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lakhan Majra : कपड़ों पर रंगों का जादू और महिलाएं कमा रही लाखों रुपये

lakhan Majra : सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स की महिलाएं हैंड ब्लॉक प्रिंट करते हुए।lakhan Majra : सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स की महिलाएं हैंड ब्लॉक प्रिंट करते हुए।

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  • लाखन माजरा की महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर
  • पीएम मोदी ने मन की बात में की महिलाओं की तारीफ
  • संगठित होकर महिलाएं पार कर सकती हैं हर चुनौती
  • सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के जरिए हरियाणा की महिलाओं का हो रहा आर्थिक उत्थान
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lakhan Majra : सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स की महिलाएं काम करते हुए।

lakhan Majra : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (28 जुलाई ) को मन की बात की। इस दौरान उन्होंने महिला उत्थान और नारी सशक्तीकरण की भी बात की और रोहतक के लाखन माजरा का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि लाखन माजरा की महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उन्नति स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्फ ग्रुप) महिलाओं को आर्थिक आजादी प्रदान कर रहे हैं। यहां महिलाएं कपड़ों पर रंगों के जादू बिखेर अच्छे पैसे कमा रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। मोदी ने हथकरघा उद्योग (हैंडलूम) की तारीफ करते हुए कहा, ‘आइए ऐसे रंगों की बात करें, जिसने सैकड़ों महिलाओं के जीवन में खुशहाली भर दी। रोहतक की महिलाएं आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं।’ कपड़ों पर रंगों का जादू बिखेरने वाली ये महिलाएं अपने हुनर से लाखों रुपये कमा रही हैं। इनके द्वारा बनाए गए बेड कवर, साड़ियां और दुपट्टों की बाजार में बड़ी डिमांड है।

2016 में शुरू किया ग्रुप

लाखन माजरा के सेल्फ हेल्फ ग्रुप की सदस्य मानता शर्मा ने बताती हैं उन्होंने वर्ष 2016 में 40,000 रुपये का लोन लेकर ग्रुप शुरू किया और कपड़ों की रंगाई का काम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा। क्षेत्र की महिला सेल्फ हेल्फ ग्रुप से जुड़ती गई और आज लाखन माजरा में करीब 52 सेल्फ हेल्फ ग्रुप हैं। यहां सबसे ज्यादा काम हैंड ब्लॉक प्रिंट का है। एक सेल्फ हेल्फ ग्रुप में करीब 20 महिलाएं हैं। इस तरह 1,000 से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं और अच्छा खासा पैसा कमाकर अपने परिवार को मजबूती दे रही हैं।

lakhan Majra :  सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स की महिलाएं काम करते हुए।
lakhan Majra : सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स की महिलाएं काम करते हुए।

हैंड ब्लॉक प्रिंट सबसे ज्यादा

मानता ने बताया कि ग्रुप की महिलाएं हैंड ब्लॉक प्रिंट, कपड़ों पर प्रिंट और खुद के कपड़े बनाने का काम करती हैं। कई बार बाजार से सफेद थान लाकर उस पर प्रिंट किया जाता है। इसमें भाप देना, डाई करना, तरह-तरह कलर और डिजाइन बनाए जाते हैं। इसके बाद इन्हें सरकार द्वारा लगाए जाने वाले हॉट या बाजारों में बेचा जाता है। ये हॉट हर साल अक्टूबर से मार्च के बीच में लगते हैं। इनमें ट्रेड फेयर, सूरकुंड मेला, गुरुग्राम हॉट, नोएडा हॉट, पंचकूला, चंडीगढ़, हिमाचल और कुरक्षेत्र में लगने वाले मेले शामिल हैं। इन मेलों में तैयार किए गए माल की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। इन कपड़ों की देश विदेश में अच्छी डिमांड है। अब इनका ऑनलाइन काम भी शुरू हो गया है। मसलन इन्हें अमेजन और फिलिपकार्ट जैसी वेबसाइटों पर भी बेचा जा रहा है।

सरकार से मिलते हैं ऑर्डर

मानता ने कहा कि कई बार हरियाणा सरकार भी उन्हें ऑर्डर देती है, जिसे तय समय में पूरा करता होता है। पिछले साल हरियाणा सरकार ने थैले बनाने का ऑर्डर दिया था। जिसे हमने तय समय में पूरा किया। सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों में लगाए जाने वाले मेलों में हम अपने उत्पाद बेचने जाते हैं। मेला करीब 15 दिन तक चलता है। इस दौरान करीब चार से साढ़े चार लाख रुपये कमा लेते हैं और बाद में इन्हें आपस में बांट लेते हैं।

मानता के ग्रुप में ये महिलाएं

मानता शर्मा के ग्रुप में करीब 20 महिलाएं हैं। इस तरह के लाखना माजरा में करीब 55 स्वयं सहायता समूह हैं। मानता के ग्रुप में नीलम, नीतू, कविता, सुंदर, संजीता, सुनीता, भावना, पूजा, ओमपति, सुदेश, राधा, आशा, सीमा आदि शामिल हैं।

हरियाणा में पहली हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग लाखन माजरा में

मानता ने बताया कि हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की पूरे हरियाणा में उन्होंने शुरुआत की। उन्नती सेल्फ हेल्प ग्रुप ही इकलौता है जो हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग करता है। इसके अलावा यह शैली राजस्थान में ही देखने को मिलती है। इसके तहत सामान्य कपड़े को लिया जाता है, उस पर हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के माध्यम से छपाई या डिजाइन करते हैं। संगठन से जुड़ी महिलाएं प्रतिमाह 8-10 हजार रुपये आसानी से कमा लेती हैं। संगठन प्रतिमाह 6-7 लाख रुपये का सामान बेचता है। वहीं, बाहर जाने वाले बाजारों में कमाई अलग से होती है, जिसे ग्रुप की महिलाएं आपस में बांट लेती हैं।

सिलाई में ज्यादा महिलाएं

लाखन माजरा में अधिकतर महिलाएं सिलाई का काम करती हैं। यहां 2015 में स्वयं सहायता समूह शुरू हुए थे। सिलाई के अलावा छपाई और हैंड ब्लॉक प्रिंटिकग का काम महिलाएं बड़ी सिद्धत से कर रही हैं। इससे उन्हें अच्छी खासी इनकम भी मिल रही है। मानता ने कहा कि हमारे ग्रुप का लक्ष्य हर घर की महिला को रोजगार देना हैं। सभी महिलाओं की अलग-अलग काम में ड्यूटी लगी है। मसलन कुछ बाहर से सामान लाती हैं। कुछ बेचती हैं, कुछा बाजारों में जाती हैं और कुछ घर पर ही रहकर प्रिंट और ग्रुप का काम देखती हैं।

यह तैयार करती हैं

  1. -बैड सीट
  2. – बॉर्डर वाली बैड सीट
  3. – बैड कवर
  4. -दोहरा डबल कॉटन का कपड़ा
  5. -साड़ी, सूट, दुपट्टे
  6. – रेजा चिंदी रेजे पर रंग करना

इनसे बनाते हैं कलर

  • -गेंदे के फूल
  • -मेंहदी का पत्त्तियां
  • -प्याज के छिलके

https://vartahr.com/lakhan-majra-mag…-lakhs-of-rupees/ ‎

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