Jagdalpur
- पीड़ा से तड़प रही गर्भवती को खाट से लाया गया स्वास्थ्य केंद्र
- कामानार तक जाने के लिए सड़क और पुल नहीं
Jagdalpur : जगदलपुर। बस्तर में आज भी ऐसे कई इलाके हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलती। बीजापुर जिले की ग्राम कामानार निवासी गर्भवती महिला रैनी मंडावी दर्द से तड़प रही थी। गांव के बाहर वेरू नदी उफान पर होने से परिजनों ने महिला को स्वास्थ्य केन्द्र ले जाने के लिए जिम्मेदारों को कॉल किया, लेकिन बचाव दल नहीं पहुंच सका। दर्द ज्यादा बढ़ने पर ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाई और जान जोखिम में डालकर महिला को खाट से उफनती नदी पार कराकर रेड्डी उप स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया। आजादी के 77 वर्ष बाद भी सुदूर ग्रामीण अंचल में निवास करने वाले आदिवासी ग्रामीणों को आज भी मूलभूत सुविधा नहीं मिल पाती है। कामानार तक सड़क एवं पुल नहीं हैं, जिससे एंबुलेंस घरों तक नहीं पहुंच पाती है। आलम यह है कि इन्हें एंबुलेंस तक पहुंचने के लिए किसी तरह अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ती है।
सातों जिलों में काम्बेट दल
संयुक्त संचालक डॉ. केके नाग ने बताया कि महामारी की रोकथाम के लिए जिला, विकासखंड, सेक्टर स्तर पर सातों जिलों में काम्बेट दल का गठन किया गया है। प्रत्येक विकासखंड में संवेदनशील समस्यामूलक ग्रामों को चिन्हित किया गया है। प्रत्येक स्तर पर जीवन रक्षक औषधि के भंडारण के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही मितानिनों के पास संक्रामक बीमारियों के रोकथाम के लिए औषधि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसके अलावा क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मुख्यालय में रहकर कार्य करने एवं नियमित भ्रमण के निर्देश दिए गए हैं।
791 ग्राम पहुंचविहीन
बताया जा रहा है कि बस्तर संभाग के बस्तर जिले में 51, कोंडागांव जिले में 14, नारायणपुर जिले में 212, कांकेर जिले में 161, दंतेवाड़ा जिले में 31, बीजापुर जिले में 179 एवं सुकमा जिले में 143 पहुंचविहीन गांव चिन्हित हैं। ऐसे गांवों में प्रत्येक वर्ष बारिश के समय में सड़क नहीं होने से पहुंचना मुश्किल होता है। इसमें से लगभग 453 गांव समस्यामूलक बताए जा रहे हैं, जिसमें 13429 मितानिनों का सहयोग लिया जाता है।
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