Rohtak News
- संकट मोचन मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर लिया आशीर्वाद, भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया
- अज्ञानता दूर करके ज्ञान का प्रकाश देकर मोक्ष के द्वार तक पहुंचाने का काम गुरु ही करते हैं
- गुरु न केवल एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि कोच के रूप में भी कार्य करते हैं
- भजन गायिका पूनम मल्होत्रा ने सुरीली व मधुर वाणी से भजन गाकर सबको मंत्रमुग्ध किया
Rohtak News । माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा रविवार को श्रद्धा, उत्साह और हर्षोल्लास से मनाई गई। भक्तजनों ने गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी, ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर उज्जवल भविष्य व सुख-समृद्धि की कामनाएं की। भक्तों ने श्रद्धा, आस्था भाव से गुरुजनों के चरण स्पर्श, वंदन पूजा, तिलक कर, फल, मिठाई, वस्त्र और दान दक्षिणा देकर सुख, समृद्धि, खुशहाली, हरियाली के लिए माथा टेक कर पूजा अर्चना और आरती की। गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुजी ने भी भक्तों के मस्तक पर तिलक लगाकर उन्हें आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम में प्रात: 10 बजे गुरु पूजन, 11 बजे हांसी से भजन गायिका पूनम मल्होत्रा ने अपनी सुरीली व मधुर वाणी से भजन गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात आरती, आशीर्वचन और दोपहर 1 बजे भंडारे का आयोजन हुआ। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी। साध्वी मानेश्वरी देवी ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कहा कि हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि मनुष्य को अपने जीवन में एक गुरु अवश्य बनाना चाहिए, जिससे उसे गुरु की दीक्षा मिल सके और गुरु द्वारा कहे गए आचरण का पालन कर सके। गुरु हमेशा मनुष्य के सच्चे मार्गदर्शक रहे हैं। गुरु मनुष्य के जीवन से अंधकारमय अज्ञान का कार्य करते हैं। अज्ञानता दूर करके ज्ञान का प्रकाश देकर उसे मोक्ष के द्वार तक पहुंचाने का काम गुरू ही करते हैं।
गुरु नाम में ही सम्मान और शिक्षा का भाव
गुरु नाम में ही सम्मान और शिक्षा का भाव होता हैं। इंसान अपने जीवन मे सब कुछ कर सकता है परंतु वो जो कर रहा हैं, वो काम सही है या नहीं ये जानने की सिख उसे गुरु से मिलती है। एक दूसरे का सम्मान करना और अपने देश से प्रेम करना गुरु से ही सीखने को मिलता है। हमे जीवन हमारे माता-पिता से मिलता है, और जीवन जीना गुरू सिखातें हैं।उन्होंने कहा कि गुरु न केवल एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि एक कोच के रूप में भी कार्य करते हैं, जो हमें अपने विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करने में मदद करते हैं। वे रचनात्मक आलोचना प्रदान करते हैं और हमारी कमियों को उजागर करते हैं, हमें अपने कार्यों को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करते हुए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है और इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ गुरु की उपासना की जाती है।
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