Haryana News
- बसों को छोड़ बस स्टैंड पर तैनात रहे रोडवेज कर्मचारी
- सरकार के फ्री रोडवेज यात्रा के आदेशों की निकली हवा
- महिलाओं को मजबूरन लेना पडा प्राइवेट बसों का सहारा
- निजी बस संचालकों ने रोडवेज के कर्मियों का नहीं किया सहयोग
Haryana News : कैथल। हरियाणा सरकार द्वारा रक्षाबंधन के पर्व पर महिलाओं को राखी बंधवाने के लिए शुरू गई नि:शुल्क बस यात्रा का कैथल के बस स्टैंड पर दिवालिया निकलता नजर आया। बसों का उचित प्रबंध न होने के कारण महिलाओं को मजबूरीवश प्राइवेट बसों का सहारा लेना पडा। हैरत की बात रही कैथल रोडवेज की 110 बसों में से मुश्किल से मात्र 50 बसें ही चल पाई। इस कारण महिलाओं व उनके साथ आए बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पडा। बता दें कि सरकारी आदेशों के तहत शुक्रवार दोपहर से लेकर शनिवार तक महिलाओं को फ्री सफर करने के आदेश जारी किए गए थे। मुफ्त बस यात्रा को लेकर नए बस स्टैंड पर निजी बस संचालकों ने मनमानी देखने को मिली। निजी बस संचालकों की मनमानी के कारण महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक तरफ जहां रोडवेज की बसों को जरूरत के हिसाब से रूटों पर चलाया जा रहा था। वहीं, निजी बस संचालकों ने पहले दिन काउंटर पर लगाए बिना ही बसों को रूटों पर भेजा। इस काफी कम संख्या में महिलाएं निजी बस में नि:शुल्क सफर कर पाईं।
महिलाएं करती रही बसों का इंतजार
महिलाओं को मुफ्त यात्रा न दिये जाने से बस स्टैंड पर घंटों तक इंतजार करना पड़ा।
हालांकि रोडवेज अधिकारियों के अनुसार पहले दिन रोडवेज प्रबंधन ने 202 बसों का संचालन किया और करीब 20 हजार महिलाओं ने निशुल्क यात्रा की। वहीं, बस यात्रा के तहत सभी रोडवेज कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द की गई थी। महिलाओं को निशुल्क यात्रा की सुविधा देने के लिए बस स्टैंड पर ही करीब 50 कर्मियों की ड्यूटियां लगाई गई थी। महिला रामरती ने बताया कि कैथल डिपो की ओर पर्व को लेकर कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई थी। सबसे अधिक मनमानी निजी बस संचालकों की देखने को मिली। अधिकारियों के आग्रह के बावजूद निजी बस संचालकों ने समय के अनुसार बसों का संचालन नहीं किया।
खिड़कियों में खड़े होकर सफर करने को मजबूर
महिला सरोज देवी ने कहा कि भीड़ अनुसार ही रुटों पर बसों को चलाए जाने की बात परिवहन की ओर से कही गई थी, लेकिन जींद, चीका, अंसध, पूंडरी, कुरुक्षेत्र व अन्य स्थानीय रूटों की बसों का घंटों इंतजार करने के बाद भी खिड़कियों में खड़े होकर सफर करने को मजबूर होना पड़ा। सुदर्शन रानी ने बताया कि हिसार-सिरसा रूट पर सबसे अधिक फोकस किया गया था। स्थानीय रूटों पर कम बसें देखने को मिली। वहीं, कई निजी बसों ने महिलाओं की टिकट बनाई। रोडवेज जागृति मंच के डिपो प्रधान संदीप खटकड़ ने बताया कि निजी बस संचालकों ने रोडवेज के कर्मियों का सहयोग नहीं किया। जबकि रोडवेज कर्मी एक दिन पहले से ही सरकार के आदेशों की पालना में जुट गए थे।
बस स्टैंड पर कर्मियों की ड्यूटी लगा दी
कैथल डिपो के यातायात प्रभारी विरेंद्र पाल स्वामी ने बताया कि शुरूआत में तो कुछ बसें रूट पर नहीं थी, लेकिन बाद में बस स्टैंड पर कर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई थी। इसके बाद सभी निजी बस संचालकों ने अपनी बसों का संचालन किया था। यदि किसी भी प्रकार की कोई शिकायत मिलती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।