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Ratanavali : हरियाणा की लोक-संस्कृति के महाकुंभ ‘रत्नावली महोत्सव’ भव्य आगाज

Ratanavali

  • कुरुक्षेत्र विवि में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किया शुभारंभ
  • रत्नावली हरियाणा की लोक-संस्कृति, कला और परंपरा को सहेजने का प्रेरक मंच
  • रत्नावली महोत्सव में 3500 युवा कलाकारों की होगी भागीदारी, 34 विधाओं में करेंगे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन
  • सरकार का लक्ष्य हरियाणा को कृषि, औद्योगिक और सांस्कृतिक धरोहर के केंद्र के रूप में स्थापित करना

 


चंडीगढ़। हरियाणा की समृद्ध लोक-संस्कृति और कला परंपरा को सहेजने वाले राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव का आज कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में भव्य शुभारंभ हुआ। महोत्सव में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्सव हरियाणा की गौरवशाली विरासत, हमारी माटी की महक और लोक जीवन की झलक प्रस्तुत करता है। यह विद्यार्थियों को न केवल अपने व्यक्तित्व को निखारने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने की भावना से भी ओतप्रोत करता है। रत्नावली महोत्सव केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी जड़ों और पहचान को पुनर्जीवित करने का एक प्रेरक मंच है।

अनूप लाठर को किया सम्मानित

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा द्वारा पद्मश्री से अलंकृत संतराम देशवाल तथा कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले अनूप लाठर को सम्मानित किया गया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने हरियाणवी बोली में प्रकाशित रत्नावली टाईम्स पत्रिका का भी विमोचन किया। सैनी ने कहा कि वे ऊर्जावान युवाओं के बीच आकर अत्यंत उत्साहित हैं। यह देखकर गर्व होता है कि नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि यह महोत्सव एक ऐसा मंच है, जो युवा पीढ़ी को हमारी जड़ों से जोड़ता है। रत्नावली महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने, संरक्षित करने और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनुपम प्रयास है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोग संदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि हरियाणा की संस्कृति में सादगी, स्वाभिमान और देशभक्ति का भाव रचा-बसा है। रत्नावली महोत्सव इन्हीं मूल्यों का उत्सव है और इस मंच से निकलने वाले कलाकार न केवल प्रदेश बल्कि देश का नाम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते हैं।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा का सबसे प्राचीन

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह प्रदेश 1966 में बना लेकिन इस विश्वविद्यालय की नींव 1956 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने रखी थी। हरियाणा प्रदेश के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में इस विश्वविद्यालय का अमूल्य योगदान है। हरियाणा ने शिक्षा, खेल, संस्कृति, शोध, औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति कर अग्रणी राज्य के रूप में भारत में अलग पहचान बनाई है। इस पहचान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह विश्वविद्यालय, ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान, कौशल विकास, खेल, कला, संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक है।

हरियाणवी संस्कृति का महाकुंभ

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 38 वर्षों से इस विश्वविद्यालय में रत्नावली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। हरियाणा की सांस्कृतिक विकास यात्रा में इस उत्सव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इस महोत्सव को हरियाणवी संस्कृति का महाकुंभ कहा जाता है। इसमें अहीर, बांगर, बागर, खादर, कोरवी मेवाती जैसी विभिन्न बोलियों की 34 विधाओं में लगभग 3500 युवा कलाकार भाग लेते हैं। उन्होंने महोत्सव में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

रत्नावली महोत्सव ने लिया वटवृक्ष का रूप – कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का स्वागत करते हुए कहा कि रत्नावली की शुरुआत हरियाणा दिवस के कार्यक्रम के रूप में वर्ष 1985 से हुई। उस समय केवल 8 से 10 विधाओं का ही मंचन हुआ करता था। आज इसका स्वरूप बहुत बढ़ चुका है और इस वर्ष के संस्करण में 3500 प्रतिभागी हैं। इस तरह से रत्नावली जिसे एक छोटे से पौधे के रूप में लगाया गया था, वो आज एक वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है। उन्होंने कहा कि रत्नावली ने हरियाणा की संस्कृति को सहेजने और संरक्षण का प्रयास किया है। इस वर्ष के संस्करण में हमने निश्चय किया है कि हरियाणा की अपनी लोककला सांझी को पूरे देश में स्थापित करने का करने का प्रयास करेंगे।

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