Haryana news
- -मंत्री नागर बोले, धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट का उपयोग करें
- -अम्बाला, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, सिरसा एवं यमुनानगर को लिखा पत्र
- -धान की पराली का होगा सदुपयोग, पर्यावरण की रक्षा के लिए उत्तम निर्णय
Haryana news : चंडीगढ़। हरियाणा के गैर एनसीआर आठ जिलों में स्थित ईंट भट्टों पर धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने हाल ही में इस बाबत आदेश जारी किए हैं, जिसके बाद गुरुवार को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने अम्बाला, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, सिरसा एवं यमुनानगर जिलों को पत्र जारी किया है। बता दें कि एनसीआर क्षेत्रों में बायोमास ईंधन के प्रयोग का नियम पहले से ही लागू है। इसके साथ ही पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए अब हरियाणा के सभी जिलों में स्थित ईंट भट्टों में धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट के उपयोग अनिवार्य हो गया है। इससे जहां प्रदूषण से राहत मिलेगी, वहीं किसान भी पराली बेचकर अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजेश नागर ने बताया कि हरियाणा के गैर-एनसीआर क्षेत्रों सभी ईंट भट्टों में धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट के 50% सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है।
2028 तक 50% सम्मिश्रण का लक्ष्य तय
– 01.11.2025 से कम से कम 20% सम्मिश्रण
– 01.11.2026 से कम से कम 30% सम्मिश्रण
-01.11.2027 से कम से कम 40% सम्मिश्रण
-01.11.2028 से कम से कम 50% सम्मिश्रण
‘बायोमास पेलेट’ एक प्रकार से ठोस ईंधन
मंत्री राजेश नागर ने कहा कि इस क्रम में हरियाणा के सभी गैर-एनसीआर जिलों अम्बाला, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, सिरसा एवं यमुनानगर को पत्र के माध्यम से त्वरित अनुपालन हेतु निर्देश जारी कर दिए गए हैं। ‘बायोमास पेलेट’ एक प्रकार से ठोस ईंधन हैं। लकड़ी, कृषि अवशेषों और अन्य चीजों को छोटे और बेलनाकार छर्रों का रूप दिया जाता है। इससे ईंटें भी अच्छी तरह से पक सकेंगी।
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