Haryana news
- हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने अफसरों से रिपोर्ट मांगी
- होमवर्क न करने पर बच्चे को मिली दर्दनाक सज़ा
- विद्यालय स्टाफ ने बच्चे की सुरक्षा करने के बजाय उस पर गंभीर शारीरिक और मानसिक यातना पहुंचाई
- चालक ने घटना की जानकारी देने पर बच्चे को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, जिससे भय और पीड़ा और बढ़ गई
चंडीगढ़। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने 29 सितंबर को प्रकाशित रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है, जिसमें 7 वर्षीय बालक, कक्षा 2 का छात्र, सृजन पब्लिक स्कूल, पानीपत से जुड़ी एक गंभीर घटना को उजागर किया है। आरोप है कि विद्यालय प्राचार्या रीना ने विद्यालय बस चालक अजय के साथ मिलकर, मात्र होमवर्क पूरा न करने पर बच्चे को अमानवीय शारीरिक दंड दिया। बच्चे को कथित तौर पर खिड़की से उल्टा बांध दिया गया, बार-बार थप्पड़ मारे गए और इस क्रूर कृत्य का वीडियो बनाकर प्रसारित किया गया। शिकायतकर्ता, जो बच्चे की माता हैं, को इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर वीडियो देखने के बाद ही हुई। आरोप है कि विद्यालय प्राचार्या को एक अन्य वीडियो में छात्रों को थप्पड़ मारते और उनके कान खींचते हुए देखा गया, तथा वह प्रायः बच्चों से टॉयलेट और कक्षाओं की सफाई कराती थीं, जो सज़ा के रूप में दिया जाता था।
बच्चे को अनुशासित करने के लिए चालक को बुलाया
पूछताछ के दौरान प्राचार्या ने स्वीकार किया कि उन्होंने बच्चे को अनुशासित करने के लिए चालक को बुलाया था, परंतु ऐसी क्रूरता की अनुमति देने से इनकार किया। तथापि, तथ्य यह स्पष्ट करते हैं कि विद्यालय स्टाफ ने बच्चे की सुरक्षा करने के बजाय उस पर गंभीर शारीरिक और मानसिक यातना पहुँचाई। चालक ने घटना की जानकारी देने पर बच्चे को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, जिससे भय और पीड़ा और बढ़ गई। शिकायतकर्ता का परिवार जब चालक से बात करने गया तो कुछ लोगों ने उन्हें धमकाया और मामले को आगे न बढ़ाने की चेतावनी दी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद भारतीय न्याय संहिता और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की है। यह विद्यालय की देखभाल संबंधी जिम्मेदारी में गंभीर विफलता को दर्शाता है और हस्तक्षेप आवश्यक बनाता है। हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा तथा दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया को मिलाकर बने पूर्ण आयोग ने अपने आदेश में लिखा है कि यह घटना संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय (UNCRC) के प्रत्यक्ष उल्लंघन को दर्शाती है।
ये नियम तोड़े
• अनुच्छेद 19 – बच्चे को सभी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हिंसा, चोट या दुरुपयोग से संरक्षण।
• अनुच्छेद 28(2) – विद्यालय में अनुशासन बच्चे की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए।
• अनुच्छेद 37(क) – किसी बच्चे को कभी भी यातना, क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड नहीं दिया जाएगा।
यह घटना भारतीय कानून में बच्चों को दिए गए वैधानिक संरक्षण का गंभीर उल्लंघन है, जैसे:
• किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 75 व 82
• नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 17
• भारत के संविधान का अनुच्छेद 21
यह कहा आयोग ने
जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग का मानना है कि आरोपितों का आचरण मानवाधिकार एवं बाल अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। 7 वर्षीय बच्चे पर शारीरिक हमला, अवैध बंधन और धमकियां देकर उसकी गरिमा और अधिकारों का हनन किया गया। यह शिक्षा व्यवस्था पर विश्वास को भी कमजोर करता है। शिक्षा का आधार सकारात्मक अनुशासन, सहानुभूति और रचनात्मक मार्गदर्शन है। शारीरिक दंड आधुनिक शिक्षा पद्धति के विरुद्ध है और भारतीय कानून, अंतरराष्ट्रीय अभिसमयों एवं मनोवैज्ञानिकों द्वारा निंदा की गई है। विद्यालय को बच्चों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए, न कि उन्हें अपमानित या शारीरिक रूप से दंडित करना।आयोग मानता है कि यह मामला वैधानिक कानून, संवैधानिक अधिकारों एवं अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के उल्लंघन को दर्शाता है। प्राचार्या द्वारा दी गई सफाई उन्हें जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करती। जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि उपलब्ध तथ्यों और गंभीर आरोपों को देखते हुए, हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा के साथ दोनों सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया जानकारी जुटाने के लिए 29 सितम्बर 2025 (सोमवार) को देर शाम ही पानीपत पहुँचे| वहां लोक निर्माण विश्राम गृह में पुलिस अधीक्षक भुपेंद्र सिह, अतिरिक्त उपायुक्त डाक्टर पंकज यादव, जिला शिक्षा अधिकारी व संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक भी की। बैठक में मिली जानकारी और उपलब्ध तथ्यों को देखते हुए हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने आदर्श दिया है कि निम्न बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक, पानीपत (निदेशक जांच, आयोग के माध्यम से), उपायुक्त पानीपत और जिला शिक्षा अधिकारी, पानीपत अगली सुनवाई की तिथि 13.11.2025 से पहले आयोग के पास जमा करवाएं|
जिला शिक्षा अधिकारी पानीपत काे निर्देश
• विद्यालय में आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 के अनुपालन की जांच करें।
• विद्यालय की अनुशासन नीतियों और बच्चों की सुरक्षा के उपायों की समीक्षा करें।
• पीड़ित बच्चे व परिवार को मनोवैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराएं।
• सकारात्मक पालन-पोषण एवं बाल हितैषी अनुशासन को बढ़ावा देने के सुझाव दें।
• अवैध विद्यालयों की निगरानी व नियमन करें।
पुलिस अधीक्षक पानीपत से ये कहा
• प्राथमिकी की स्थिति व धाराओं का विवरण प्रस्तुत करें।
• पीड़ित, गवाहों और परिवार के बयान दर्ज करने की प्रगति बताएं।
• आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी पर स्थिति रिपोर्ट दें।
• शिकायतकर्ता परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की कार्रवाई बताएं।