IIT Delhi
- उद्योग जगत की मांगें तेजी से बदल रही, एआई एक नया उभार
- बनर्जी बोले, पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों के लिए लचीलापन बनाया
- हमने प्रति सेमेस्टर कोर क्रेडिट की संख्या सीमित कर दी है
- दो सेमेस्टर के लिए कक्षा का आकार अब 300 के बजाय 150 होगा
IIT Delhi : नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली ने छात्रों पर बोझ कम करने और उद्योग जगत की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए 12 वर्षों के बाद अपने पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया है। संस्थान के निदेशक रंगन बनर्जी ने मंगलवार को एक साक्षात्कार में कहा कि पाठ्यक्रम में पिछली बार संशोधन 2013 में किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग जगत की मांगें तेजी से बदल रही हैं… एआई एक नई चीज उभर रही है और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस सुधार की कवायद 2022 में शुरू हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में हमने हितधारकों से व्यापक प्रतिक्रिया ली है। हम अपने पूर्व छात्रों, विद्यार्थियों से बात कर रहे हैं। हमारे संकाय उद्योग और समाज से जुड़े हुए हैं। हमने पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों के लिए अधिक रोमांचक बनाने के वास्ते लचीलापन लाने का प्रयास किया है।’
प्रति सेमेस्टर कोर क्रेडिट की संख्या सीमित की
बनर्जी ने कहा, ‘छात्रों पर बोझ की चिंता निश्चित रूप से उन कारकों में से एक थी, जिसने हमारे पाठ्यक्रम में सुधार का मार्गदर्शन किया। हमने प्रति सेमेस्टर कोर क्रेडिट की संख्या सीमित कर दी है और विशेष रूप से पहले दो सेमेस्टर में जब प्रथम वर्ष के छात्र शामिल होंगे, तो उन पर अपेक्षाकृत कम बोझ होगा। हमने यह भी देखने की कोशिश की है कि पहले वर्ष में कक्षाओं का आकार छोटा हो।’पहले दो सेमेस्टर के लिए कक्षा का आकार अब 300 के बजाय 150 होगा, ताकि अधिक व्यक्तिगत ध्यान सुनिश्चित किया जा सके।
यह बदलाव दिखाई देगा
-बीटेक डिग्री के अतिरिक्त एक ऑनर्स प्रोग्राम शुरू किया गया है।
-कोई स्नातक छात्र अब अपने तीसरे वर्ष के अंत में आईआईटी दिल्ली में किसी भी उपलब्ध एमटेक कार्यक्रम में एमटेक डिग्री के लिए आवेदन कर सकता है।
-छात्र पांच साल में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों डिग्री प्राप्त कर सकेगा।
-प्रोग्रामिंग पर प्रारंभिक पाठ्यक्रम में एआई-आधारित कोड जनरेटर को एकीकृत किया।
-बीटेक संकाय के छात्रों को भविष्य के लिए एआई का जिम्मेदारी से और नैतिक रूप से उपयोग करने के तरीके पर अनिवार्य प्रशिक्षण से गुजरना होगा।