Mahakumbh
- किसी ने जमीन से नहीं उठाया पैर तो किसी ने 21 साल से नहीं झुकाया हाथ
- आवाहन अखाड़े के दूसरे हठ योगी खडेश्वर महाराज 11 साल से जमीन से पैर नहीं उठाया
- किसी के सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष है तो चाबी वाले बाबा 20 किलो लोहे की चाबी लेकर चलते हैं
Mahakumbh : प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी को मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी। महाकुंभ के लिए प्रयागराज में एक-एक कर अखाड़े का पहुंचना जारी है। कई सारे साधु-संत आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। कोई कई सालों से खड़ा हुआ है तो किसी ने 21 साल से हाथ नीचे नहीं किया। किसी के सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष है तो चाबी वाले बाबा 20 किलो लोहे की चाबी लेकर चलते हैं। संगम नगरी पहुंच रहे इन अखाड़ों में एक से बढ़कर एक हठयोगी हैं। महाकुंभ में भांति-भांति के ‘बाबा पहुंच रहे हैं जिनमें तिरंगा से लेकर साइकिल वाले बाबा तक सब शामिल हैं। कुंभ मेले में आस्था और भक्ति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं।
11 साल से जमीन से नहीं उठाया पैर
आवाहन अखाड़े के दूसरे हठ योगी खडेश्वर महाराज हैं। उन्होंने अपने पैर को 11 सालों से जमीन से नहीं हटाया। ये साधु 11 सालों से नहीं कभी बैठे और न कभी लेटकर सोए हैं। इस हठ योगी ने पिछले कई सालों से खुद को खड़ा रखा है। खड़ेश्वर महाराज ने सहारे के लिए टीन की एक ड्रम रखी है। उस पर एक गद्दा रखा है। लगातार खड़े रहने की वजह से खड़ेश्वर महाराज के पैर सूजकर पत्थर जैसे हो चुके हैं।
21 साल से हाथ ऊपर किए हैं प्रेमा गिरी महाराज
एक हैं बाबा प्रेमा गिरी महाराज, जो मूलतः गुजरात के हैं जो प्रयागराज में तपस्या कर रहे हैं। 21 सालों से उन्होंने अपने हाथ को ऊपर किया हुआ है। अपनी उर्ध्वबाहु तपस्या हठ योग के चलते हाथ ऊपर किया हुआ है, जिससे उनके नाखूनों की लंबाई बहुत बढ़ चुकी है। बाबा के हाथ सूख चुके हैं, और उनका कहना है कि अब वह कभी अपने हाथ को नीचे नहीं करेंगे।
चाबी वाले बाबा
कुंभ नगरी प्रयागराज में एक हैं चाबी वाले बाबा, जो अपने अनोखे अंदाज से श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। 50 वर्षीय बाबा हरिश्चंद्र विश्वकर्मा को लोग ‘कबीरा बाबा’ के नाम से भी जानते हैं। वे अपने साथ 20 किलो की लोहे की चाबी लेकर चलते हैं। बाबा का कहना है कि यह चाबी जीवन और अध्यात्म का प्रतीक है।
बवंडर बाबा
मध्य प्रदेश से बाइक लेकर महाकुंभ पहुंचे बवंडर बाबा ने मादक पदार्थों पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगाने पर आपत्ति जताई। बवंडर बाबा ने साढ़े तीन सालों में 1,15,000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की है। अब बिना चप्पल के लाखों किलोमीटर की यात्रा करने वाले बवंडर बाबा अपने साथ जरूरी सामान अपनी गाड़ी में ही रखकर चलते हैं।
लिलिपुट बाबा
महाकुंभ 2025 में आए लिलिपुट बाबा 57 साल के हैं। उनका कद 3 फीट 8 इंच है। उनका हठयोग है कि वे आजीवन नहीं नहाएंगे। पैर में खड़ाऊं और नाक के बीच बाली पहनते हैं। उनका कहना है कि गुरु ने जब हठयोग की दीक्षा दी थी तो स्नान न करने की शर्त थी इसीलिए पिछले 32 साल से स्नान नहीं किया है। हालांकि बाबा स्वच्छता को लेकर बेहद सतर्क हैं।
अनाज वाले बाबा
इस बार कुम्भ क्षेत्र में “अनाज वाले बाबा” सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। दरअसल अनाज वाले बाबा का असली नाम अमरजीत है। यह उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के मारकुंडी क्षेत्र के निवासी हैं। बाबा ने अपने सिर पर गेहूं,बाजरा, चना जैसी फसलें उगा रखी हैं, जो उनकी खास पहचान बन चुकी हैं।
सिलेंडर से ले रहे सांस
आवाहन अखाड़े में एक और साधु हैं जो पिछले चार सालों से सिलेंडर से ही सांस ले रहे हैं। इंद्र गिरी कोरोना के बाद चार साल से सिलेंडर के भरोसे ही सांस ले रहे हैं। इन्द्र योगी के फेफड़े खराब हो चुके हैं इसलिए वो आक्सीजन सिलेंडर से सांस ले रहे हैं। इसके बावजूद वो कुंभ में पहुंचे हैं। बड़े सिलेंडर के साथ नाक में ऑक्सीजन की पाइप लगी है।
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