अन्य सांस्कृतिक मंचों पर देश-विदेश के प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जा रही हैं। हर शाम 7 बजे से देश के जाने-माने कलाकार अपनी गायकी व वाद्य यंत्रों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को सांस्कृतिक संध्या में भारतीय वायलिन वादक सुनीता भुयान व लोक गायिका रिंकू कालिया ने बड़ी चौपाल पर अपनी गायकी से देर शाम तक दर्शकों को सुरीले गीतों व मनमोहक ध्वनि के साथ वाद्य यंत्रों से मनोरंजन किया।

 

सांस्कृतिक संध्या

सूरजकुंड मेले में मंगलवार को सांस्कृतिक संध्या में इंडो जैज फ्यूजन और विश्व लोक शैलियों की प्रस्तुति दी तो बड़ी चौपाल संगीत के रंग में रंग गई। सुनीता भुयान ने गंगा सिलोनी गाने को देश की अलग-अलग भाषाओं में गाया। इसके साथ ही उन्होंने अष्ट लक्ष्मी प्रस्तुति के जरिए पूर्वोत्तर के राज्यों की संस्कृति की भी झलक दिखाई। इससे पहले सांस्कृतिक संध्या में लोक गायिका रिंकू कालिया ने अजीब दास्तां है ये, चार दिनां दा साथ हो रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई व मैं आवांगी हवा बन के इत्यादि गीत, गजल और भक्ति गीतों से चौपाल में बैठे दर्शकों का मन मोह लिया।

https://vartahr.com/surajkund-violin…indian-diversity/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *