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Heat : भीषण गर्मी हमारी जैविक प्रणाली में बदलाव ला रही, ऊर्जा को खत्म कर रही

सांकेतिक तस्वीरसांकेतिक तस्वीर

Heat

  • शोध में दावा, यह हमें तेजी से बुढ़ापे की ओर धकेलती है
  • गर्मियों में हम थका हुआ और चिड़चिड़ा करते हैं महसूस
  • गर्मी से होने वाला तनाव एपिजेनेटिक्स को बदलता है
  • हमारी कोशिकाएं पर्यावरणीय दबाव के कारण जीन को सक्रिय या निष्क्रिय कर देती हैं

Heat : मेलबर्न। भीषण गर्मी शरीर की सारी ऊर्जा खत्म कर देती है। एक लंबे, गर्म दिन में हम थका हुआ और चिड़चिड़ा महसूस करते हैं, लेकिन लगातार गर्मी की अवधि इससे कहीं ज्यादा ऊर्जा खत्म करती है-वह हमें तेजी से बूढ़ा बनाती है। यह हमारी जैविक
प्रणाली में लगातार बदलाव ला रही है। गर्मी से होने वाला तनाव हमारे ‘एपिजेनेटिक्स’ को बदल देता है। ‘एपिजेनेटिक्स’ एक शारीरिक प्रक्रिया होती है, जिसमें हमारी कोशिकाएं पर्यावरणीय दबाव का सामना करते हुए ‘जीन’ को सक्रिय या निष्क्रिय कर देती हैं। अमेरिका में हुए नए शोध में इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब तलाशा गया कि अत्यधिक गर्मी मनुष्यों को किस तरह प्रभावित करती है।

निष्कर्ष चिंताजनक

शोध के निष्कर्ष चिंताजनक मिले हैं। एक प्रतिभागी ने जितने ज्यादा दिन तक भीषण गर्मी झेली, उतनी ही तेजी से वह अपनी वास्तविक उम्र के मुकाबले अधिक उम्र के दिखने लगे। लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में रहने वाले बुजुर्ग अपनी वास्तविक उम्र के मुकाबले और अधिक (दो साल से अधिक) बुजुर्ग हो जाते हैं।

बूढ़ा होने की दर हर व्यक्ति में अलग-अलग

उम्र बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन बूढ़ा होने की दर हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, हमारे शरीर पर तनाव और आघातों का असर होता है। उदाहरण के लिए, अगर हम लंबे समय तक पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो हम तेजी से बूढ़े हो जाएंगे। गर्मी हमें सीधे बीमार कर सकती है या मार सकती है।

आनुवंशिक स्तर पर चीजें कैसी दिखती हैं

आप सोच सकते हैं कि आपके जीन जीवन भर नहीं बदलते, और यह (यादृच्छिक उत्परिवर्तनों को छोड़कर) काफी हद तक सच है। लेकिन जो चीज बदलती है वह यह है कि आपके जीन किस तरह से काम करते हैं। यानी, आपका डीएनए तो वही रहता है, लेकिन कोशिकाएं तनाव के जवाब में अपने हजारों जीन में से कुछ को निष्क्रिय या सक्रिय कर सकती हैं। किसी भी समय, किसी भी कोशिका में जीनों का केवल एक अंश ही सक्रिय होता है-अर्थात वे प्रोटीन बनाने में व्यस्त होते हैं। इसे ‘एपिजेनेटिक्स’ के नाम से जाना जाता है।

ऐसे किया गया परीक्षण

दक्षिणी कैलिफोर्निया विवि के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में 3,700 लोग शामिल थे, जिनकी औसत आयु 68 वर्ष थी। युवा लोगों की तुलना में बुजुर्गों पर गर्मी का ज्यादा असर देखा गया। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता कम होती जाती है, और हम कमजोर पड़ जाते हैं। जैसे-जैसे भविष्य में गर्मी बढ़ेगी, हमारी ‘एपिजेनेटिक्स’ प्रतिक्रिया में बदलाव होता जाएगा।

रक्त के नमूने लिए

शोधकर्ताओं ने रक्त के नमूने लिए और जीनोम में हजारों जगहों पर एपिजेनेटिक परिवर्तनों को मापा। इसका उपयोग तीन जैविक आयु चक्रों ‘पीसीफेनोएज’,‘पीसीग्रिमएज’ और ‘ड्यूनेडिनपेस’ को मापने के लिए किया। उन्होंने 2010 से 2016, के दौरान प्रत्येक प्रतिभागी के भौगोलिक क्षेत्र में गर्मी के स्तर का पता लगाया। गर्मी का आकलन करने के लिए अमेरिकी ताप सूचकांक का उपयोग किया। इस दौरान सावधानी (32 डिग्री तक के दिन), अत्यधिक सावधानी (32-39 डिग्री) और खतरे (39-51 डिग्री) का आकलन किया। लंबे समय तक भीषण गर्मी के संपर्क में रहने से छह वर्ष की अवधि में जैविक आयु 2.48 वर्ष बढ़ गई। वहीं पीसीग्रिमएज चक्र में आयु 1.09 वर्ष और ‘ड्यूनेडिनपेस’ में 0.05 वर्ष बढ़ गई। यह प्रभाव बूढ़ा होने की सामान्य दर की तुलना में 2.48 वर्ष अधिक तेज था।

 

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