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Human Trafficking : डंकी रूट मामले में पंजाब, हरियाणा में सात ठिकानों पर ईडी ने फिर छापे मारे

Human Trafficking

  • 30 पासपोर्ट जब्त, मानव तस्करी का खुलासा
  •  पंजाब के मानसा, हरियाणा के कुरुक्षेत्र और करनाल में कार्रवाई
  •  अमेरिका से डिपोर्ट किए गए लोगों ने दर्ज करवाई थी शिकायत
  •  बुधवार को भी हरियाणा-पंजाब में 11 जगह की गई थी कार्रवाई

Human Trafficking : जालंधर/कुरुक्षेत्र/करनाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित किए गए अवैध भारतीय प्रवासियों से जुड़े ‘डंकी रूट’ मामले की धन शोधन की एक जांच के सिलसिले में पंजाब और हरियाणा में शुक्रवार को 7 ठिकानों पर फिर छापे मारे। सूत्रों ने बताया कि पंजाब के मनसा और हरियाणा के कुरुक्षेत्र और करनाल में 7 स्थानों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की गई है। ये छापे नौ जुलाई को इन दोनों राज्यों में 11 स्थानों पर ली गई तलाशी के दौरान प्राप्त विश्वसनीय सूचनाओं पर आधारित हैं। नौ जुलाई की तलाशी के बाद संघीय जांच एजेंसी ने कहा कि उसने 30 से अधिक मूल पासपोर्ट जब्त किए हैं। इस मामले में मानव तस्करी का भी खुलासा हुआ है। विभिन्न एजेंट और आव्रजन एजेंसियों के नाम भी पता लगाए हैं जो बड़े पैमाने पर भारतीयों को डंकी रूट के जरिये अवैध रूप से विदेश भेजने का धंधा चला रहे थे।

मानव तस्करों से मिलीभगत

सूत्रों ने प्राप्त जानकारी के हवाले से बताया कि मानव तस्करों ने भारत के बाहर अवैध रास्तों की व्यवस्था करने के लिए डॉनकर्स (मानव तस्करी के मार्ग उपलब्ध कराने वाले दलालों) के साथ मिलीभगत की थी। ईडी ने कहा कि यह पाया गया है कि अमेरिका जाने के इच्छुक लोगों को ट्रैवल एजेंटों और बिचौलियों द्वारा धोखा दिया गया था, जो उन्हें वैध माध्यमों से भेजने का झूठा वादा करते थे।

अवैध रास्ता अपनाते थे

हालांकि, एजेंट इन लोगों को तस्करों और माफियाओं के जरिए खतरनाक/जंगल मार्गों से अवैध रूप से कई देशों की सीमाओं को पार करके ‘डंकी रूट’ (अवैध मार्गों) से अमेरिका भेजा जाता था। ‘डंकी रूट’ उस रास्ते को कहते हैं, जिसके जरिए प्रवासी नागरिक अवैध तरीके से किसी देश तक पहुंचते हैं।

ईडी ने दर्ज किया था केस

ईडी ने पंजाब पुलिस और हरियाणा पुलिस द्वारा बीएनएस 2023 (तत्कालीन आईपीसी 1860) और आव्रजन अधिनियम, 1983 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान पता चला कि जो लोग अमेरिका जाने के इच्छुक थे, उन्हें ट्रैवल एजेंटों और बिचौलियों ने कानूनी माध्यमों से भेजने का झूठा वादा करके ठगा था।

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