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Haryana News : किसान आंदोलन से जुड़ी मानहानि याचिका : कंगना रनौत को झटका, हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज

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  • -2021 के किसान आंदोलन के दौरान किए गए विवादित ट्वीट से जुड़ा मामला
  • -पीठ ने कहा, भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 के तहत मानहानि का मामला बनता है
  • -बुजुर्ग महिला की तस्वीर साझा करते हुए टिप्पणी की थी कि यह वही दादी हैं जो टाइम मैगज़ीन में सबसे प्रभावशाली भारतीय के रूप में दिखीं और 100 रुपये में उपलब्ध

Haryana News : चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को उस समय बड़ा झटका दिया जब अदालत ने उनके खिलाफ बठिंडा की एक अदालत में लंबित मानहानि मामले को रद्द करने की उनकी मांग को खारिज कर दिया। यह मामला वर्ष 2021 के किसान आंदोलन के दौरान किए गए एक विवादित ट्वीट से जुड़ा है। न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया की एकल पीठ ने साफ कहा कि प्रथम दृष्टया कंगना पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 के तहत मानहानि का मामला बनता है। अदालत ने माना कि बठिंडा मजिस्ट्रेट द्वारा कंगना को समन भेजने का आदेश पूरी तरह से वैध और कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप है।

यह है विवाद

विवाद की जड़ एक ट्वीट है जिसमें कंगना ने एक बुजुर्ग महिला की तस्वीर साझा करते हुए टिप्पणी की थी कि यह वही दादी हैं जो टाइम मैगज़ीन में सबसे प्रभावशाली भारतीय के रूप में दिखीं और 100 रुपये में उपलब्ध हैं। यह रीट्वीट बठिंडा की रहने वाली महिंदर कौर की तस्वीर के साथ किया गया था, जिनका कहना है कि उन्हें गलत तरीके से शाहीन बाग प्रदर्शन से जोड़ा गया और सार्वजनिक रूप से उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया गया। मजिस्ट्रेट ने इस टिप्पणी को आपत्तिजनक मानते हुए समन जारी किया था। उन्होंने कहा कि एक प्रसिद्ध अभिनेत्री होने के नाते कंगना को सार्वजनिक मंच पर टिप्पणी करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। हाईकोर्ट ने भी इस तर्क को स्वीकार किया और कहा कि साक्ष्यों की समीक्षा और प्रारंभिक सुनवाई के बाद ही समन जारी किया गया था।

कंगना की दलील

कंगना की ओर से यह दलील दी गई कि उन्होंने ट्वीट किसी दुर्भावना से नहीं किया बल्कि ‘सार्वजनिक हित’ में, और अच्छे विश्वास (good faith) के आधार पर किया था। साथ ही यह भी कहा गया कि असल ट्वीट किसी अन्य व्यक्ति ने किया था, जिसे उन्होंने केवल साझा किया। लेकिन अदालत ने इन दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि शिकायतकर्ता को यह अधिकार है कि वह केवल उसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करे जिसने उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया है। अदालत ने कहा कि इस मुकदमे को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि ट्वीट को साझा करने वाले के बजाय मूल लेखक को पार्टी नहीं बनाया गया है। कंगना के सार्वजनिक बयान का प्रभाव व्यापक था और उससे शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ा। अंततः कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अब ट्रायल अदालत इस मामले की सुनवाई अपने गुण-दोष के आधार पर करेगी।

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