Loksabha
- राजग के ओम बिरला और कांग्रेस के के. सुरेश अध्यक्ष पद के लिए मैदान में
- इससे पहले Loksabha अध्यक्ष पद के लिए तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए
नई दिल्ली। लोकसभा (Loksabha)अध्यक्ष पद पर पक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बनने पर अब मतदान बुधवार को सुबह 11 बजे होगा। राजग के उम्मीदवार और राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला का मुकाबला कांग्रेस के केरल की मलेविकारा सीट 8वीं बार सांसद बने कोडिकुनिल सुरेश के साथ मुकाबला होगा। दोनों ने मंगलवार को नामांकन दाखिल कर दिए हैं। हालांकि टीएमसी ने कांग्रेस के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर पद की मांग की, इस पर भाजपा ने जवाब नहीं दिया। उधर, भाजपा ने कहा कि कांग्रेस डिप्टी स्पीकर के पद पर अभी से सहमति चाह रही थी। भाजपा-कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिया।
1976 के बाद ऐसा पहला मौका
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का गवाह बनेगी। वर्ष 1976 के बाद इस तरह का पहला मौका होगा। जब लोकसभा स्पीकर के लिए मतदान होगा। कांग्रेस सदस्य कोडिकुनिल सुरेश को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नेता राहुल गांधी ने कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिए जाने के संदर्भ में आश्वासन देने में विफल रहे। स्वतंत्र भारत में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए।
कब कब हुआ चुनाव
-वर्ष 1952 में कांग्रेस सदस्य जीवी मावलंकर को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।मावलंकर को प्रतिद्वंद्वी शांताराम मोरे के खिलाफ 394 वोट मिले, जबकि मोरे सिर्फ 55 वोट हासिल करने में सफल रहे।
-वर्ष 1967 में टी. विश्वनाथम ने कांग्रेस उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। रेड्डी को विश्वनाथम के 207 के मुकाबले 278 वोट मिले और वह अध्यक्ष चुने गए।
-पांचवीं लोकसभा में 1975 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद पांचवें सत्र की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई थी। तत्कालीन अध्यक्ष जीएस ढिल्लों ने एक दिसंबर, 1975 को इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस नेता बलिराम भगत को पांच जनवरी, 1976 को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था। इंदिरा गांधी ने भगत को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जबकि कांग्रेस (ओ) के प्रसन्नभाई मेहता ने जनसंघ नेता जगन्नाथराव जोशी को चुनने के लिए प्रस्ताव पेश किया था। भगत को जोशी के 58 के मुकाबले 344 वोट मिले।
यह भी जानिये
-वर्ष 1998 में तत्कालीन कांग्रेस नेता शरद पवार ने पी ए संगमा को अध्यक्ष चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था। पवार के प्रस्ताव के अस्वीकार किए जाने बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तेलुगू देशम पार्टी के सदस्य जी एम सी बालयोगी को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। वाजपेई द्वारा रखा गया प्रस्ताव स्वीकृत हो गया।
-आजादी के बाद से, केवल एम ए अय्यंगार, जी एस ढिल्लों, बलराम जाखड़ और जी एम सी बालयोगी ने अगली लोकसभाओं में इस प्रतिष्ठित पद को बरकरार रखा है।
-कांग्रेस के बलराम जाखड़ सातवीं और आठवीं लोकसभा के अध्यक्ष थे और उन्हें दो पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र पीठासीन अधिकारी होने का गौरव प्राप्त है।
-बालयोगी को उस 12वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया, जिसका कार्यकाल 19 महीने का था। उन्हें 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था, हालांकि बाद में उनकी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई।
कोटा से तीसरी बार निर्वाचित हुए बिरला
राजस्थान के कोटा से लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर सदस्य निर्वाचित हुए हैं। सूत्रों के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष का निर्वाचन बुधवार को होना है और यदि मतदान होता है तो लोकसभा के इतिहास में ऐसा तीसरी बार ही होगा।
केरल से जीते सुरेश
केरल से आठवीं बार लोकसभा पहुंचे सुरेश ने कहा कि यह हारने या जीतने का विषय नहीं है, बल्कि बात इस परंपरा की है कि लोकसभा अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल का होगा और उपाध्यक्ष विपक्ष का रहेगा। ‘पिछली दो लोकसभाओं में उन्होंने उपाध्यक्ष पद हमें नहीं दिया और कहा कि आपको विपक्ष के रूप में मान्यता नहीं मिली है। अब हमें विपक्ष के रूप में मान्यता मिली है तो उपाध्यक्ष पद पर हमारा अधिकार है।
लोकसभा का गणित
सदन में भाजपा समेत राजग के 293 सांसद हैं और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के 233 सदस्य हैं। दो लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा दिए जाने के बाद सदन में कुल सदस्यों की संख्या 542 रह गई है।
बिरला बनाएंगे रिकॉर्ड
यदि बिरला फिर से लोकसभा अध्यक्ष चुने जाते हैं तो पांचवीं बार ऐसा होगा कि कोई अध्यक्ष एक लोकसभा से अधिक कार्यकाल तक इस पद पर आसीन रहेगा। इससे पहले कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एकमात्र ऐसे पीठासीन अधिकारी रहे जिन्होंने सातवीं और आठवीं लोकसभा में दो कार्यकाल पूरे किए हैं।