Shubhanshu’s return journey
- चाराें अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी की वापसी यात्रा शुरू की
- 18 दिनों से चारों अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर थे
- ड्रैगन अंतरिक्ष यान आईएसएस से भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे अलग हुआ
- 23 घंटे के सफर के बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 15 जुलाई दोपहर करीब 3 बजे समुद्र में उतरेगा
- इसे स्प्लैशडाउन कहते हैं, स्पेसक्राफ्ट 263 किलो से ज्यादा कार्गो के साथ वापस आएगा।
Shubhanshu’s return journey : नई दिल्ली। ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान के सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से अलग होने के साथ शुभांशु शुक्ला और वाणिज्यिक एक्सिओम-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी की वापसी यात्रा शुरू हो गई। 18 दिनों से चारों अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर थे। ड्रैगन अंतरिक्ष यान आईएसएस से भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे अलग हुआ। करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 15 जुलाई दोपहर करीब 3 बजे समुद्र में उतरेगा। इसे स्प्लैशडाउन कहते हैं। स्पेसक्राफ्ट 263 किलो से ज्य्गो के साथ वापस आएगा। इसमें नासा का हार्डवेयर और 60 से ज्यादा प्रयोगों का डेटा शामिल होगा। यह अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम से 10 मिनट की देरी
वापसी के मूल कार्यक्रम से 10 मिनट की देरी हुई। कक्षीय प्रयोगशाला से दूर जाने के लिए उसने दो बार थ्रस्टर्स चालू किए। पायलट शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिटसन, मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू सहित एक्सिओम-4 के चालक दल ने 26 जून को आईएसएस से जुड़ने के बाद से लगभग 76 लाख मील की दूरी तय करते हुए पृथ्वी के चारों ओर लगभग 433 घंटे या 18 दिन में 288 परिक्रमाएं कीं। रविवार को आईएसएस पर विदाई समारोह में शुक्ला ने कहा, ‘जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं।’ राकेश शर्मा के 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने के बाद शुक्ला दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं।
शाम 4:45 बजे पृथ्वी के लिए निकले
-14 जुलाई को दोपहर करीब 02:15 बजे क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में पहुंचा।
-शाम 4:45 बजे स्पेसक्राफ्ट आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल से अनडॉक हुआ।
-15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन होगा।
18 दिन अंतरिक्ष में शुभांशु ने यह किया
60 वैज्ञानिक प्रयोग
शुभांशु ने मिशन के दौरान 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया। इनमें भारत के सात प्रयोग शामिल थे। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाया। स्पेस माइक्रोएल्गी’ प्रयोग में भी हिस्सा लिया। अंतरिक्ष में हड्डियों की सेहत पर भी प्रयोग किए।
प्रधानमंत्री से बात
28 जून 2025 को शुभांशु ने आईएसएस से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखता है। पीएम ने पूछा कि आप गाजर का हलवा लेकर गए हैं। क्या साथियों को खिलाया। इस पर शुभांशु ने कहा- हां साथियों के साथ बैठकर खाया।
छात्रों से संवाद
3, 4 और 8 जुलाई को उन्होंने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के 500 से अधिक छात्रों के साथ हैम रेडियो के जरिए बातचीत की। इसका मकसद युवाओं में एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के प्रति रुचि बढ़ाना था।
इसरो के साथ संवाद
6 जुलाई को उन्होंने इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की, जिसमें उनके प्रयोगों और भारत के गगनयान मिशन के लिए उनके योगदान पर चर्चा हुई।
पृथ्वी की तस्वीरें
शुभांशु ने आईएसएस के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की शानदार तस्वीरें खींचीं, जो सात खिड़कियों वाला एक खास हिस्सा है।
41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।