Haryana News
- -हुड्डा को पार्टी व संगठन में लगने वाले झटके थम नहीं रहे हैं
- – चुनाव के करीब एक साल बाद भी आलाकमान ने भूपेंद्र हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष बनने के सपने को सपना ही बनाए रखा
- -हुड्डा के सामान्नतर कुमारी सैलजा समर्थकों की ताजपोशी कर आलाकमान ने हुड्डा को दूसरा झटका दिया था
- -अब कुमारी सैलजा ने भूपेंद्र हुड्डा को बड़ा झटका दिया है। सैलजा ने कभी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास माने जाने वाले पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा, पूर्व विधायक सुमिता सिंह, पूर्व विधायक राकेश कंबोज, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, सुरेश लहरी और यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष सोमिल संधू को अपने गुट में शामिल किया
Haryana News : चंडीगढ़। हरियाणा में 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद हुड्डा को पार्टी व संगठन में लगने वाले झटके थम नहीं रहे हैं। चुनाव के करीब एक साल बाद भी आलाकमान ने भूपेंद्र हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष बनने के सपने को सपना ही बनाए रखा। प्रदेश में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में भूपेंद्र हुड्डा के सामान्नतर कुमारी सैलजा समर्थकों की ताजपोशी कर आलाकमान ने हुड्डा को दूसरा झटका दिया था। अब कुमारी सैलजा ने भूपेंद्र हुड्डा को बड़ा झटका दिया है। कुमारी सैलजा ने कभी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास माने जाने वाले पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा, पूर्व विधायक सुमिता सिंह, पूर्व विधायक राकेश कंबोज, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, सुरेश लहरी और यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष सोमिल संधू को अपने गुट में शामिल कर जीटी बेल्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बड़ा झटका दे दिया है। नेताओं के बदलते रुख से प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी के साथ भूपेंद्र हुड्डा के भविष्य को लेकर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

राहुल व प्रियंका से नजदीकी पड़ रही भारी
सोनिया गांधी की विशेष कृपा से 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता भजनलाल को पछाड़कर मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद से 2024 के विधानसभा चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस पर न केवल भूपेंद्र सिंह का बर्चस्व बना रहा। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 10 में से पांच सीट कांग्रेस की झोली में डालकर हुड्डा ने कांग्रेस आलाकमान पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाई तथा कुछ माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में आलाकमान ने भूपेंद्र हुड्डा को फ्री हैंड दे दिया। सैलजा ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी जताई। विधानसभा चुनाव में भाजपा के लगातार तीसरी बार प्रदेश की सत्ता में आने के बाद सैलजा ने रणदीप के साथ मिलकर हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जिससे अधिकतर समर्थक विधायक होते हुए हुड्डा ने नेता प्रतिपक्ष के पद पर अपना दावा ठोंका, परंतु चुनाव के करीब एक साल बाद भी आलाकमान ने नियुक्ति को हरीझंडी नहीं दी। जुलाई अगस्त में प्रदेश में कई साल बाद घोषित किए गए जिलाध्यक्षों में आलाकमान ने सैलजा समर्थकों को भी लगभग हुड्डा समर्थकों के बराबर जगह मिली। माना जा रहा है कि सैलजा को राहुल गांधी व प्रियंका गांधी से नजदीकी का लाभ मिल रहा है। पार्टी में अधिकतर फैसलें राहुल की इच्छा से लिए जाते हैं। कुछ मामलों में प्रियंका का भी हस्तक्षेप रहता है।
कभी हुड्डा के खास थे कुलदीप शर्मा
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार चिरंजीलाल के बेटे कुलदीप शर्मा कभी हुड्डा के खास माने जाते थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नजदीकी के चलते ही उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि सत्ता जाने के बाद दोनों में दूरियां बढने लगी थी तथा 2024 के चुनाव में दोनों की दूरियां खुलकर सामने आई थी। पूर्व विधायक सुमिता सिंह पूर्व विधायक राकेश कंबोज, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, सुरेश लहरी और यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष सोमिल संधू भी विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ खड़े नजर आते थे। माना जा रहा है कि जिला प्रधानों की नियुक्ति के बाद पार्टी में सैलजा व रणदीप सुरजेवाला के बढ़ते दबदबे को देखते हुए इन नेताओं ने हुड्डा को छोड़ सैलजा के साथ जाने का निर्णय लिया है।
पार्टी में ही पाला बदलने पर किसने क्या कहा
हुड्डा का साथ छोड़ सैलजा के साथ जाने वाले नेताओं का कहना है उन्होंने पार्टी नहीं, बल्कि अपना नेता बदला है। बदलाव समय की मांग है। पहले हुड्डा के नेतृत्व में पार्टी की मजबूती के लिए काम करते थे, आगे यही काम कुमारी सैलजा के नेतृत्व में करेंगे।
हुड्डा से राजनीतिक नाराजगी: कुलदीप शर्मा
पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी नाराजगी नहीं होती। समय-समय पर मतभेद और मनमुटाव होना स्वाभाविक है, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने कहा कि चाहे हुड्डा हों या सैलजा, सबका लक्ष्य कांग्रेस को मजबूत करना है।
सबका सहयोग और आशीर्वाद मिला: सैलजा
जब कुमारी सैलजा से पूछा गया कि इतने बड़े नेता अब उनके नेतृत्व में काम करना चाहते हैं, तो उन्होंने विनम्रता से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वे सभी की शुक्रगुजार हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा सहयोग और आशीर्वाद मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी से जुड़ी बड़ी बातें हाईकमान के हाथों में होती हैं। नेता बदलने या नेतृत्व को लेकर जो भी निर्णय होंगे, वे कांग्रेस हाईकमान तय करेगा। सैलजा ने राहुल गांधी के नेतृत्व की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमें उनका संदेश जन-जन तक पहुंचाना है। जो भी कमियां पहले रह गई हैं, उन्हें पहचानना होगा और दूर करना होगा।