• Sun. Oct 12th, 2025

National News

  • भारत का सतह से हवा में लक्ष्य को नेस्तनाबूद करने का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड।
  • यह जानकारी एयरचीफ मार्शल सिंह ने दिवंगत वायुसेनाप्रमुख एयरचीफ मार्शल एल.एम.कात्रे स्मृति -व्याख्यान के 16वें संस्करण को संबोधित करते हुए दी

National News : नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद 7 मई 2025 की दरमियानी रात की गई ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य कार्रवाई के ठीक बाद देश के भीतर से लेकर दुनिया तक बस ये ही सवाल गूंज रहे थे कि कैसे भारतीय सेना और वायुसेना के रणबांकुरों ने सीमा पार मौजूद आतंकवादियों और उनके असल आका पाकिस्तान को धूल चटाई? भारत की इस जवाबी कार्रवाई में पड़ोसी दुश्मन देश को कितना नुकसान हुआ? क्या इस नुकसान का कोई ठोस प्रमाण है? क्या सेनाओं ने अपनी कार्रवाई में एलओसी-आईबी पार की थी? शनिवार को किसी और ने नहीं बल्कि ऑपरेशन सिंदूर का नेतृत्व करने वाली भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयरचीफ मार्शल ए.पी.सिंह ने इन सभी सवालों के विस्तार से जवाब दिए। जिसमें उन्होंने देश के सैन्य पराक्रम से पाकिस्तान के 5 लड़ाकू विमानों को मार गिराने की पुष्टि की। साथ ही उसे पहुंचे गंभीर सैन्य नुकसान समेत अपने संबोधन को मुख्य रूप से भारत की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ सेनाओं को दी गई खुली छूट, नहीं दोहराई बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान हुई गलती, 90 घंटे के भीतर पाक ने संघर्षविराम के लिए घुटने टेक दिए जैसे कुछ जरूरी बिंदुओं पर केंद्रित रखा। यह जानकारी वायुसेनाप्रमुख ने शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित किए गए दिवंगत वायुसेनाप्रमुख एयर चीफ मार्शल लक्ष्मण माधव कात्रे स्मृति व्याख्यान के 16वें संस्करण को संबोधित करते हुए दी।

एस-400 को कोई जोड़ नहीं

वायुसेनाप्रमुख ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत का एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम गेम चेंजर साबित हुआ। जिसकी मदद से हमने बिना सीमा लांघे 300 किलोमीटर की लंबी दूरी से ही अपने सटीक निशाने और अचूक वार के जरिए पाकिस्तान के कुल करीब 5 लड़ाकू विमानों को मार गिराया। इसके अलावा हमने दुश्मन के 6 रडार, एक बड़ा निगरानी विमान, 2 कमांड और कंट्रोल सेंटर (मुरीद-चकला), 2 सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम (लाहौर-ओकारा), 3 हैंगर (सुक्कुर में यूएवी हैंगर, जैकोबाबाद एफ-16 का हैंगर और भुलारी में अवॉक्स का हैंगर) को भी बुरी तरह से क्षति पहुंचाई। यह सतह से हवा में लक्ष्य भेदने का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। वायुसेना ने विशिष्ट खुफिया सूचना के आधार पर हवाई क्षेत्र में ये कार्रवाई करने का निर्णय लिया।

9 आतंकी कैंपों में छिपे 100 आतंकी मारे

गौरतलब है कि भारत की इस कार्रवाई में सेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान और उसके अवैध कब्जे वाले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद कुल 9 आतंकी कैंपों में छिपे बैठे 100 से अधिक आतंकवादियों को पलक झपकते ही मौत की नींद सुला दिया था। जिससे बौखलाए पाकिस्तान ने 7 से लेकर 10 मई तक देश की पश्चिमी सीमा पर ड्रोन और मिसाइलों से कई वार किए। लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिली और सीमा के चप्पे-चप्पे पर तैनात सैन्य बलों ने हर पाकिस्तानी वार का तुरंत काम तमाम कर दिया। साथ ही पाकिस्तान में घुसकर न केवल आतंकी अड्डे तबाह किए गए। बल्कि उसके कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को भी व्यापक रूप से क्षति पहुंचाई गई। ये सब देख पाकिस्तान के नापाक हौसले टूट गए और उसने 10 मई को भारत से संघर्षविराम करने की गुहार लगाई। जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया।

रिटायरमेंट से पहले पूरा हुआ सपना

एयरचीफ मार्शल सिंह ने अपने संबोधन में पाकिस्तान के सरगोधा एयरबेस का उल्लेख करते हुए बतौर वायुवीर अपने एक सपने के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हम वायुसेना में ऐसे ही दिन का सपना देखते हुए बड़े हुए हैं कि किसी दिन हमें वहां (दुश्मन के इलाके या अहम ठिकानों को तबाह करने का) जाने का मौका मिलेगा। संयोग से मुझे अपनी सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट से ठीक पहले यह अवसर मिल गया। जिसमें हमने वहां (पाक) के हवाई अड्डों को निशाना बनाया।

सेनाओं को दी गई थी खुली छूट

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय वायुसेनाप्रमुख ने देश के मजबूत राजनीतिक नेतृत्व को देते हुए कहा कि सरकार की तरफ से कार्रवाई को लेकर हमें स्पष्टता के साथ खुली छूट दी गई थी। हमने ही योजना बनाई, उसे लागू किया और अंत में ये भी तय किया कि हमें कितना आगे जाना है। तीनों सशस्त्र सेनाओं के बीच समन्वय था। वो प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) ही थे। जो सभी को एक साथ लाने के लिए मौजूद थे। भारत-पाकिस्तान के बीच की चार दिनों तक चली करीब 90 घंटे की कार्रवाई में हमने पाकिस्तान को इतने गहरे घाव दिए कि उसके होश ठिकाने आ गए। हमारे डीजीएमओ को फोन किया गया, दुश्मन ने भारत से संघर्षविराम करने की अपील की। जिसे भारत ने स्वीकारा।

बालाकोट से सीखा ये जरूरी सबक

उन्होंने कहा, 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर किए गए प्राणघातक आतंकी हमले के जवाब में की गई बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान हमने नुकसान का कोई खास सबूत एकत्रित नहीं किया था। लेकिन इस बार ऐसी गलती नहीं दोहराई गई। हमने जरूरी प्रमाण अपने पास रखें हैं। एयरचीफ मार्शल सिंह ने अपने वक्तव्य में इसकी पुष्टि के लिए कुछ तस्वीरों के जरिए पाकिस्तान को हुए नुकसान का तुलनात्मक अध्ययन भी सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि हमने जो लक्ष्य तय किए थे। उन्हें हासिल किया और उसके बाद अपनी कार्रवाई रोकी।

1984 से 1985 तक वायुसेना प्रमुख थे एसीएम कात्रे

एयरचीफ मार्शल (एसीएम) कात्रे 4 सितंबर 1984 से लेकर 1 जुलाई 1985 तक वायुसेना के प्रमुख रहे। वह वायुसेनाप्रमुख के रूप में और अपने सेवाकाल में शहीद होने वाले वायुसेना के दूसरे प्रमुख थे। वायुसेना में उनके योगदान के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और बार से सम्मानित किया गया था। आजादी से पहले 3 अगस्त 1944 को एक अधिकारी कैडेट के रूप में एयरचीफ मार्शल कात्रे तत्कालीन रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल हुए थे। इसके अगले वर्ष 9 अप्रैल 1945 में उन्हें पायलट शाखा में एक आपातकालीन कमीशन प्रदान किया गया।

https://vartahr.com/national-news-op…tra-of-the-s-400/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *